हाल
ही में मैं आर्थिक सलाह की पुस्तकों के पृष्ठ पलटने लगी हूँ, और मैंने एक रोचक
विचारधारा देखी है। यद्यपि लगभग सभी पुस्तकों में अच्छी सलाह दी गयी है, और
अधिकाँश पुस्तकें कहती हैं कि अभी सादगी और कम खर्च का जीवन जीएं और बचत करें जिससे
बाद में समृद्ध जीवन जीया जा सके। परन्तु एक पुस्तक ने एक बिलकुल भिन्न दृष्टिकोण
प्रस्तुत किया, उसमें लिखा था कि यदि आनन्दित और प्रसन्न रहने के लिए आपको बहुतायत
में तथा अनोखा सामान चाहिए, तो फिर आप जीवन जीने के मुख्य मुद्दे से ही चूक गए
हैं।
इन
व्यावहारिक शब्दों ने मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु मसीह के शब्दों
और प्रतिक्रिया का ध्यान करवाया, जब एक व्यक्ति ने उनके पास आकर उन से कहा कि उसके
भाई को उसके साथ संपत्ति का बँटवारा करने के लिए कहे। उस व्यक्ति के साथ सहानुभूति
दिखाने के स्थान पर, प्रभु यीशु ने तुरंत ही उसकी बात को अस्वीकार कर दिया, और उसे
कठोर शब्दों में सचेत किया, “...हे मनुष्य, किस ने
मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? और
उसने उन से कहा, चौकस रहो, और हर
प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की
बहुतायत से नहीं होता” (लूका 12:14-15)।फिर प्रभु ने एक
दृष्टांत के द्वारा एक धनी व्यक्ति के अपनी बहुतायत की फसल को एकत्रित कर के
विलासिता के जीवन जीने की योजना के बारे में बताया, जिसका बहुत अनपेक्षित तथा कटु
परिणाम निकला – उसका धन उसके किसी काम नहीं आया, उसी रात उसका जीवन समाप्त हो गया
(आयत 16-20)।
यद्यपि
हमें अपने संसाधनों का बुद्धिमत्ता से सदुपयोग करना है, प्रभु के शब्द हमें ध्यान
करवाते हैं कि हम अपने उद्देश्यों पर ध्यान रखें। हमारे मनों को परमेश्वर के राज्य
के लिए उपयोगी होने के लिए, परमेश्वर को और निकटता से जानने तथा औरों की सेवा करते
रहने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए – न कि अपने भविष्य की चिंता करने में लगे रहें
(पद 29-31)। जब हम प्रभु के लिए जीवन जीएंगे और दूसरों के साथ अपने संसाधनों को
साझा करेंगे, तो हम आज और अभी उसके साथ एक संपन्न जीवन का आनन्द ले सकेंगे, जो
हमारे जीवन को सार्थक करेगा (पद 32-34)। - मोनिका ब्रैंड्स
हमें परमेश्वर के राज्य में संपन्न जीवन
व्यतीत करने के लिए
किसी बात की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है।
इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की
खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। - मत्ती 6:33
बाइबल पाठ: लूका 12: 13-34
लूका 12:13 फिर भीड़ में से एक ने उस से
कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।
लूका 12:14 उसने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने
वाला नियुक्त किया है?
लूका 12:15 और उसने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए
रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
लूका 12:16 उसने उन से एक दृष्टान्त कहा,
कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
लूका 12:17 तब वह अपने मन में विचार करने
लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे
यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
लूका 12:18 और उसने कहा; मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
लूका 12:19 और वहां अपना सब अन्न और
संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन
कर, खा, पी, सुख
से रह।
लूका 12:20 परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा;
हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया
जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
लूका 12:21 ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने
लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।
लूका 12:22 फिर उसने अपने चेलों से कहा;
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की
चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न
अपने शरीर की, कि क्या पहिनेंगे।
लूका 12:23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है।
लूका 12:24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन
के भण्डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता
है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
लूका 12:25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
लूका 12:26 इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम
भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो?
लूका 12:27 सोसनों के पेड़ों पर ध्यान करो
कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान
भी, अपने सारे वैभव में, उन में से
किसी एक के समान वस्त्र पहिने हुए न था।
लूका 12:28 इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की
घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है; तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?
लूका 12:29 और तुम इस बात की खोज में न रहो,
कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्देह
करो।
लूका 12:30 क्योंकि संसार की जातियां इन सब
वस्तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि
तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है।
लूका 12:31 परन्तु उसके राज्य की खोज में
रहो, तो ये वस्तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
लूका 12:32 हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है,
कि तुम्हें राज्य दे।
लूका 12:33 अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो;
और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं
होते, अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और
जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।
लूका 12:34 क्योंकि जहां तुम्हारा धन है,
वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।
एक साल में बाइबल:
- यहोशू 22-24
- लूका 3