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शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

चिरस्थायी प्रेम

विशेष दिनों पर मैं "गूगल" के घरेलू पृष्ट की कलाकारिता का आनन्द लेता हूँ। पिछले "वैलेन्टाईन दिन" का कलात्मक चित्र एक बूढ़े दम्पति का था - पुरुष के हाथ में छड़ी और साथ में बूढ़ी स्त्री थी, वे हाथ में हाथ लिये चले जा रहे थे, स्त्री के हाथ में दो हृदय के आकार के गुब्बारे थे। यह दर्शाने का प्रयास था कि जीवन की यात्रा में सच्चे प्रेम की कोई उम्र नहीं है, चाहे यह दिन जवान प्रेमी जोड़ों पर केंद्रित होता है।

१ कुरिन्थियों १३ में पौलूस प्रेम की गहराई और शक्ति को दर्शाता है। वह स्वार्थपूर्ण और उथले प्रेम से परे है: "प्रेम धीरजवंत है और कृपालु है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता और फूलता नहीं। वह अन्रीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है। वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों से धीरज धरता है। प्रेम कभी टलता नहीं" (पद ४-८)।

जब हमारी ज़िम्मेदारियाँ जीवन की अग्निपरीक्षा में जांची जाती हैं, मुश्किलें कुछ भी हों, तब परमेश्वर अपने स्थिर प्रेम और कृपा का अनुभव हमें और अधिकाई से रोज़ाना देता रहे। - डेविड मैक्कैस्लैन्ड


परमेश्वर का प्रेम एक ऐसा वस्त्र है जो क्लेश के पानी में कितना भी धुले, उसका रंग फीका नहीं पड़ता।



बाइबल पाठ:१ कुरिन्थियों १३:१-८


(प्रेम) सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। - १ कुरिन्थियों १३:७



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १४
  • मत्ती २६:५१-७५