कुछ वर्ष पहले की बात है कि परमेश्वर के वचन बाइबल के हमारे सामूहिक अध्ययन के समय हमारे दल के अगुवे ने हम सब के सामने चुनौती रखी कि हम बाइबल से एक पूरा अध्याय कण्ठस्त करें और फिर सब लोगों के सामने खड़े होकर उसे दोहराएं। तुरंत ही अपने अन्दर ही अन्दर मैं इसका विरोध करने लगी और इसे लेकर दुखी होने लगी - एक पूरा अध्याय; कण्ठस्त; सबके सामने दोहराना - मुझे से कभी नहीं होगा क्योंकि कुछ भी कण्ठस्त कर लेना कभी भी मेरी क्षमताओं में सम्मिलित नहीं रहा था। मैं सोच सोच कर ही घबरा रही थी कि मेरी बारी आएगी, मैं हिचकिचाते हुए बोलना आरंभ करूंगी और फिर कहीं अटक कर रुक जाऊंगी, सभी लोग मेरी ओर देख रहे होंगे और मैं खामोश खड़ी कसमसा रही होऊंगी, अगले शब्द स्मरण करने और अपनी शर्मिन्दगी छुपाने के असफल प्रयास कर रही होऊंगी।
इसके कुछ दिन के पश्चात, बड़े अनमने भाव से कोई अध्याय कण्ठस्त करने के लिए मैं अपनी बाइबल के पन्ने पलटने लगी; लेकिन स्मरण करने के लिए मुझे कुछ भी सही सूझ नहीं पड़ रहा था। फिर मैं फिलिप्पियों 4 अध्याय पर आकर रुक गई। उस अध्याय का एक पद मेरे सामने था, और मैंने उसे मन और मुँह की शान्ति के साथ ध्यान से पढ़ा, "किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं" (फिलिप्पियों 4:6)। बस मुझे मिल गया था कि मुझे कौन सा अध्याय स्मरण करना है, और यह भी कि मैं कैसे अपनी ज़िम्मेदारी से संबंधित हर चिंता से बच कर निश्चिंत आगे बढ़ सकती हूँ, इस कार्य को भली भांति कर सकती हूँ।
परमेश्वर की कद्पि यह इच्छा नहीं है कि हम अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहें, क्योंकि चिंता हमारे प्रार्थना के जीवन को पंगु कर देती है। प्रेरित पौलुस ने हमें लिखा है कि चिंता करने और घबराने की बजाए हमें परमेश्वर से सहायता मांगनी चाहिए। जब हम पौलुस की कही इस बात को अपनी चिंताओं पर जयवन्त होने का अपना जीवन मार्ग बना लेंगे, तब परमेश्वर की शांति हमारे मन-मस्तिष्क को स्थिर और हमें शांति में बनाए रखेगी (पद 7)।
किसी ने कटाक्ष करते हुए कहा है, "जब हम आसानी से चिंता कर सकते हैं, तो फिर प्रार्थना में ज़ोर क्यों लगाएं?" कहने का तात्पर्य स्पष्ट है, चिंता करने से कुछ नहीं मिलता, लेकिन प्रार्थना हमें उसके संपर्क में ले आती है जो सृष्टि को चलाता है और हमारी प्रत्येक चिंता का हल दे सकता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट
यदि हमारे हाथ प्रार्थना में परमेश्वर के आगे जुड़े हुए हैं तो उन्हें चिंता में मरोड़ना असंभव है।
अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा। - भजन 55:22
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:1-9
Philippians 4:1 इसलिये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।
Philippians 4:2 मैं यूओदिया को भी समझाता हूं, और सुन्तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें।
Philippians 4:3 और हे सच्चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्त्रियों की सहयता कर, क्योंकि उन्होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं।
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्दित रहो।
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 33-36