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शनिवार, 26 मार्च 2011

जीवन जल

एक छोटे शहर में हो रही सुसमाचार सभा में एक व्यक्ति को अपनी पापमय दशा और प्रभु यीशु को ग्रहण करने की आवश्यक्ता बड़े सशक्त रूप से महसूस हुई, लेकिन उसने अपनी भावनाएं छुपा लीं और अपनी पत्नि तक को नहीं बताया, यद्यपि वह मसीही विश्वासी थी। एक शाम को जब उसकी पत्नि कहीं बाहर गई हुई थी वह अपने पाप बोध को लेकर बहुत बेचैन हुआ और घर के अन्दर इधर से उधर चक्कर काटने लगा। उसकी बेटी ने अपने पिता की बेचैनी देखी तो पूछा कि "क्या हुआ?" पिता ने बात टालने के लिए कहा "कुछ नहीं" और पाप बोध की अपनी बेचैनी छिपाने की कोशिश करने लगा। उस बच्ची ने बड़े सहज भाव से पूछा, "पिताजी, यदि आप प्यासे हैं तो जाकर पानी क्यों नहीं पी लेते?" उसके इन शब्दों ने पिता को चौंका दिया, उसे उस सुसमाचार सभा में कही गई बात याद आ गई कि उद्धार का सुसमाचार मुक्त बहते हुए जल के सोते की तरह है जिससे प्रत्येक प्यासा अपनी प्यास बिना किसी रोक टोक के बुझा सकता है। उसने और संघर्ष नहीं किया, उसी रात उसने अपने पापों की क्षमा माँगकर प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता करके ग्रहण कर लिया।

इस संसार के सोते तो केवल प्यास बढ़ाते ही हैं, मनुष्य की आत्मिक प्यास केवल प्रभु यीशु ही बुझा सकता है। प्रभु यीशु ने बड़े सीधे और स्पष्ट शब्दों में सुसमाचार प्रस्तुत किया; उन्होंने हमारे प्रतिदिन के जीवन से जुड़ी बातों, जैसे भोजन, जल, स्वीकृति आदि द्वारा उद्धार के सुसमाचार को समझाया। यीशु ने कहा "परन्‍तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्‍तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्‍त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।" (यूहन्ना ४:१४) - पौल वैन गोर्डर


सांसारिक उपलब्धियों के कुओं से जितना चाहे पी लो, प्यास बढ़ती ही है, कभी तृप्ति नहीं मिलती।

...यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। - यूहन्ना ७:३७

बाइबल पाठ: यूहन्ना ४:५-१५

Joh 4:5 सो वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है, जिस याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था।
Joh 4:6 और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्‍टे के लगभग हुई।
Joh 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला।
Joh 4:8 क्‍योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे।
Joh 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्‍यों मांगता है? (क्‍योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)।
Joh 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।
Joh 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया?
Joh 4:12 क्‍या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिस ने हमें यह कूआं दिया, और आप ही अपने सन्‍तान, और अपने ढारों समेत उस में से पीया?
Joh 4:13 यीशु ने उस को उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर पियासा होगा।
Joh 4:14 परन्‍तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्‍त काल तक पियासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्‍त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।
Joh 4:15 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं।

एक साल में बाइबल:
  • यहोशू २२-२४
  • लूका ३