जीवन
की परेशानियां हमें चिड़चिड़ा और तुनक मिज़ाज़ बना सकती हैं, परन्तु इस प्रकार के बुरे
व्यवहार के लिए हमें बहानों के पीछे छिपने के प्रयास नहीं करने चाहिएं क्योंकि ऐसे
व्यवहार से हमारे आस-पास दुःख का वातावरण रहता है तथा यह उन्हें, जिनसे हम प्रेम
करते हैं, निराश कर सकता है। जब तक कि हम मनोहर रहना नहीं सीख लेते हैं, हम औरों
के प्रति अपने कर्तव्य को पूर्ण नहीं करते हैं।
परमेश्वर
के वचन बाइबल के नए नियम खंड में उस गुण को एक नाम दिया गया है जो हमारे इस प्रकार
से अप्रिय होने को सुधारता है; वह सद्गुण है नम्रता। नम्रता वह गुण है जो एक दयालु
और अनुग्रही आत्मा को दिखाता है। इफिसियों 4:2 हमें स्मरण करवाता है कि “सारी
दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक
दूसरे की सह लो।”
नम्रता
में होकर हम अपनी सीमाओं और दुखों को स्वीकार करते हुए, अपने क्रोध या खिसियाहट को
किसी अन्य पर नहीं निकालते हैं। इसी के द्वारा हम छोटी से छोटी सेवा के लिए भी
कृतज्ञ होना जानते हैं और जो हमारी सेवा करने में कुछ कमी भी रखते हैं, हम उनके
प्रति भी सहनशील रहते हैं। नम्रता के कारण हम परेशान करने वालों को भी सहन कर लेते
हैं – विशेषकर उन्हें जो शोर मचाने वाले हैं या उपद्रवी हैं, जैसे कि बच्चे;
क्योंकि बच्चों के प्रति सहनशील तथा दयालु रहना एक भले और नम्र व्यक्ति की पहचान
है। नम्रता भड़काए जाने पर भी उत्तेजित होकर व्यवहार नहीं करती है, वरन ऐसे में भी धीमी
शांत आवाज़ में बात करती है, और वह शांत भी रह सकते है क्योंकि कभी-कभी शान्ति बनाए
रखना ही कठोर और कडुवे शब्दों का सबसे उपयुक्त प्रत्युत्तर होता है।
प्रभु
यीशु मसीह ने कहा “मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र
और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे” (मत्ती
11:29)। यदि हम अपने जीवन प्रभु को समर्पित करें और उसे अनुमति दें, तो वह अंश-अंश
करके हमें अपने स्वरूप में बदलता चला जाएगा (2 कुरिन्थियों 3:18)। स्कॉटलैंड के एक
लेखक जॉर्ज मैकडौनल्ड ने कहा है, “[परमेश्वर] हमसे बातचीत का ऐसी कोई भी ऐसा लहज़ा
नहीं सुनेगा जिससे किसी दूसरे को धक्का लगे, कोई ऐसा शब्द जो किसी के दिल को दुखाए
... ऐसे और अन्य सभी पापों से हमें छुड़ाने के लिए ही प्रभु यीशु ने इस पृथ्वी पर जन्म
लिया था।” – डेविड रोपर
परमेश्वर के प्रति विनम्र और समर्पित रहना,
हमें औरों के प्रति दीन बनाएगा।
जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही
तुम्हारा भी स्वभाव हो। - फिलिप्पियों 2:5
बाइबल पाठ: इफिसियों 4:1-6
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्धुआ
हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए
थे, उसके योग्य चाल चलो।
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता
सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की
एकता रखने का यत्न करो।
Ephesians 4:4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने
बुलाए जाने से एक ही आशा है।
Ephesians 4:5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
Ephesians 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और
पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।
एक साल में बाइबल:
- अमोस 7-9
- प्रकाशितवाक्य 8