मैं और मेरी पत्नि हमारी बेटी से मिलने जाने के लिए 400 मील की सड़क यात्रा पर निकले। चलते समय मैंने बेटी के घर को हमारा गन्तव्य बनाकर जी.पी.एस. को सेट कर दिया जिससे वह हमें रास्ता दिखाता रहे। यात्रा के दौरान, एक स्थान पर आकर जी.पी.एस. ने ना जाने क्यों हमें मुख्य-अन्तर्राज्यमार्ग से हटाकर एक सह-मार्ग पर डाल दिया, जिससे हमें एक शहर के बाहर से चक्कर लगाकर फिर उसी मुख्य-अन्तर्राज्यमार्ग पर लौटकर आना पड़ा। मैं जी.पी.एस. द्वारा हमें दिलाए गए इस चक्कर को लेकर असामंजस में था, कि क्यों हमें एक सही और अच्छे-खासे अन्तर्राज्यमार्ग से पहले हटाया गया और फिर वापस उसी पर लाया गया। मुझे इस बात का उत्तर कभी नहीं मिल पाया, लेकिन हम उसी जी.पी.एस. की सहायता से अपनी बेटी के घर भी पहुँच गए और फिर वापसी की यात्रा में भी उसी जी.पी.एस. के सहारे सही-सलामत अपने घर तक भी आ गए।
इससे मुझे जीवन के मार्गों में अनेपक्षित आने वाले चक्करों के बारे में सोचने को भी मिला। हमें लगता है कि हम अपनी जीवन यात्रा में एक सुगम और सही मार्ग पर चले जा रहे हैं, और अचानक ही किसी परिस्थिति या घटना के द्वारा परमेश्वर हमें एक अन्य अनजान मार्ग पर मोड़ देता है। यह कोई बीमारी, कार्यस्थल अथवा घर में उत्पन्न होने वाली कोई विषम परिस्थिति, या कोई अनेपक्षित त्रासदी हो सकती है। हमें समझ नहीं आता कि परमेश्वर ने हमारे जीवनों में ये उथल-पुथल क्यों आने दी, या उस उथल-पुथल का उद्देश्य क्या है।
परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख नायक अब्राहम से परमेश्वर ने कहा, "यहोवा ने अब्राम से कहा, अपने देश, और अपनी जन्मभूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा" (उत्पत्ति 12:1)। उस समय अवश्य ही अब्राहाम ने सोचा तो होगा कि परमेश्वर उसके अच्छे-खासे घर-परिवार को उखाड़ कर एक रेगिस्तान और बियाबान में क्यों ले जा रहा है; परन्तु उसने परमेश्वर पर तथा परमेश्वर के उद्देश्यों तथा मार्गों पर विश्वास रखा और परमेश्वर के कहे अनुसार निकल पड़ा।
एक जी.पी.एस. गलतियाँ कर सकता है, परन्तु परमेश्वर नहीं। परमेश्वर के लिए भजनकार ने कहा है, "हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे; वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था" (भजन 22:4)। परमेश्वर हमारे जीवन के हर मार्ग पर, हर पल हमारे साथ रहता है, हमारा मार्गदर्शन करता है और हमारी भलाई के लिए ही प्रत्येक कार्य को करता है, होने देता है; उसके मार्ग रहस्यमय हो सकते हैं परन्तु हमारे लिए सदा सही और लाभदायक भी होते हैं। - डेव ब्रैनन
यदि हम मार्ग को जानने वाले के साथ बने रहें तो फिर हमें मार्ग को जानने की आवश्यकता नहीं है।
यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। - यूहन्ना 14:6
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 12:1-10; 13:1
Genesis 12:1 यहोवा ने अब्राम से कहा, अपने देश, और अपनी जन्मभूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा।
Genesis 12:2 और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा, और तुझे आशीष दूंगा, और तेरा नाम बड़ा करूंगा, और तू आशीष का मूल होगा।
Genesis 12:3 और जो तुझे आशीर्वाद दें, उन्हें मैं आशीष दूंगा; और जो तुझे कोसे, उसे मैं शाप दूंगा; और भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे।
Genesis 12:4 यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राम चला; और लूत भी उसके संग चला; और जब अब्राम हारान देश से निकला उस समय वह पचहत्तर वर्ष का था।
Genesis 12:5 सो अब्राम अपनी पत्नी सारै, और अपने भतीजे लूत को, और जो धन उन्होंने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्होंने हारान में प्राप्त किए थे, सब को ले कर कनान देश में जाने को निकल चला; और वे कनान देश में आ भी गए।
Genesis 12:6 उस देश के बीच से जाते हुए अब्राम शकेम में, जहां मोरे का बांज वृक्ष है, पंहुचा; उस समय उस देश में कनानी लोग रहते थे।
Genesis 12:7 तब यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा: और उसने वहां यहोवा के लिये जिसने उसे दर्शन दिया था, एक वेदी बनाई।
Genesis 12:8 फिर वहां से कूच कर के, वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है; और अपना तम्बू उस स्थान में खड़ा किया जिसकी पच्छिम की ओर तो बेतेल, और पूर्व की ओर ऐ है; और वहां भी उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई: और यहोवा से प्रार्थना की
Genesis 12:9 और अब्राम कूच कर के दक्खिन देश की ओर चला गया।
Genesis 12:10 और उस देश में अकाल पड़ा: और अब्राम मिस्र देश को चला गया कि वहां परदेशी हो कर रहे -- क्योंकि देश में भयंकर अकाल पड़ा था।
Genesis 13:1 तब अब्राम अपनी पत्नी, और अपनी सारी सम्पत्ति ले कर, लूत को भी संग लिये हुए, मिस्र को छोड़ कर कनान के दक्खिन देश में आया।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 47-49
- 1 थिस्सलुनीकियों 4