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गुरुवार, 12 मार्च 2015

धन


   हम मनुष्यों के अन्दर एक धारणा है कि अधिक धन पा लेने से हम अपनी सभी समस्याओं का समाधान भी पा लेंगे। सन 2012 के आरंभ में 6.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विशाल ईनाम जीतने की लालसा में अमेरीकी लोगों ने 150 करोड़ डॉलर के लौटरी टिकिट खरीदे, यह जानते हुए भी कि ईनाम जीतने की संभावना का आंकड़ा 17.6 करोड़ में से 1 का था। लेकिन उस लौटरी के टिकिट को खरीदने के लिए लोग किराने की दुकानों, पेट्रोल पम्पों और कैफे आदि में जहाँ टिकिट बेचे जा रहे थे घंटों तक लंबी कतारों में खड़े रहे, इस आशा में कि वे धनवान हो जाएंगे।

   किंतु परमेश्वर के वचन बाइबल में उल्लेखित एक व्यक्ति, आगूर का धन के संबंध में अलग ही दृष्टिकोण था; उसने परमेश्वर से प्रार्थना करी कि उसके मरने से पहले परमेश्वर उसके लिए दो बातों को कर के दे। पहली बात थी: "...व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख..." तथा दूसरी बात थी: "...मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर" (नीतिवचन 30:8)। आगूर समझ चुका था कि चिंता रहित जीवन व्यतीत करने की कुंजी है ईमानदारी; जब हमारे पास कुछ छुपाने को नहीं होगा तो हमारे पास किसी बात को लेकर भयभीत रहने के लिए भी कुछ नहीं होगा। आगूर यह भी जान चुका था कि अपनी हर आवश्यकता के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखना एवं जो कुछ परमेश्वर प्रदान करे उसे कृतज्ञता के साथ स्वीकार करना ही सन्तुष्टि का स्त्रोत है क्योंकि परमेश्वर ही है जिसने सब कुछ बनाया है और वह ही सब का पालन करता है (नीतिवचन 30:4-5)।

   हमारा वस्तविक और स्थाई धन नाशमान सांसारिक नहीं वरन आत्मिक गुण ईमानदारी तथा संतुष्टि हैं, और ये सभी के लिए उपलब्ध हैं। जो कोई परमेश्वर पिता से इन के लिए निवेदन करता है, परमेश्वर अपने खज़ानों से उसे यह धन उपलब्ध करवा देता है। - डेविड मैक्कैसलैन्ड


असंतोष हमें निर्धन किंतु संतोष हमें धनवान बना देता है।

यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ। - यिर्मियाह 9:23-24

बाइबल पाठ: नीतिवचन 30:1-9
Proverbs 30:1 याके के पुत्र आगूर के प्रभावशाली वचन। उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा, 
Proverbs 30:2 निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है। 
Proverbs 30:3 न मैं ने बुद्धि प्राप्त की है, और न परमपवित्र का ज्ञान मुझे मिला है। 
Proverbs 30:4 कौन स्वर्ग में चढ़ कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवानों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता! 
Proverbs 30:5 ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है। 
Proverbs 30:6 उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे।
Proverbs 30:7 मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़: 
Proverbs 30:8 अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर। 
Proverbs 30:9 ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार कर के कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खो कर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19
  • मरकुस 13:1-20