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शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

सहज और सरल


   सन 1814 में सेमिनरी से स्नातक होने के पश्चात थोमस ग्लौडेट का इरादा मसीही विश्वास का प्रचारक बनने का था। लेकिन प्रचारक बनने के उसके इरादे ने एक अलग ही मोड़ ही मोड़ ले लिया जब उसकी मुलाकात एलिस नामक एक 9 वर्षीय लड़की से हुई। एलिस उसके पड़ौस में ही रहती थी और सुन नहीं सकती थी क्योंकि वह बधिर थी। ग्लौडेट ने लकड़ी के द्वारा मिट्टी पर लिख कर एलिस के साथ संवाद करने के प्रयास किए। एलिस के साथ इस प्रकार वार्तालाप कर पाने की सफलता ने ग्लौडेट को प्रेरित किया कि वह ऐसे अन्य बधिरों के साथ भी संवाद करने के प्रयास करे। उसने अमेरिका और यूरोप में बधिर लोगों की शिक्षा में लगे विशेषज्ञों से संपर्क तथा विचार-विमर्श करके एक सांकेतिक भाषा बनाई जिसमें हाथों की मुद्राओं के द्वारा सन्देश को बधिर लोगों तक पहुँचाया जाता है। अन्ततः अपने इस प्रयास को उसने एक औपचारिक रूप देकर "अमेरिकन स्कूल फ़ोर द डेफ" की स्थापना करी।

   ग्लौडेट के इस स्कूल में बधिर लोगों के लिए पाठ्यक्रम बनाया गया जो परमेश्वर के वचन बाइबल पर आधारित था, प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को बताता था और बाइबल के निर्देशों को सिखाता था। ग्लौडेट का प्रचारक बनने का आरंभिक इरादा इस प्रकार से पूरा हुआ, और वह प्रभु यीशु के प्रेम और अनुग्रह तथा परमेश्वर के कार्य के बारे में एक ऐसे विशेष लोगों तक परमेश्वर के वचन को पहुँचा सका जो इस आशीष से वंचित रहते थे। ग्लौडेट के इस सफल प्रयास का आधार था परमेश्वर के सुसमाचार को लोगों तक ऐसे रूप में पहुँचाना जिसे वे समझ सकें, ग्रहण कर सकें।

   यही आधार हम सभी मसीही विश्वासियों के लिए आज भी उतना ही आवश्यक है; हमें प्रभु यीशु में सारे संसार के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को ऐसे रूप में सभी लोगों तक पहुँचाना है जिसे वे समझ सकें और फिर ग्रहण कर सकें। अन्यथा "फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें?" (रोमियों 10:14)। परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए और विचार कीजिए कि अपने आस-पास के लोगों तक आप प्रभु यीशु मसीह के इस सुसमाचार को कैसे सहज और सरलता से समझ आने वाला बनाकर प्रस्तुत कर सकते हैं, और फिर उसे व्यावाहरिक रीति से कार्यान्वित कीजिए। - डेनिस फिशर


संसार के सर्वश्रेश्ष्ठ सन्देश को संसार के सभी लोगों तक पहुँचाएं, कोई इससे वंचित ना रहने पाए।

और उन से कहा, यों लिखा है; कि मसीह दु:ख उठाएगा, और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा। और यरूशलेम से ले कर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी के नाम से किया जाएगा। - लूका 24:46-47

बाइबल पाठ: रोमियों 10:1-14
Romans 10:1 हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उन के लिये परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है, कि वे उद्धार पाएं। 
Romans 10:2 क्योंकि मैं उन की गवाही देता हूं, कि उन को परमेश्वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं। 
Romans 10:3 क्योकि वे परमेश्वर की धामिर्कता से अनजान हो कर, और अपनी धामिर्कता स्थापन करने का यत्न कर के, परमेश्वर की धामिर्कता के आधीन न हुए। 
Romans 10:4 क्योंकि हर एक विश्वास करने वाले के लिये धामिर्कता के निमित मसीह व्यवस्था का अन्त है। 
Romans 10:5 क्योंकि मूसा ने यह लिखा है, कि जो मनुष्य उस धामिर्कता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह इसी कारण जीवित रहेगा। 
Romans 10:6 परन्तु जो धामिर्कता विश्वास से है, वह यों कहती है, कि तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? अर्थात मसीह को उतार लाने के लिये! 
Romans 10:7 या गहिराव में कौन उतरेगा? अर्थात मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये! 
Romans 10:8 परन्तु वह क्या कहती है? यह, कि वचन तेरे निकट है, तेरे मुंह में और तेरे मन में है; यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं। 
Romans 10:9 कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। 
Romans 10:10 क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है। 
Romans 10:11 क्योंकि पवित्र शास्त्र यह कहता है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा। 
Romans 10:12 यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है; और अपने सब नाम लेने वालों के लिये उदार है। 
Romans 10:13 क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। 
Romans 10:14 फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें?

एक साल में बाइबल: 
  • रोमियों 9-11