कुछ समय पहले संसार को मालुम पड़ा कि चीन के कुछ दूध उत्पादक दूध में मेलामीन नामक पदार्थ से मिलावट कर रहे थे क्योंकि इस पदार्थ के होने से जांचने के समय दूध में, शरीर की बढ़ोतरी के लिए आवश्यक, प्रोटीन की मात्रा अधिक आंकी जाती थी। किंतु मिलावट वाले उस दूध में यह अधिक प्रोटीन होना भ्रामिक था वास्तविक नहीं, हानिकारक था लाभकारी नहीं। थोड़े समय में बहुत से बच्चे मर गए या गंभीर रूप से बीमार पड़ गए, ऐसी लाइलाज बीमारियों द्वारा जिनका प्रभाव सारी उम्र उनपर रहेगा। इस प्रकार का मिलावट का कार्य को नया नहीं है, कई अन्य देशों मे भी, इसी उद्देश्य से, जानवरों के चारे में मेलामीन पिछले लगभग ४० वर्षों से मिलाया जा रहा है, और इसके प्रभाव भी यही रहे हैं - बीमार अथवा मरे हुए जानवर। परमेश्वर द्वारा दी गई शुद्ध चीज़ों में मनुष्य द्वारा अपनी अक्ल से करी गई मिलावट सदैव ही मनुष्यों की हानि का कारण रही है, चाहे वह शारीरिक बातों में हो या आत्मिक।
प्रेरित पतरस ने परमेश्वर के वचन को उस शुद्ध निर्मल दूध के समान बताया (१ पतरस २:२) जिसका नियमित प्रयोग आत्मिक शिशुओं की बढ़ोतरी के लिए अनिवार्य है। निर्मल का तात्पर्य है जिसमें कोई मलिनता, किसी दूषित पदार्थ की कोई मिलावट ना हो। आरंभिक मण्डली की स्थापना के साथ ही परमेश्वर के बैरियों और शैतान के लोगों द्वारा परमेश्वर की निर्मल और लाभकारी शिक्षाओं में मिलावट का कार्य आरंभ हो गया था, जो आज भी ज़ारी है। सबसे अधिक प्रयास किया जाता रहा है पश्चाताप द्वारा सेंतमेंत उद्धार की मूल शिक्षा को विधि-विधानों के पालन और भले कर्मों की अनिवार्यता द्वारा दूषित करने का।
आरंभिक मण्डली में लोग प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान के साथ यहूदी धर्म के अनुसार खतना कराने को भी उद्धार के लिए आवश्यक कहने लगे थे (प्रेरितों १५:१)। तब प्रभु यीशु के अनुयायी और मित्र प्रेरित पतरस ने इस धारणा की भर्त्सना और खण्डन करते हुए केवल प्रभु यीशु के अनुग्रह ही को उद्धार के लिए आवश्यक बताते हुए कहा: "तो अब तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो कि चेलों की गरदन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे बापदादे उठा सके थे और न हम उठा सकते। हां, हमारा यह तो निश्चय है, कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएंगे उसी रीति से हम भी पाएंगे" (प्रेरितों १५:१०, ११)।
प्रेरित पौलुस ने भी गलतिया के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उनके प्रभु यीशु के अनुग्रह से हटने के संबंध में लिखा: "मुझे आश्चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो श्रापित हो। जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो श्रापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं?" (गलतियों १:६-९)।
सावधान रहिए; यदि कोई भी शिक्षा परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई परमेश्वर की शिक्षाओं से भिन्न हो, या बाइबल में दी गई शिक्षाओं में कुछ जोड़ती या घटाती हो तो वह परमेश्वर की ओर से नहीं है; वह तो परमेश्वर के निर्मल आत्मिक दूध में घातक मिलावट है। हो सकता है कि मनुष्यों और संसार के पैमाने पर उसमें आपको "भली बातों" की मात्रा अधिक प्रतीत पड़े, परन्तु अन्ततः उन मिलावटी बातों का प्रभाव हानिकारक और विनाषकारी ही होगा।
"इसलिये सब प्रकार का बैरभाव और छल और कपट और डाह और बदनामी को दूर करके। नये जन्में हुए बच्चों की नाईं निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ" (१ पतरस २:१, २)। - सी.पी. हिया
परमेश्वर का वचन संपूर्ण है; उसमें किसी बात के जोड़े जाने या घटाए जाने की कोई आवश्यक्ता नहीं है।
नये जन्में हुए बच्चों की नाईं निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ। - १ पतरस २:२
बाइबल पाठ: प्रेरितों १५:१-११
