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शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013

निरीक्षक

   घर के पिछले बरामदे को बैठता देखकर मैं समझ गया कि इसकी मरम्मत मेरे बस की बात नहीं होगी। इसलिए मैंने नया बरामदा बना कर दे सकने वाले कारिगरों तथा होने वाले वाले खर्चे के बारे में पता किया, और फिर एक योग्य प्रतीत होने वाले ठेकेदार को उचित लगने वाले खर्चे पर कार्य सौंप दिया। जब वह काम कर चुका तो मैंने बारीकी से उसके काम का निरीक्षण किया और मुझे उसके काम में कुछ कमियाँ लगीं। इस विषय में एक अन्य राय लेने हेतु मैंने स्थानीय निर्माण निरीक्षक को बुलाया, और मुझे जान कर बड़ा अचंभा हुआ कि जिस ठेकेदार को मैंने काम सौंपा था उसके पास भवन निर्माण संस्था से कार्यकुशलता के आधार पर मिलने वाला अनुमतिपत्र था ही नहीं। बिना निर्माण निरीक्षक की अनुमति और निरीक्षण के उसने निर्माण नियमों का कई जगह उल्लंघन किया था और गलतियाँ करी थीं।

   इस घटना ने मुझे एक महत्वपूर्ण सत्य स्मरण दिलाया (- ठेकेदार का निर्माण अनुमतिपत्र पहले ही देख-परख लेने के अतिरिक्त), हम मनुष्यों की प्रवृति है कि यदि हमारे ऊपर कोई निरीक्षक बना ना रहे और यदि किसी के प्रति प्रगट में हमारी जवाबदेही ना हो तो हम अपने कार्यों में ढिलाई बरतते हैं और हलका काम करते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी प्रभु यीशु के दो दृष्टांतों में हम इस मानवीय प्रवृति को कार्यकारी रूप में देखते हैं (मत्ती 24:45-51; 25:14-30); इन दोनों ही दृष्टांतों में हम पाते हैं कि स्वामी की अनुपस्थिति में एक ऐसा कर्मचारी भी था जिसने अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाई और स्वामी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, इसलिए बाद में स्वामी से दंड का भागी हुआ। लेकिन इसके विपरीत हम बाइबल की नीतिवचन पुस्तक में राजा सुलेमान द्वारा चींटी का उदाहरण भी पाते हैं, जिसके ऊपर कोई निरीक्षक नहीं होता परन्तु हर चींटी अपना काम पूरी मेहनत के साथ सारे समय करती रहती है; कुशलता पूर्वक कार्य करते रहने की प्रवृति उसके अन्दर समाई हुई है और वह उसे निभाती रहती है।

   यह हमारे सामने प्रश्न लाता है - कार्य के संबंध में हमारा हाल क्या है? क्या हम अपनी ज़िम्मेदारी को तभी निभाते हैं और सौंपे हुए कार्य को कुशलता से तभी करते हैं जब हमारे ऊपर कोई निरीक्षक खड़ा होकर हम पर नज़र बनाए रखे? या हम इस बात को समझते और मानते हुए अपनी जिम्मेदारी को भली भांति निभाते रहते हैं कि चाहे वर्तमान में कोई मानवीय निरीक्षक हम पर नज़र रखे अथवा नहीं, हमारा निरीक्षक परमेश्वर है जो हर समय हम पर नज़र रखता है और एक दिन उसके सामने खड़े होकर हमें हर बात का हिसाब उसे देना ही है और उससे फिर अपने कार्य की गुणवन्ता के अनुरूप प्रतिफल भी - चाहे वह शर्मिंदगी का हो या शाबाशी का, पाना ही है। - डेव ब्रैनन


हम मसीही विश्वासियों का मानवीय मालिक कोई भी हो, हमारा कार्य अन्ततः परमेश्वर के लिए ही है।

जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। - यूहन्ना 9:4 

बाइबल पाठ: नीतिवचन 6:6-11; कुलुस्सियों 3:22-25
Proverbs 6:6 हे आलसी, च्यूंटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो। 
Proverbs 6:7 उन के न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करने वाला, 
Proverbs 6:8 तौभी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं। 
Proverbs 6:9 हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी? 
Proverbs 6:10 कुछ और सो लेना, थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना, 
Proverbs 6:11 तब तेरा कंगालपन बटमार की नाईं और तेरी घटी हथियारबन्द के समान आ पड़ेगी।

Colossians 3:22 हे सेवकों, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्वर के भय से। 
Colossians 3:23 और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। 
Colossians 3:24 क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। 
Colossians 3:25 क्योंकि जो बुरा करता है, वह अपनी बुराई का फल पाएगा; वहां किसी का पक्षपात नहीं।

एक साल में बाइबल: 

  • यशायाह 20-22 
  • इफिसियों 6