मैं अपने घर की बाल्कनी से देख रहा था, सामने की 20 मंज़िला इमारत गिराई जा रही थी। उस इमारत को गिराने का कार्य पूर्ण करने में मुश्किल से एक सप्ताह ही लगा होगा। गिराने के बाद वहाँ नई इमारत का निर्माण आरंभ हो गया। पुनःनिर्माण का यह कार्य दिन-रात लगातार चल रहा है। महीनों बीत चुके हैं किन्तु यह पुनःनिर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है। ध्वस्त करना कितना सरल है और बनाना कितनी मेहनत और लगन का कार्य है।
जो इमारतों के बनाने और गिराने के लिए सत्य है वही परस्पर संबंधों के लिए भी उतना ही सत्य है - स्थिर और विश्वासयोग्य संबंध बनाना सरल नहीं है किन्तु संबंध टूटने में अधिक समय नहीं लगता। परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पियों की मण्डली को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने उस मण्डली की दो महिलाओं से आग्रह किया "मैं यूओदिया को भी समझाता हूं, और सुन्तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें। और हे सच्चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्त्रियों की सहयता कर, क्योंकि उन्होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं" (फिलिप्पियों 4:2, 3)। ये दो महिलाओं परमेश्वर के कार्य में परिश्रमी थीं, परन्तु इनकी परस्पर अनबन सारी मण्डली को प्रभावित कर रही थी और यदि यह मनमुटाव दूर नहीं होता तो उस मण्डली की सारी गवाही पर बुरा प्रभाव आता। इस मतभेद को सुलझाने और संबंधों के पुनःनिर्माण के लिए पौलुस ने अपने एक "सच्चे सहकर्मी" की सहायता माँगी।
यह एक दुखदायी सत्य है कि मसीही विश्वासियों में भी परस्पर अनबन और झगड़े पाए जाते हैं, जबकि परमेश्वर का वचन हमें समझाता है कि "जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो" (रोमियों 12:18)। यदि हमारे आपसी मतभेद सुल्झाए नहीं गए तो बड़ी मेहनत और लगन से बनाई गई हमारी मसीही गवाही शीघ्र ही ध्वस्त हो जाएगी। टूटे संबंधों के पुनःनिर्माण में समय और मेहनत तो लगते हैं लेकिन यह करना अनिवार्य है। किसी विश्वासयोग्य साथी की सहायता से ऐसा किया जा सकता है और पुनःनिर्मित इमारत के समान, पुनःस्थापित यह संबंध पहले से अधिक अच्छे और स्थिर भी हो सकते हैं।
हम यह ठान लें कि अपने शब्दों और कार्यों के द्वारा कभी किसी को गिराएंगे नहीं वरन हमारी हर बात दुसरों को बनाने और बढ़ाने ही के लिए होगी। - सी० पी० हीया
एक से भले दो मसीही विश्वासी हैं - तब जब वे आपस में एक हों।
विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। - फिलिप्पियों 2:3
बाइबल पाठ: रोमियों 12:9-21
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो।
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो।
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Romans 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Romans 12:20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Romans 12:21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो।
एक साल में बाइबल:
- एज़्रा 3-5
- यूहन्ना 20