Act 15:1 फिर कितने लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे कि यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।
Act 15:2 जब पौलुस और बरनबास का उन से बहुत झगड़ा और वाद-विवाद हुआ तो यह ठहराया गया, कि पौलुस और बरनबास, और हम में से कितने और व्यक्ति इस बात के विषय में यरूशलेम को प्रेरितों और प्राचीनों के पास जांए।
Act 15:3 सो मण्डली ने उन्हें कुछ दूर तक पहुंचाया; और वे फीनीके ओर सामरिया से होते हुए अन्यजातियों को मन फेरने का समाचार सुनाते गए, और सब भाइयों को बहुत आनन्दित किया।
Act 15:4 जब यरूशलेम में पहुंचे, तो कलीसिया और प्रेरित और प्राचीन उन से आनन्द के साथ मिले, और उन्होंने बताया कि परमेश्वर ने उन के साथ होकर कैसे कैसे काम किए थे।
Act 15:5 परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्होंने विश्वास किया था, उन में से कितनों ने उठ कर कहा, कि उन्हें खतना कराना और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देना चाहिए।
Act 15:6 तब प्रेरित और प्राचीन इस बात के विषय में विचार करने के लिये इकट्ठे हुए।
Act 15:7 तब पतरस ने बहुत वाद-विवाद के बाद खड़े होकर उन से कहा; हे भाइयो, तुम जानते हो, कि बहुत दिन हुए, कि परमेश्वर ने तुम में से मुझे चुन लिया, कि मेरे मुंह से अन्यजाति सुसमाचार का वचन सुनकर विश्वास करें।
Act 15:8 और मन के जांचने वाले परमेश्वर ने उन को भी हमारी नाई पवित्र आत्मा देकर उन की गवाही दी।
Act 15:9 और विश्वास के द्वारा उन के मन शुद्ध करके हम में और उन में कुछ भेद न रखा।
Act 15:10 तो अब तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो कि चेलों की गरदन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे बापदादे उठा सके थे और न हम उठा सकते।
Act 15:11 हां, हमारा यह तो निश्चय है, कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएंगे, उसी रीति से हम भी पाएंगे।
Act 15:1 फिर कितने लोग यहूदिया से आकर भाइयों को सिखाने लगे कि यदि मूसा की रीति पर तुम्हारा खतना न हो तो तुम उद्धार नहीं पा सकते।
Act 15:2 जब पौलुस और बरनबास का उन से बहुत झगड़ा और वाद-विवाद हुआ तो यह ठहराया गया, कि पौलुस और बरनबास, और हम में से कितने और व्यक्ति इस बात के विषय में यरूशलेम को प्रेरितों और प्राचीनों के पास जांए।
Act 15:3 सो मण्डली ने उन्हें कुछ दूर तक पहुंचाया; और वे फीनीके ओर सामरिया से होते हुए अन्यजातियों को मन फेरने का समाचार सुनाते गए, और सब भाइयों को बहुत आनन्दित किया।
Act 15:4 जब यरूशलेम में पहुंचे, तो कलीसिया और प्रेरित और प्राचीन उन से आनन्द के साथ मिले, और उन्होंने बताया कि परमेश्वर ने उन के साथ होकर कैसे कैसे काम किए थे।
Act 15:5 परन्तु फरीसियों के पंथ में से जिन्होंने विश्वास किया था, उन में से कितनों ने उठ कर कहा, कि उन्हें खतना कराना और मूसा की व्यवस्था को मानने की आज्ञा देना चाहिए।
Act 15:6 तब प्रेरित और प्राचीन इस बात के विषय में विचार करने के लिये इकट्ठे हुए।
Act 15:7 तब पतरस ने बहुत वाद-विवाद के बाद खड़े होकर उन से कहा; हे भाइयो, तुम जानते हो, कि बहुत दिन हुए, कि परमेश्वर ने तुम में से मुझे चुन लिया, कि मेरे मुंह से अन्यजाति सुसमाचार का वचन सुनकर विश्वास करें।
Act 15:8 और मन के जांचने वाले परमेश्वर ने उन को भी हमारी नाई पवित्र आत्मा देकर उन की गवाही दी।
Act 15:9 और विश्वास के द्वारा उन के मन शुद्ध करके हम में और उन में कुछ भेद न रखा।
Act 15:10 तो अब तुम क्यों परमेश्वर की परीक्षा करते हो कि चेलों की गरदन पर ऐसा जूआ रखो, जिसे न हमारे बापदादे उठा सके थे और न हम उठा सकते।
Act 15:11 हां, हमारा यह तो निश्चय है, कि जिस रीति से वे प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाएंगे, उसी रीति से हम भी पाएंगे।
एक साल में बाइबल:
- यहोशू ७-९
- लूका १:२१-३८