पत्रकारिता में "द्वारपालक" शब्द प्रयोग होता है उन संवाददाताओं, संपादकों और प्रकाशकों के लिये जो विविध समाचारों का विशलेषण करके निर्धारित करते हैं कि कौन सा समाचार प्रकाशण के योग्य है। कुछ अनुभवी पत्रकार सावधान करते हैं कि ’इन्टरनैट’ के प्रयोग से समाचार बिना जांच की इस प्रक्रिया से गुज़रे ही अन्दर आ जाते हैं।
पुराने नियम के समय में द्वारपालक मन्दिर के दरवाज़ों की पहरेदारी करते थे, अशुद्ध लोगों को मन्दिर में प्रवेश करने से रोकने के लिये (२ इतिहास २३:१९)। सन ७० ईस्वीं में रोमी सम्राट तीतुस कि सेनाओं द्वारा मन्दिर नाश कर दिया गया। वास्तव में मन्दिर का नाश तो कई साल पहले ही आरंभ हो चुका था, जब मन्दिर की पहरेदारी करने को नियुक्त लेवियों ने सीरीया के राजा ऐन्टिओकस चतुर्थ के दुशप्रभाव में आकर अपना काम ठीक से करना छोड़ दिया था।
पौलुस ने हमारी देह को परमेश्वर का मन्दिर बताया (१ कुरिन्थियों ३:१६, १७), और इस मन्दिर पर हमला करने को कई ताकतें तत्पर रहती हैं। हमारे आत्मिक जीवन के अरक्षित स्थानों में होकर बुराई को जड़ पकड़ने का अवसर मिल सकता है - उन स्थानों द्वारा जहां ईर्ष्या, झगड़े और आपसी मतभेद आदि हमारे आत्मिक जीवन को कमज़ोर कर देते हैं (३:३)। हममें से प्रत्येक को अपनी आत्मा के शत्रु से सावधान होकर शैतान को कभी अवसर नहीं देना चाहिये (इफिसियों ४:२७)।
हमारे मनों में किन चीज़ों ने प्रवेश पाना है, इसके निर्धारण के नाप फिलिप्पियों ४:८ में मिलते हैं: जो बातें सत्य, आदरणीय, उचित, पवित्र, सुहावनी, मन-भावनी, सदगुण और प्रशंसा के योग्य हैं। इनसे जो शांति मिलेगी वह हमारे मन और हृदय के द्वार की रक्षा करेगी। - जूली ऐकरमैन लिंक
परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और वह तुम हो। - १ कुरिन्थियों ३:१७
एक साल में बाइबल:
पुराने नियम के समय में द्वारपालक मन्दिर के दरवाज़ों की पहरेदारी करते थे, अशुद्ध लोगों को मन्दिर में प्रवेश करने से रोकने के लिये (२ इतिहास २३:१९)। सन ७० ईस्वीं में रोमी सम्राट तीतुस कि सेनाओं द्वारा मन्दिर नाश कर दिया गया। वास्तव में मन्दिर का नाश तो कई साल पहले ही आरंभ हो चुका था, जब मन्दिर की पहरेदारी करने को नियुक्त लेवियों ने सीरीया के राजा ऐन्टिओकस चतुर्थ के दुशप्रभाव में आकर अपना काम ठीक से करना छोड़ दिया था।
पौलुस ने हमारी देह को परमेश्वर का मन्दिर बताया (१ कुरिन्थियों ३:१६, १७), और इस मन्दिर पर हमला करने को कई ताकतें तत्पर रहती हैं। हमारे आत्मिक जीवन के अरक्षित स्थानों में होकर बुराई को जड़ पकड़ने का अवसर मिल सकता है - उन स्थानों द्वारा जहां ईर्ष्या, झगड़े और आपसी मतभेद आदि हमारे आत्मिक जीवन को कमज़ोर कर देते हैं (३:३)। हममें से प्रत्येक को अपनी आत्मा के शत्रु से सावधान होकर शैतान को कभी अवसर नहीं देना चाहिये (इफिसियों ४:२७)।
हमारे मनों में किन चीज़ों ने प्रवेश पाना है, इसके निर्धारण के नाप फिलिप्पियों ४:८ में मिलते हैं: जो बातें सत्य, आदरणीय, उचित, पवित्र, सुहावनी, मन-भावनी, सदगुण और प्रशंसा के योग्य हैं। इनसे जो शांति मिलेगी वह हमारे मन और हृदय के द्वार की रक्षा करेगी। - जूली ऐकरमैन लिंक
यदि आप बुराई से सावधान नहीं रहेंगे तो बुराई से प्रभावित हो जाएंगे।
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ३:१-१७परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है और वह तुम हो। - १ कुरिन्थियों ३:१७
एक साल में बाइबल:
- १ शमुएल ३०, ३१
- लूका १३:२३-३५