ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

आश्वस्त


   परिवार के रूप में एकसाथ होने का यह छुट्टी का हमारा आखिरी समय था; इसके पश्चात हमारे सबसे बड़े बेटे ने कॉलेज चले जाना था। समुद्र तट के निकट के उस चर्च में हम एक साथ एक पंक्ति में अन्तिम बेन्च पर बैठे हुए थे, और अपने पाँचों बच्चों को सुव्यवस्थित बैठा देख कर मेरा हृदय प्रेम से भर उठा। आते समय में उन पर आने वाले दबावों और जिन चुनौतियों का उन्हें सामना करना पड़ेगा, उसका विचार करके मैंने मन ही में प्रार्थना करी, "प्रभु, कृपया इन्हें अपने निकट बनाए रखना और इनके आत्मिक जीवन की रक्षा करना।

   चर्च सभा में गाए गए अन्तिम स्तुति-गीत का कोरस बहुत उत्साहवर्धक था, वह परमेश्वर के वचन बाइबल के 2 तिमुथियुस 1:12 पर आधारित था जहाँ लिखा है: "इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्‍चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है" इस से मुझे बहुत शांति मिली क्योंकि मैं आश्वस्त हुई कि परमेश्वर उनकी आत्माओं की रक्षा करेगा।

   इस बात को कई वर्ष बीत चुके हैं। इस समय में मेरे कुछ बच्चों के लिए इधर-उधर भटकने के, और कुछ के लिए पूर्णतया विद्रोह कर देने के अवसर हुए हैं। कभी कभी परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को लेकर मन में संदेह भी आए हैं। ऐसे में मुझे बाइबल का प्रमुख पात्र अब्राहम स्मरण हो आता है; वह परिस्थितियों में पड़कर लड़खड़ाया तो परन्तु परमेश्वर से उसे मिली प्रतिज्ञाओं (उत्पत्ति 15:5-6; रोमियों 4:20-21) में विश्वास को लेकर कभी भी गिरा नहीं। वर्षों की प्रतीक्षा और अपने ही तरीके से परमेश्वर के कार्य को आगे बढ़ाने के असफल प्रयत्नों के बावजूद, अब्राहम परमेश्वर की प्रतिज्ञा को थाम कर चलता रहा जब तक कि इसहाक का जन्म नहीं हो गया।

   भरोसा रखने का स्मरण दिलाने वाली यह बात मुझे प्रोत्साहित करती है। हम प्रार्थना में परमेश्वर के सामने अपने निवेदन रखते हैं। हम स्मरण रखते हैं कि उसे हमारी चिंता रहती है। हम जानते हैं कि वह सर्वसामर्थी है। उसमें भरोसा रखकर हम आश्वस्त रहते हैं कि वह जो भी करेगा हमारी भलाई ही के लिए करेगा। - मेरियन स्ट्राउड


धैर्य के कुछ पाठ सीखने में लंबा समय लगता है।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: रोमियों 4:16-22
Romans 4:16 इसी कारण वह विश्वास के द्वारा मिलती है, कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि प्रतिज्ञा सब वंश के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसके लिये जो व्यवस्था वाला है, वरन उन के लिये भी जो इब्राहीम के समान विश्वास वाले हैं: वही तो हम सब का पिता है। 
Romans 4:17 जैसा लिखा है, कि मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है उस परमेश्वर के साम्हने जिस पर उसने विश्वास किया और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं, उन का नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं। 
Romans 4:18 उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो। 
Romans 4:19 और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ। 
Romans 4:20 और न अविश्वासी हो कर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ हो कर परमेश्वर की महिमा की। 
Romans 4:21 और निश्चय जाना, कि जिस बात की उसने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है। 
Romans 4:22 इस कारण, यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजेकल 24-26
  • 1 पतरस 2