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मंगलवार, 22 दिसंबर 2020

रणनीति

 

          मैं जब यह लिखने बैठा हूँ, उस समय तक मेरी पसंद की फुटबॉल टीम एक के बाद एक आठ खेल हार चुकी है, और हर हार के बाद उनके लिए इस वर्ष की खेल श्रृंखला में कोई स्थान प्राप्त कर पाना असंभव सा होता जा रहा है। उनके प्रशिक्षक ने हर सप्ताह परिवर्तन किए हैं, परन्तु उनसे जीत नहीं मिलाने पाई है। अपने साथ के सहकर्मियों के साथ बात करते हुए मैंने मज़ाक में कहा है, केवल एक भिन्न परिणाम की आशा रखना ही उसे पा लेने की कोई गारंटी नहीं है; केवल आशा रखना ही कोई रणनीति नहीं है।

          मेरी कही यह बात फुटबॉल के लिए तो सत्य है, परन्तु हमारे आत्मिक जीवनों में, इसका बिलकुल विपरीत ही सत्य है। न केवल परमेश्वर में आशा बनाए रखना एक उत्तम रणनीति है, वरन, भरोसे के साथ उससे लिपटे रहने और उस पर विश्वास बनाए रखना ही सफलता की एकमात्र रणनीति होती है। यह संसार हमें अकसर निराश करता है, परन्तु आशा हमें परमेश्वर के सत्य और सामर्थ्य में दृढ़ करती है और कठिन समयों को पार करने में सहायक होती है।

          मीका नबी ने इस वास्तविकता को समझा था। इस्राएल के लोगों के, परमेश्वर से विमुख हो जाने से वह बहुत दुखी था; उसने कहा, हाय मुझ पर! ... भक्त लोग पृथ्वी पर से नाश हो गए हैं, और मनुष्यों में एक भी सीधा नहीं जन नहीं रहा” (मीका 7:1-2)। लेकिन फिर उसने अपने ध्यान को फिर से अपनी उस सच्ची आशा पर केन्द्रित किया: “परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा” (पद 7)।

          कठिन समयों में आशा को बनाए रखने के लिए क्या चाहिए होता है? मीका हमें दिखाता है: बाट जोहना; प्रतीक्षा करना; प्रार्थना करना; स्मरण करते रहना। चाहे हमारी परिस्थितियाँ अभिभूत करने वाली भी हों, परमेश्वर फिर भी हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है। ऐसे समयों में, आशा को थामे रहना और परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना, उससे लिपटे रहना ही हमारे रणनीति होनी चाहिए – एकमात्र रणनीति जो हमें जीवन की आँधियों से पार लगाएगी। - एडम होल्ज़

 

जीवन के कठिन समयों में परमेश्वर के संबंध में सर्वोत्तम उपाय 

बाट जोहना; प्रतीक्षा करना; प्रार्थना करना; स्मरण करते रहना ही है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: मीका 7:1-7

मीका 7:1 हाय मुझ पर! क्योंकि मैं उस जन के समान हो गया हूं जो धूपकाल के फल तोड़ने पर, या रही हुई दाख बीनने के समय के अन्त में आ जाए, मुझे तो पक्की अंजीरों की लालसा थी, परन्तु खाने के लिये कोई गुच्छा नहीं रहा।

मीका 7:2 भक्त लोग पृथ्वी पर से नाश हो गए हैं, और मनुष्यों में एक भी सीधा नहीं जन नहीं रहा; वे सब के सब हत्या के लिये घात लगाते, और जाल लगा कर अपने अपने भाई का अहेर करते हैं।

मीका 7:3 वे अपने दोनों हाथों से मन लगा कर बुराई करते हैं; हाकिम घूस मांगता, और न्यायी घूस लेने को तैयार रहता है, और रईस अपने मन की दुष्टता वर्णन करता है; इसी प्रकार से वे सब मिल कर जालसाजी करते हैं।

मीका 7:4 उन में से जो सब से उत्तम है, जो सब से सीधा है, वह कांटे वाले बाड़े से भी बुरा है। तेरे पहरुओं का कहा हुआ दिन, अर्थात तेरे दण्ड का दिन आ गया है। अब वे शीघ्र चौंधिया जाएंगे।

मीका 7:5 मित्र पर विश्वास मत करो, परम-मित्र पर भी भरोसा मत रखो; वरन अपनी अर्द्धांगिनी से भी संभल कर बोलना।

मीका 7:6 क्योंकि पुत्र पिता का अपमान करता, और बेटी माता के, और पतोहू सास के विरुद्ध उठती है; मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते हैं।

मीका 7:7 परन्तु मैं यहोवा की ओर ताकता रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा; मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • मीका 6-7
  • प्रकाशितवाक्य 13