हमारे घर के निकट एक फिटनेस सेंटर है
जहाँ लोग अपने शारीरिक स्वास्थ्य और सामर्थ्य को बेहतर करने के लिए आते हैं। जब भी
मैं उस सेंटर में जाता हूँ, मैं प्रोत्साहित होता हूँ। वहाँ लगे हुए पोस्टर हमें
स्मरण दिलाते हैं कि हम एक-दूसरे को जाँचें नहीं, परन्तु ऐसे
शब्द और कार्य करें जिससे एक दूसरे को बेहतर होने में सहायता और प्रोत्साहन मिले।
आत्मिक जीवन में जैसा व्यवहार होना चाहिए, यह उस बात की
कितनी अच्छी तस्वीर है। कभी-कभी हम जो आत्मिक जीवन में सुधरने या बढ़ने के प्रयास
कर रहे हैं, हमें ऐसा लग सकता है कि हम किसी अन्य व्यक्ति के समान आत्मिक रीति से
उन्नत अथवा मसीह यीशु के साथ चलने में उसके समान योग्य नहीं हैं।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित
पौलुस ने हमें यह साफ़ और सीधा सुझाव दिया है “एक दूसरे को शान्ति दो और एक दूसरे
की उन्नति का कारण बनो” (1 थिस्सलुनीकियों 5:11)। साथ ही उसने रोम के मसीही
विश्वासियों को यह भी लिखा, “हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिये
प्रसन्न करे कि उसकी उन्नति हो” (रोमियों 15:2)। यह ध्यान रखते हुए कि हमारा
परमेश्वर पिता हमारे प्रति इतना प्रेमी तथा अनुग्रहकारी है, हम भी औरों को
परमेश्वर का अनुग्रह दिखाएँ और प्रोत्साहन करने वाले कार्यों तथा बातों से उन्हें
उभारें।
जब हम “एक दूसरे को ग्रहण” (पद 7)
करते हैं, तो साथ ही हम अपनी आत्मिक परिपक्वता के लिए, जो पवित्र
आत्मा का कार्य है, परमेश्वर पर भरोसा भी बनाए रखें और उसके आज्ञाकारी बने
रहें। परमेश्वर की आज्ञाकारिता में प्रति दिन चलते हुए हम अपने मसीही भाई-बहनों के
मसीही विश्वास में बढ़ते जाने के लिए प्रोत्साहन का वातावरण बनाए रखें। - डेव
ब्रैनन
प्रोत्साहन का एक शब्द, सफलता के लिए आगे बढ़ते रहने,
या हार कर छोड़ देने का फर्क उत्पन्न कर सकता
है।
अतः आगे को हम एक
दूसरे पर दोष न लगाएँ, पर तुम यह ठान लो कि कोई अपने भाई के सामने ठेस या ठोकर खाने
का कारण न रखे। - रोमियों 14:13
बाइबल पाठ:
रोमियों 15:1-7
रोमियों 15:1 अतः
हम बलवानों को चाहिए कि निर्बलों की निर्बलताओं को सहें, न कि अपने आप को प्रसन्न करें।
रोमियों 15:2 हम
में से हर एक अपने पड़ोसी को उसकी भलाई के लिये प्रसन्न करे कि उसकी उन्नति हो।
रोमियों 15:3 क्योंकि
मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया, पर जैसा लिखा है : “तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी।”
रोमियों 15:4 जितनी
बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्र
शास्त्र के प्रोत्साहन द्वारा आशा रखें।
रोमियों 15:5 धीरज
और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हें यह वरदान दे कि मसीह यीशु के अनुसार आपस में एक
मन रहो।
रोमियों 15:6 ताकि
तुम एक मन और एक स्वर में हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता परमेश्वर की स्तुति करो।
रोमियों 15:7 इसलिये, जैसा मसीह ने परमेश्वर की महिमा के
लिये तुम्हें ग्रहण किया है, वैसे ही तुम भी एक दूसरे को ग्रहण करो।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यव्यवस्था 21-22
- मत्ती 28