लंडन
की एक भीड़ से भरी हुई लोकल ट्रेन में, प्रातः के समय कार्यस्थल को जाने वाले एक यात्री ने दूसरे के साथ
धक्कामुक्की की और उसका अपमान किया क्योंकि वह उसके मार्ग में आ गया था। वह असंयम
का एक खेदजनक पल था जिसका कोई समाधान नहीं था। किन्तु उसी दिन, कुछ समय के पश्चात
अप्रत्याशित घटित हो गया। एक व्यवसायिक प्रबंधक ने अपने मित्रों को सोशल मीडिया के
माध्यम से एक सन्देश प्रेषित किया – “ज़रा सोचकर बताओ आज नौकरी के लिए साक्षात्कार
देने मेरे पास कौन पहुँचा होगा?” जब यह स्पष्टीकरण इंटरनैट पर आया तो सँसार भर में
अनेकों लोग चौंके भी और मुस्कुराए भी। उस व्यक्ति का हाल सोचिए जो नौकरी के लिए
साक्षात्कार देने पहुँचा और पाया कि जिसने साक्षात्कार के लिए उसका अभिवादन किया
वह वही व्यक्ति था जिसे उसने प्रातः धक्का दिया था और उसका अपमान किया था।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु मसीह में विश्वास लाने से पहले पौलुस,
जो तब शाउल के नाम से जाना जाता था, इसी प्रकार एक ऐसे व्यक्ति से जा मिला जिसे
देखने की उसे कतई आशा नहीं थी। शाउल प्रभु यीशु के अनुयायियों के विरुद्ध बहुत
सक्रीय था, उन्हें पकड़ने और बन्दी बनाने के प्रयास में रहता था, और एक ऐसे ही
कार्य के लिए जब वह दमिश्क के मार्ग पर था तो “चलते चलते जब वह दमिश्क के निकट
पहुंचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी।
और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे
क्यों सताता है? उसने पूछा; हे प्रभु,
तू कौन है? उसने कहा; मैं
यीशु हूं; जिसे तू सताता है” (प्रेरितों
9:3-5)।
इस
घटना के वर्षों पहले प्रभु यीशु ने कहा था कि हम भूखे-प्यासों, परदेशीयों, और
बंदियों आदि के साथ जैसा व्यवहार करते हैं वह प्रभु के प्रति हमारे रवैये को
दिखाता है (मत्ती 25:40)। भला कौन यह सोचेगा कि जब सँसार का कोई व्यक्ति हम मसीही
विश्वासियों का अपमान करता है, हमें सताता है, या जब हम परस्पर एक दूसरे की सहायता
करते हैं या एक दूसरे को चोट पहुंचाते हैं, तो हमारा प्रभु जो हम में से प्रत्येक
से प्रेम करता है, उस व्यवहार को अपने प्रति व्यक्तिगत लेता है। - मार्ट डीहान
जब हम एक दूसरे को सहायता अथवा दुःख देते
हैं, यीशु उसे अपने प्रति व्यक्तिगत लेता है।
...मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया,
वह मेरे ही साथ किया। - मत्ती 25:40
बाइबल पाठ: प्रेरितों 26:9-15
Acts 26:9 मैं ने भी समझा था कि यीशु नासरी
के नाम के विरोध में मुझे बहुत कुछ करना चाहिए।
Acts 26:10 और मैं ने यरूशलेम में ऐसा ही
किया; और महायाजकों से अधिकार पाकर बहुत से पवित्र लोगों को
बन्दीगृह में डाल, और जब वे मार डाले जाते थे, तो मैं भी उन के विरोध में अपनी सम्मति देता था।
Acts 26:11 और हर आराधनालय में मैं उन्हें
ताड़ना दिला दिलाकर यीशु की निन्दा करवाता था, यहां तक कि
क्रोध के मारे ऐसा पागल हो गया, कि बाहर के नगरों में भी जा
कर उन्हें सताता था।
Acts 26:12 इसी धुन में जब मैं महायाजकों
से अधिकार और परवाना ले कर दमिश्क को जा रहा था।
Acts 26:13 तो हे राजा, मार्ग में दोपहर के समय मैं ने आकाश से सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक
ज्योति अपने और अपने साथ चलने वालों के चारों ओर चमकती हुई देखी।
Acts 26:14 और जब हम सब भूमि पर गिर पड़े,
तो मैं ने इब्रानी भाषा में, मुझ से यह कहते
हुए यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल,
तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना
तेरे लिये कठिन है।
Acts 26:15 मैं ने कहा, हे प्रभु तू कौन है? प्रभु ने कहा, मैं यीशु हूं: जिसे तू सताता है।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण 20-22
- मरकुस 13:21-37