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रविवार, 25 अप्रैल 2021

संतुष्टि

 

          हमारा पोते, जे, के बचपन की एक घटना है, उसके जन्मदिन पर उसके माता-पिता ने उसे एक नई टी-शर्ट उपहार दी। वह उसे पा कर बहुत प्रफुल्लित हुआ और उसने तुरंत ही उसे पहन लिया, और सारे दिन उत्साह के साथ पहने रहा। अगले दिन भी जब वह उसी टी-शर्ट को पहने हुए आया, तो उसके पिता ने उससे पूछा, “जे, क्या यह टी-शर्ट तुम्हें खुश करती है?” तो जे का उत्तर था, “अब उतना नहीं करती, जितना कल कर रही थी!” भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने के साथ यही समस्या है – जीवन की भली वस्तुएँ भी हमें वह गहरी, चिर-स्थाई संतुष्टि नहीं दे सकती हैं जिसे हम इतनी लालसा से प्राप्त करना चाहते हैं। हमारे पास अनेकों वस्तुएँ हो सकती हैं, फिर भी हम असंतुष्ट बने रहेंगे।

          संसार भौतिक वस्तुओं को एकत्रित करने के द्वारा संतुष्टि और प्रसन्नता देने का प्रस्ताव देता है: नए कपड़े, नई कार, नया फोन, नई घड़ी, आदि। लेकिन कोई भी भौतिक वस्तु क्यों न हो, अगले दिन उसकी संतुष्टि उतनी नहीं रहती है जितनी पहले दिन थी। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम परमेश्वर से संतुष्टि मिलने के लिए बनाए गए हैं, और उसके अतिरिक्त और कुछ भी वह इच्छित संतुष्टि हमें नहीं दे सकता है।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रभु यीशु के चालीस दिन के उपवास के उपरान्त, जब उसे भूख लगी, तब शैतान ने उसे प्रलोभन दिया कि वह पत्थरों को रोटी में बदल कर अपनी भूख की संतुष्टि कर ले। किन्तु प्रभु उसके प्रलोभनों में नहीं आया, वरन उसका सामना परमेश्वर के वचन में से व्यवस्थाविवरण 8:3 में लिखी बात, “... मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है” के द्वारा किया (मत्ती 4:4)।

          प्रभु यीशु के कहने का यह तात्पर्य नहीं था कि हमें रोटी के सहारे जीवित नहीं रहना चाहिए; वे तो एक आत्मिक तथ्य को प्रकट कर रहे थे – हम मनुष्य केवल शारीरिक ही नहीं, आत्मिक सृष्टि भी हैं, इसलिए हम केवल शारीरिक भोजन ही के सहारे जीवित नहीं रह सकते हैं; हमें सच्चा आत्मिक भोजन भी चाहिए होता है। तभी हम संतुष्ट और स्वस्थ रहने पाएँगे।

          सच्ची संतुष्टि केवल परमेश्वर और उसकी बहुतायत से ही मिल सकती है। - डेविड एच. रोपर

 

परमेश्वर पिता आपके पास मेरी संतुष्टि के लिए सब कुछ है; 

मुझे आपकी बहुतायत के सहारे जीवन जीना सिखाएं।


जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूं वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है, बाप दादों के समान नहीं कि खाया, और मर गए: जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा। - यूहन्ना 6:57-58

बाइबल पाठ: मत्ती 4:1-11

मत्ती 4:1 तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान से उस की परीक्षा हो।

मत्ती 4:2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्त में उसे भूख लगी।

मत्ती 4:3 तब परखने वाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं।

मत्ती 4:4 उसने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।

मत्ती 4:5 तब शैतान उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया।

मत्ती 4:6 और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।

मत्ती 4:7 यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।

मत्ती 4:8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर

मत्ती 4:9 उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा।

मत्ती 4:10 तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।

मत्ती 4:11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 2 शमूएल 21-22
  • लूका 18:24-43