मैं
अपनी एक सहेली के साथ भोजन कर रही थी, तो उसने बताया कि वह अपने परिवार के एक
सदस्य से कितनी खिसिया चुकी थी। परन्तु वह उस सदस्य से कुछ भी कहने से हिचकिचाती
थी। मेरी सहेली को उस सदस्य द्वारा लगातार उसकी उपेक्षा करते रहना या उसका मजाक
उड़ाते रहना कतई पसन्द नहीं था, परन्तु फिर भी वह ऐसा करता ही रहता था, मेरी सहेली
को क्रोध दिलाता रहता था। अनतः जब उसने उस सदस्य से इस समस्या के विषय बात-चीत
करनी चाही, तो उस सदस्य ने निन्दापूर्ण आलोचना करने के द्वारा प्रत्युत्तर दिया।
इससे मेरी सहेली भड़क उठी और उसपर बहुत क्रुद्ध हुई। परिणामस्वरूप दोनों ही
व्यक्तियों ने अपने-अपने रुख और कठोर कर लिए तथा परिवार के मध्य की फूट और बढ़ गई।
मैं
उसके साथ सहानुभूति रखती हूँ, उसकी परिस्थिति को समझ सकती हूँ, क्योंकि मैं भी
व्यवहार में उसके समान ही हूँ। मुझे भी लोगों का उनकी गलत बातों के लिए सामना करने
में बहुत कठिनाई होती है। यदि कोई परिवार का सदस्य या कोई मित्र आकर कुछ बुरा
बोलता अथवा करता है, तो अकसर मैं उसे अपना प्रत्युत्तर देने की भावनाओं को दबाए
रखती हूँ; और तब तक दबाए रखती हूँ जब तक कि वही व्यक्ति या कोई और आकर कुछ और
अनुचित कह या कर नहीं देता है। मेरे सहने की शक्ति के परे बात जाते ही मैं भी फट
पड़ती हूँ।
संभवतः
इसीलिए, परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने इफिसुस के मसीही विश्वासियों
को लिखी अपनी पत्री में लिखा कि “क्रोध तो करो, पर
पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे”
(इफिसियों 4:26)। अनसुलझी बातों को सुलझाने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करने से
क्रोध नियंत्रण में रहता है। किसी गलती का पात्र बनने पर उसे लेकर बुड़बुड़ाते और
खिसियाते रहने से कडुवाहट ही उत्पन्न होती है। ऐसा करने की बजाए हमें उस बात को
लेकर परमेश्वर के पास जाना चाहिए, और परमेश्वर की सहायता से “प्रेम में सच्चाई
से चलते हुए, सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं” (इफिसियों 4:15)।
क्या
आज किसी व्यक्ति को लेकर आप किसी समस्या में पड़े हुए हैं? उसे अपने अन्दर दबाए
रखने के स्थान पर, उस समस्या को परमेश्वर के सम्मुख खोल दें। परमेश्वर आपके क्रोध
और रोष की अग्नि को अपने प्रेम और क्षमा से बुझा सकता है। - लिंडा वॉशिंगटन
क्रोध की अग्नि को बेकाबू हो जाने से पहले
ही बुझा दें।
बुराई के बदले किसी से बुराई न करो;
जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की
चिन्ता किया करो। जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों
के साथ मेल मिलाप रखो। हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु
क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा
लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। -
रोमियों 12:17-19
बाइबल पाठ: इफिसियों 4:15, 26-32
Ephesians 4:15 वरन प्रेम में सच्चाई से
चलते हुए, सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात मसीह में बढ़ते जाएं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न
करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे;
इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके
पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्दी बात तुम्हारे
मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के
लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र
आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के
लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और
प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा
सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल,
और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में
तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध
क्षमा करो।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन 25-26
- 2 कुरिन्थियों 9