मेरी मुलाकात एक बड़ी खुशमिज़ाज़ स्त्री से हुई जो "मॉम्मा चार्ली" के नाम से जानी जाती थीं और जिसने एक दर्जन दत्तक बच्चों का पालन-पोषण किया है। उसे यह बच्चे न्यायालयों द्वारा देख-रेख के लिए दिए जाते थे, और वह महिला उन बच्चों को रहने और बढ़ने के लिए प्रेम और मार्गदर्शन देने वाला एक स्थिर घर उपलब्ध करवाती थी। उसने मुझे बताया कि जब भी कोई नया बच्चा उसके घर में आता तो पहला कार्य होता था उसे "मॉम्मा के नियम" बताना और समझाना। ये नियम परस्पर व्यवहार, एक दूसरे के प्रति जवाबदेही और एक दूसरे की सहायता करने तथा घर के कार्यों में हाथ बंटाने से संबंधित होते थे जिससे घर को सुचारू रूप से चलाया और संचालित किया जा सके क्योंकि वे बच्चे इन बातों को पहले से भली-भांति नहीं जानते थे।
कुछ बच्चे "मॉम्मा के नियम" सुनकर घबरा जाते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि इन नियमों के कारण उनके आनन्द और स्वतंत्रता में बाधा आएगी। लेकिन यह सत्य नहीं था; सत्य तो यह था कि इन नियमों के पालन द्वारा ही वह घर सुचारू रूप से चल सकता था जिससे वे सभी बच्चे और मॉम्मा शान्तिपूर्ण और आनन्दायक जीवन व्यतीत कर सकते थे।
इसी प्रकार कुछ लोग परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए परमेश्वर के नियमों एवं परस्पर व्यवहार के मानकों को जीवन का मज़ा लेने में बाधक के रूप में देखते हैं। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है; जो सीमाएं परमेश्वर ने हमारे चारों ओर निर्धारित करी हैं वे हमें हमारी बुरी प्रवृत्तियों और उनके दुषप्रभावों से बचाने और हमारे जीवनों में उसके तथा अन्य लोगों के प्रति अच्छे व्यवहार तथा प्रतिक्रीयाओं को उत्पन्न करने के लिए हैं।
उदाहरणस्वरूप इफिसीयों के 4 अध्याय में प्रेरित पौलुस हमें जीवन व्यतीत करने के कुछ मार्गदर्शन देता है। जब हम परमेश्वर के इन मार्गदर्शनों के अनुसार जीवन जीना आरंभ करते हैं तो हमें उसकी सुरक्षा तथा सच्चे आनन्द को पाने के अवसर भी मिलते हैं। - बिल क्राउडर
परमेश्वर का वचन वह कुतुबनुमा है जिसकी आज्ञाकारिता हमें सही मार्ग पर बनाए रखती है।
पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो। एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्व को उसके कामों समेत उतार डाला है। - कुलुस्सियों 3:8-9
बाइबल पाठ: इफिसियों 4:17-32
Ephesians 4:17 इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।
Ephesians 4:18 क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।
Ephesians 4:19 और वे सुन्न हो कर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें।
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।
एक साल में बाइबल:
- 1 राजा 14-15
- लूका 22:21-46