ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

अनुग्रह का पल


   प्रति वर्ष मैं कैमब्रिज, लण्डन में किंग्स कओलेज चैपल में होने वाली क्रिस्मस संध्या की उपासना का बी.बी.सी. द्वारा रेडियो पर प्रसारित होने वाला ’आँखों देखा हाल’ सुनना पसन्द करता हूँ। इस उपासना सभा में प्रभु यीशु के जन्म से संबंधित नौ पाठ, क्रिसमस संगीत, परमेश्वर के वचन बाइबल के भागों का पढ़ा जाना, प्रार्थनाएं और सामूहिक गान सम्मिलित होते हैं। एक वर्ष मैं प्रसारणकर्ता द्वारा प्रयुक्त शब्दों से कुछ चकित हुआ; जब उपासना सभा के अन्त पर उस भव्य चर्च भवन से उपासना मण्डली के लोग बाहर निकल रहे थे, तब उस प्रसारणकर्ता ने कहा कि "अब लोग उस अनुग्रह के पल से वापस वास्तविक संसार में प्रवेश कर रहे हैं।"

   लेकिन क्या पहले क्रिसमस के दिन भी ऐसा ही नहीं हुआ था? चरवाहों ने स्वर्गदूतों द्वारा जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के जन्म की घोषणा को सुना, फिर स्वर्गदूतों का एक दल परमेश्वर की स्तुति करता हुआ प्रगट हुआ। यह सब देख-सुन कर वे चरवाहे बैतलेहम गए और उन्होंने यूसुफ, मरियम और शिशु यीशु को देखा, और फिर वे सब वापस अपने कार्य को लौट गए; लेकिन उनके लौटने में एक बात अलग थी - वे चरवाहे इस बालक के बारे में लोगों को बताने से अपने आप को रोक नहीं सके। उस अनुग्रह के पल ने उन चरवाहों को बदल दिया था, और जब वे वापस अपने वास्तविक जीवन में लौट कर आए तो उस अनुग्रह को अपने मन-जीवन में साथ ले आए और प्रभु यीशु के जन्म के सुसमाचार को लोगों के साथ बाँटते गए।

   हम मसीही विश्वासियों ने भी अपने जीवन में वह अनुग्रह का पल अनुभव किया जब हमने अपने पापों से पश्चाताप कर के अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित किया तथा उसकी शिष्यता का निर्णय लिया। उस अनुग्रह के पल के अनुभव के बाद हम भी अपने अपने वास्तविक जीवन में लौट आए हैं किंतु उन चरवाहों के समान ही उस पल के अनुभव तथा आनन्द को लोगों के साथ बाँटने की ज़िम्मेदारी हमारी भी है। प्रति वर्ष यह दिन हमारे लिए केवल एक उत्सव मनाने का दिन ना हो वरन उससे भी बढ़कर अपने प्रभु यीशु में मिलने वाले उद्धार तथा पापों की क्षमा को लोगों के साथ बाँटने का समय हो। - डेविड मैक्कैसलैंड


क्रिसमस के आनन्द को अपने जीवन में सदा बनाए रखें, उसे सदा लोगों के साथ बाँटते रहें।

इस से सब पर भय छा गया; और वे परमेश्वर की बड़ाई कर के कहने लगे कि हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपा दृष्टि की है। - लूका 7:16

बाइबल पाठ: लूका 2:8-20
Luke 2:8 और उस देश में कितने गड़ेरिये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्ड का पहरा देते थे। 
Luke 2:9 और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। 
Luke 2:10 तब स्वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा। 
Luke 2:11 कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है। 
Luke 2:12 और इस का तुम्हारे लिये यह पता है, कि तुम एक बालक को कपड़े में लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे। 
Luke 2:13 तब एकाएक उस स्वर्गदूत के साथ स्‍वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्‍तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया। 
Luke 2:14 कि आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्‍ति हो। 
Luke 2:15 जब स्वर्गदूत उन के पास से स्वर्ग को चले गए, तो गड़ेरियों ने आपस में कहा, आओ, हम बैतलहम जा कर यह बात जो हुई है, और जिसे प्रभु ने हमें बताया है, देखें। 
Luke 2:16 और उन्होंने तुरन्त जा कर मरियम और यूसुफ को और चरनी में उस बालक को पड़ा देखा। 
Luke 2:17 इन्हें देखकर उन्होंने वह बात जो इस बालक के विषय में उन से कही गई थी, प्रगट की। 
Luke 2:18 और सब सुनने वालों ने उन बातों से जो गड़िरयों ने उन से कहीं आश्चर्य किया। 
Luke 2:19 परन्तु मरियम ये सब बातें अपने मन में रखकर सोचती रही। 
Luke 2:20 और गड़ेरिये जैसा उन से कहा गया था, वैसा ही सब सुनकर और देखकर परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति करते हुए लौट गए।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 यूहन्ना 3-5