ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 4 अगस्त 2015

विचार करें


   माता-पिता अपने बच्चों के विकास के चरणों को स्मरण करके आनन्दित होते हैं। अनेक माता-पिता एक छोटी पुस्तिका में लिख कर रखते हैं कि उनके बच्चे ने पहली बार कब पलटना आरंभ किया, कब बैठना, कब घुटनों के बल चलना, कब खड़े होकर चलना आदि आरंभ किया। कई दफा वे बच्चों के इन विकास-चरणों की फोटो भी निकाल कर और उनके छोटे-छोटे कपड़े सहेज कर रखते हैं, जिससे उन बहुमूल्य पलों के अनुभवों का आनन्दमय स्मरण उनके साथ रह सके।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 2:19 में हम लिखा पाते हैं कि प्रभु यीशु की सांसारिक माता - मरियम ने भी प्रभु यीशु के जन्म और विकास का ब्यौरा अपने मन में सहेज कर रखा और वह उन बातों पर विचार करती थी। यहाँ मूल युनानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद ’विचार करना’ हुआ है उसका तात्पर्य होता है तुलनात्मक अध्ययन के लिए साथ-साथ रखना। मरियम ने प्रभु यीशु के जन्म के समय स्वर्गदूतों तथा चरवाहों से अपने पुत्र के संबंध में बड़ी-बड़ी बहुत सी बातें सुनी थीं (लूका 1:32; 2:17-18)। अब जैसे जैसे प्रभु का जीवन मरियम के सामने खुल रहा था वह उसके संबंध में दी गई प्रतिज्ञाओं और उसके प्रत्यक्ष जीवन एवं व्यवहार पर तुलनात्मक विचार करती रहती थी।

   यह हम मसीही विश्वासियों के लिए एक अनुसरणीय उदाहरण है - जब हम परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के बारे में लिखी भविष्यवाणियों और बातों का अध्ययन करके उन बातों की तुलना प्रभु यीशु के जीवन तथा उसके द्वारा हमारे जीवनों में किए जाने वाले कार्यों से करते हैं, तो हमारा मसीही विश्वास बढ़ता है और हम प्रोत्साहित होते हैं। बाइबल हमें आश्वस्त करती है कि प्रभु यीशु हमारे जीवनों में कार्य करता है (यूहन्ना 14:21); वह हमारी प्रार्थनाओं को सुनकर उनका उत्तर देने वाला परमेश्वर है (1 यूहन्ना 5:14-15); वह हमारे क्लेषों में हमें ढाढ़स और सांत्वना देता है (2 कुरिन्थियों 1:3-4) और हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है (फिलिप्पियों 4:19)।

   जब हम अपने प्रभु परमेश्वर और उसके वचन तथा कार्यों पर विचार करते हैं तो परमेश्वर की विश्वासयोग्यता, उसके महान कार्य, उसकी सामर्थ, उसकी योजनाएं हमारे सामने आती हैं और हमें हमारे मसीही विश्वास में स्थिर तथा दृढ़ करती हैं। प्रभु यीशु और उसके वचन के बारें विचार करें; यह आपके जीवन की उन्नति एवं बढ़ोतरी के लिए लाभदायक रहेगा। - डेनिस फिशर


परमेश्वर प्रतिज्ञाओं द्वारा देता है जिससे हम विश्वास द्वारा उसे ग्रहण कर सकें।

और मेरा पिता मुझे यह कह कर सिखाता था, कि तेरा मन मेरे वचन पर लगा रहे; तू मेरी आज्ञाओं का पालन कर, तब जीवित रहेगा। - नीतिवचन 4:4 

बाइबल पाठ: लूका 2:8-19
Luke 2:8 और उस देश में कितने गड़ेरिये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्ड का पहरा देते थे। 
Luke 2:9 और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। 
Luke 2:10 तब स्वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा। 
Luke 2:11 कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है। 
Luke 2:12 और इस का तुम्हारे लिये यह पता है, कि तुम एक बालक को कपड़े में लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे। 
Luke 2:13 तब एकाएक उस स्वर्गदूत के साथ स्‍वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्‍तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया। 
Luke 2:14 कि आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्‍ति हो। 
Luke 2:15 जब स्वर्गदूत उन के पास से स्वर्ग को चले गए, तो गड़ेरियों ने आपस में कहा, आओ, हम बैतलहम जा कर यह बात जो हुई है, और जिसे प्रभु ने हमें बताया है, देखें। 
Luke 2:16 और उन्होंने तुरन्त जा कर मरियम और यूसुफ को और चरनी में उस बालक को पड़ा देखा। 
Luke 2:17 इन्हें देखकर उन्होंने वह बात जो इस बालक के विषय में उन से कही गई थी, प्रगट की। 
Luke 2:18 और सब सुनने वालों ने उन बातों से जो गड़िरयों ने उन से कहीं आश्चर्य किया। 
Luke 2:19 परन्तु मरियम ये सब बातें अपने मन में रखकर सोचती रही।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 66-67
  • रोमियों 7