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बुधवार, 7 अप्रैल 2010

मेरे अतिथियों की सूची में कौन है?

मुझे भोज आयोजित करना और लोगों को उन्में आमंत्रित करना पसन्द है। मैं कभी कभी टोनिया से कहता हूं, "कुछ समय से हमने किसी को भोज पर आमंत्रित नहीं किया है। हमें किसे आमंत्रित करना चाहिये?" फिर अपने मित्रों और जानकारों की सुची पर ध्यान करके हम देखते हैं कि कौन हैं जिन्हें हमने लंबे समय से या कभी नहीं बुलाया। अकसर यह सूचि उन लोगों की होती है जो हमारे जैसे ही विचार और रहन-सहन वाले होते हैं और जो हमें वापस भोज पर निमंत्रित कर सकते हैं। लेकिन अगर हम यीशु से पूछें कि हमें किसे बुलाना है तो उसकी सूची बिलकुल भिन्न होगी।

एक दिन एक प्रमुख फरीसी ने यीशु को अपने घर बुलाया, शायद भोज पर, संभवतः उसे किसी बात में फंसाने के अवसर की तलाश में। वहां पर यीशु ने एक आदमी को चंगा किया और अपने न्यौता देने वाले को एक प्रभावी पाठ पढ़ाया: भोज के लिये आमंत्रित करते समय केवल अपने मित्रों, सम्बंधियों और अमीर पड़ौसियों को ही मत बुलाओ, जो तुम्हें वापस भोज दे सकते हैं। तुम्हें गरीब, लूले-लंगड़े और अन्धे लोगों को भी बुलाना चाहिये। यीशु ने उसे निश्चय दिया कि ऐसे लोग उसे बदले में कुछ नहीं दे सकेंगे, लेकिन परमेश्वर उसे आशीष देगा और वह धन्य होगा।

जैसे यीशु दीन-दुखियों से प्रेम करता है, वह हमें भी उन्हें प्रेम करने के लिये आमंत्रित करता है, अपने हृदय और अपने घर उनके लिये खोल देने द्वारा। - मार्विन विलियम्स


अपने हृदय और अपने घर खोलने से दुसरे ही नहीं हम भी आशीशित होते हैं।


बाइबल पाठ: लूका १४:७-१४


जब तू भोज करे तो कंगालों, टुण्डों, लंगड़ों और अन्धों को बुला। तब तू धन्य होगा। - लुका १४:१३, १४


एक साल में बाइबल:
  • १ शमुएल ७-९
  • लूका ९:१८-३६