कार्य में होने तथा पास्टर होने का कार्य भी करने के कारण यह मेरा सौभाग्य है कि मैं अनेक लोगों के साथ वार्तालाप में रह सकता हूँ। मेरे संपर्क में आने वाले अनेक लोग मसीही विश्वास को लेकर संशय में होते हैं। मैंने पाया है कि उनका यह संशय मुख्यतः तीन कारणों से होता है जिससे वे अपने पापों की क्षमा और उद्धार के लिए प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास नहीं कर पाते।
सबसे पहला कारण है, और यह बड़े अचरज की बात है कि वे परमेश्वर के अस्तित्व पर विश्वास रखते हुए भी यह समझते हैं कि वे परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं, परमेश्वर उनपर ध्यान नहीं देगा। दूसरा कारण है कि लोग समझते हैं कि वे परमेश्वर की क्षमा के योग्य नहीं हैं; लोग अपने ही सबसे कठोर आलोचक होते हैं। और तीसरा कारण है कि लोग असमंजस में रहते हैं कि यदि वह विद्यमान है तो फिर क्यों परमेश्वर उनसे संपर्क या संवाद नहीं कर रहा है?
आईए हम इन तीनों कारणों पर परमेश्वर के वचन बाइबल के आधार पर थोड़ा विचार करें, जिसके लिए हम उपरोक्त कारणों को उलटे क्रम में लेंगे। परमेश्वर सबको समान दृष्टि से देखता है; उसका वायदा है कि यदि हम उसके वचन को पढ़ेंगे तो वह निश्चित करेगा कि वचन हमारे जीवनों में कार्य करे और परमेश्वर के उद्देश्यों की पूर्ति हो (यशायाह 55:11); कहने का तात्पर्य है कि यदि हम बाइबल को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि परमेश्वर हम से संपर्क और संवाद कर रहा है। इसीलिए बाइबल अनेक बार सबके प्रति परमेश्वर की दया और अनुग्रह की बात करती है, और हमें बताती है कि परमेश्वर की क्षमा करने की इच्छा और तत्परता हमारी अपनी क्षमता से कहीं अधिक बढ़कर है; इसलिए कोई भी उसकी क्षमा की सीमा से बाहर नहीं है और वह सबको क्षमा करने के लिए तैयार है (1 यूहन्ना 1:9)। अब जब हम यह जान चुके हैं कि परमेश्वर अपने वचन बाइबल के द्वारा हम से बातचीत करता है, और हमने उसकी दया और अनुग्रह को भी जान लिया है तो फिर हमारे लिए यह समझ पाना कठिन नहीं है कि हम जब भी उसे पुकारते हैं वह हमारी सुनता है, हम पर ध्यान करता है।
परमेश्वर के द्वार सभी के लिए खुले हैं, उसके पास सभी के लिए आशा है, बस हमें अपनी धारणाओं से निकलकर उसके पास आने की देर है। - रैंडी किलगोर
सच्चा संशय दृढ़ विश्वास की ओर पहला कदम हो सकता है।
यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9
बाइबल पाठ: यशायाह 55:6-13
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो;
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है,
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे।
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।
एक साल में बाइबल:
- होशे 5-8
- प्रकाशितवाक्य 2