हम अपने आप को दर्पण में कितनी बार देखते हैं? कुछ अध्ययनों के अनुसार, एक व्यक्ति दिन भर में औसतन 8 से 10 बर दर्पण में अपने आप को दर्पण में देखता है; जबकि कुछ अन्य सर्वेक्षण कहते हैं कि यदि दुकानों के शीशों में दिखने वाले अपने प्रतिबिंब तथा स्मार्ट-फोन के स्क्रीन पर अपने देखने आदि को भी सम्मिलित कर लें तो यह संख्या बढ़कर 60 से 70 बार प्रतिदिन हो जाती है। हम क्यों अपने आप को इतनी बार देखते हैं? अधिकांश विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि हम ऐसा यह जाँचने के लिए करते हैं कि हम दूसरों को कैसे दिखाई दे रहे हैं जिससे अपने आप को ठीक और व्यवस्थित कर सकें, रख सकें; विशेषकर तब जब हमें किसी सभा या सामजिक समारोह में सम्मिलित होना होता है। यदि हम में कुछ बुरा या भद्दा दिखाई दे और हम उसे ठीक करने की इच्छा ना रखें तो फिर हमारे अपने आप को दर्पण में देखने से क्या लाभ?
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित याकूब ने अपनी पत्री में लिखा है कि परमेश्वर के वचन को पढ़ने या सुनने के पश्चात उसके अनुसार कार्य ना करना अपने आप को दर्पण में देखकर जो देखा है फिर उसे भूल जाना है (याकूब 1:22-24)। लेकिन बेहतर विकल्प है कि परमेश्वर के वचन के दर्पण में अपने आप को ध्यान से देखें, और जो दिखाई दे उसके अनुसार योग्य प्रतिक्रिया करें: "पर जो व्यक्ति स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है" (पद 25)।
यदि हम परमेश्वर के वचन के सुनने वाले हैं, परन्तु उसके अनुसार अपने जीवन में कार्य नहीं करते हैं, तो हम स्वयं अपने आप को ही धोखा देते हैं (पद 22)। परन्तु जब हम परमेश्वर के वचन की रौशनी में अपना आँकलन करते हैं और उसके निर्देशों का पालन करते हैं, तो परमेश्वर हमारी सहायता करता है और हमें दिन प्रति दिन अपनी समानता में बढ़ाता जाता है। - डेविड मैक्कैसलैंड
बाइबल वह दर्पण है जो हमें वैसा दिखाती है, जैसे हम परमेश्वर को देखाई देते हैं।
इसलिये जो कोई इन छोटी से छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को तोड़े, और वैसा ही लोगों को सिखाए, वह स्वर्ग के राज्य में सब से छोटा कहलाएगा; परन्तु जो कोई उन का पालन करेगा और उन्हें सिखाएगा, वही स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा। - मत्ती 5:19
बाइबल पाठ: याकूब 1:19-27
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 23-24
- मत्ती 1:1-22