वियतनाम में पाए जाने वाले मोटे पेट वाले सूअरों से लेकर साईबीरिया में पाई जाने वाली लोमड़ी तक, मनुष्यों ने सभी प्रकार के जंगली जानवरों को नियंत्रित कर रखा है। लोगों को बन्दरों से करतब करवाना, और उनसे तथा अन्य जानवरों से विज्ञापनों एवं फिल्मों में अभिनय करवाना, हिरनों को अपने हाथों में से खाना लेना आदि अच्छा लगता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने लिखा है, "क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं" (याकूब 3:7)।
परन्तु कुछ ऐसा भी है जिसे नियंत्रित करना मनुष्य के लिए संभव नहीं है; और इस छोटी सी चीज़ के कारण हम सभी, कभी ना कभी किसी ना किसी परेशानी में अवश्य ही पड़े हैं - हमारी जीभ। इसके विषय में याकूब आगे लिखता है, "पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है" (याकूब 3:8)। ऐसा क्यों? क्योंकि हमारे शब्दों का उच्चारण चाहे हमारी जीभ के द्वारा होता है, परन्तु उनका उदगम स्थल हमारा मन है और प्रभु यीशु ने कहा, "...क्योंकि जो मन में भरा है, वही मुंह पर आता है" (मत्ती 12:34)। और इसीलिए जीभ भली और बुरी दोनों ही प्रकार की बातों के लिए प्रयुक्त होती है (याकूब 3:9)। इस बात के लिए विद्वान, पीटर डेविड्स, ने कहा है, "एक ओर तो [जीभ] बहुत धर्मी और सदाचारी हो सकती है, परन्तु दूसरी ओर वही जीभ बहुत अशुद्ध और बुराई से भरी भी हो सकती है।"
यदि हम अपने इस छोटे से अंग को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो क्या यह हमारे जीवन भर हमें प्रतिदिन समस्या में डालने वाली परेशानी बनकर रहेगी, हमेशा बुराई करने को तैयार (पद 10)? परमेश्वर के अनुग्रह से ऐसा नहीं है। परमेश्वर ने हमें मजबूर और असहाय नहीं छोड़ा है। यदि हम परमेश्वर को करने दें तो, जैसा भजनकार कहता है, वह हमारे मुँह पर "पहरा बैठा" कर हमारे होंठों की रखवाली कर सकता है (भजन 141:3)। परमेश्वर के लिए कुछ असंभव नहीं है; वह अनियंत्रित को नियंत्रित कर सकता है। - डेव ब्रैनन
अपनी जीभ को नियंत्रित करने के लिए अपने मन को प्रभु यीशु के नियंत्रण में समर्पित कर दें।
हे यहोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार पर रखवाली कर! मेरा मन किसी बुरी बात की ओर फिरने न दे; मैं अनर्थकारी पुरूषों के संग, दुष्ट कामों में न लगूं, और मैं उनके स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं में से कुछ न खाऊं! - भजन 141:3-4
बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 19-20
- मत्ती 27:51-66