हम अपने नाती-पोतों के साथ एक सैर पर निकले
थे, और जहाँ हम ठहरे थे वहाँ एक वेबकैम को एक उकाब के घोंसले और वहाँ रहने वाले
परिवार को दिखाते रहने के लिए केन्द्रित किया हुआ था। हम प्रतिदिन देखते कि कैसे
नर और मादा उकाब अपने बच्चे की देखभाल करते रहते थे; एक उसकी सुरक्षा के लिए उसके
साथ रहता था, तो दूसरा भोजन की खोज में जाता और उसके लिए भोजन ले कर आता था।
यह उकाब का परिवार हमारे लिए परमेश्वर के वचन
बाइबल में भजन 104 के भजनकार द्वारा परमेश्वर की महान सृष्टि के विभिन्न चित्रों
में से एक चित्र प्रस्तुत करता है।
हम परमेश्वर की सृष्टि की भव्यता को जगत में
(पद 2-4); संसार के जल समूहों, पर्वतों, वादियों में (पद 5-9); पशु, पक्षियों,
फसलों में (पद 10-18); प्रकृति के क्रमवार
कार्य करते रहने (पद 19-23); आदि में देखते हैं।
परमेश्वर ने हमारे आनन्द और अपनी महिमा के
लिए कैसी अद्भुत सृष्टि की रचना की है! “हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू
अत्यन्त महान है!” (पद 1)। हम में से प्रत्येक परमेश्वर
का धन्यवाद कर सकता है, उसकी अद्भुत सृष्टि का एक भाग होने, और सृष्टि का आनन्द ले
सकने के लिए। - डेव ब्रैनन
सृष्टि की
सुन्दरता सृष्टिकर्ता की सुन्दरता को प्रतिबिंबित करती है।
आकाश ईश्वर की
महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट
कर रहा है। - भजन 19:1
बाइबल पाठ: भजन
104:1-6, 10-23
भजन संहिता
104:1 हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर
यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र
पहिने हुए है,
भजन संहिता
104:2 जो उजियाले को चादर के समान ओढ़े रहता है, और आकाश को
तम्बू के समान ताने रहता है,
भजन संहिता
104:3 जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों
को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है,
भजन संहिता
104:4 जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए
बनाता है।
भजन संहिता
104:5 तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह
कभी न डगमगाए।
भजन संहिता
104:6 तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्र से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया।
भजन संहिता
104:10 तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच
से बहते हैं,
भजन संहिता
104:11 उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली
गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं।
भजन संहिता
104:12 उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के
बीच में से बोलते हैं।
भजन संहिता
104:13 तू अपनी अटारियों में से पहाड़ों को सींचता है तेरे कामों के फल से पृथ्वी
तृप्त रहती है।
भजन संहिता
104:14 तू पशुओं के लिये घास, और मनुष्यों के काम के लिये
अन्न आदि उपजाता है, और इस रीति भूमि से वह भोजन- वस्तुएं
उत्पन्न करता है,
भजन संहिता
104:15 और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और
तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिस से वह सम्भल जाता
है।
भजन संहिता
104:16 यहोवा के वृक्ष तृप्त रहते हैं, अर्थात लबानोन के
देवदार जो उसी के लगाए हुए हैं।
भजन संहिता
104:17 उन में चिड़ियां अपने घोंसले बनाती हैं; लगलग का
बसेरा सनौवर के वृक्षों में होता है।
भजन संहिता
104:18 ऊंचे पहाड़ जंगली बकरों के लिये हैं; और चट्टानें
शापानों के शरणस्थान हैं।
भजन संहिता
104:19 उसने नियत समयों के लिये चन्द्रमा को बनाया है; सूर्य
अपने अस्त होने का समय जानता है।
भजन संहिता
104:20 तू अन्धकार करता है, तब रात हो जाती है; जिस में वन के सब जीव जन्तु घूमते फिरते हैं।
भजन संहिता
104:21 जवान सिंह अहेर के लिये गरजते हैं, और ईश्वर से अपना
आहार मांगते हैं।
भजन संहिता
104:22 सूर्य उदय होते ही वे चले जाते हैं और अपनी मांदों में जा बैठते हैं।
भजन संहिता
104:23 तब मनुष्य अपने काम के लिये और सन्ध्या तक परिश्रम करने के लिये निकलता है।
एक साल में बाइबल:
- अय्यूब 30-31
- प्रेरितों 13:26-52