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सोमवार, 23 अप्रैल 2012

धन्य और एकमात्र आशा

   एक लेखक ने लिखा, "मैं जब पहले पहल मसीही विश्वास में आया, और उसके कुछ वर्षों पश्चात तक, मेरे लिए प्रभु यीशु मसीह का दूसरा आगमन एक रोमांच से भर देने वाला विचार, एक धन्य आशा, एक महिमामय प्रतिज्ञा और चर्च के सबसे अधिक प्रोत्साहित कर देने वाले स्तुति गीतों का विषय था। बाद में यह मेरे विश्वास का एक मूल सिद्धांत, अनिवार्य शिक्षा और मेरी मसीही सेवकाई पर विद्यमान अदृश्य छाप बन गया। दूसरे आगमन का यह विचार मेरी धार्मिक चर्चाओं का प्रीय विषय बन गया, चाहे वे मौखिक अथवा लिखित सन्देश के रूप में हों। अब मसीह का दूसरा आगमन मेरे लिए और भी कुछ अधिक हो गया है; प्रेरित पौलुस ने तो इसे ’धन्य आशा’ कहा है, किंतु आज मुझे यह संसार के लिए एकमात्र आशा लगता है।"

   मानवीय दृष्टिकोण से इस संसार के संघर्षों का कोई हल नहीं है। संसार के हर स्थान में समाज और परिस्थितियाँ बद से बदतर ही होती जा रही हैं, अर्थ व्यवस्था बिखरती जा रही है, नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है, स्वार्थ, अनुशासनहीनता और अराजक्ता बढ़ते जा रहे हैं और प्रत्येक संभावित समाधान अपने साथ नई समस्याएं और विभाजन ले कर आता है। मनुष्य के ज्ञान बुद्धि और समझ ने संसार की किसी समस्या का कोई स्थाई हल कभी नहीं दिया, वरन हर ’विकास’ के नाम पर इस संसार को तरह तरह के प्रदूषण - भौतिक अथवा अभौतिक, से भर दिया है। 
   संसार के नेता और अगुवे केवल आश्वासन देना जानते हैं और सुनहरे भविष्य के सपने ही दिखा सकते हैं। वे हर समस्या का समाधान आने वाले कल पर टालने में और अपना आज संवारने की कला में निपुण हैं। उनके अपने जीवन अशांति से भरे और अपराध में लिप्त हैं, वे दूसरों को शांति कहां से देंगे, वे दूसरों के लिए अपराध रहित समाज कैसे बनाएंगे?

   संसार की स्मस्याओं को सुलझाने का एकमात्र और पूर्ण हल है पृथ्वी पर मसीह का दूसरा आगमन. क्योंकि तब वह संसार में अपना राज्य स्थापित करेगा, धार्मिकता और न्याय से राज्य करेगा, और तब "पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है" (हबक्कूक २:१४)।

   हम मसीही विश्वासी जो अपने प्रभु के दूसरे आगमन की प्रतीक्षा में हैं, प्रार्थना में, प्रभु के कार्य में और प्रभु की गवाही देने में लगे रहें; अपनी उस धन्य और एकमात्र आशा की बाट जोहते रहें जब स्वर्ग का राज्य पृथ्वी पर होगा। - रिचर्ड डी हॉन


संसार का अंधकार जैसे जैसे बढ़ता जाता है, प्रभु के आगमन की आशा और अधिक ज्योतिर्मय होती जाती है।
...हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेर कर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएं। और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। - तीतुस २:१२, १३
बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनीकियों ४:१३-१८
1Th 4:13  हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाई शोक करो जिन्‍हें आशा नहीं।
1Th 4:14  क्‍योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्‍हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।
1Th 4:15  क्‍योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे।
1Th 4:16  क्‍योंकि प्रभु आप ही स्‍वर्ग से उतरेगा, उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्‍द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।
1Th 4:17  तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।
1Th 4:18  सो इन बातों से एक दूसरे को शान्‍ति दिया करो। 
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल १६-१८ 
  • लूका १७:२०-३७

स्तुति की सामर्थ्य

   स्तुति में बहुत सामर्थ्य है। जब भी स्कॉटिश पास्टर रौबर्ट मर्रे मैक्शेय्न परमेश्वर और परमेश्वर से संबंधित बातों के प्रति अपने मन को ठंडा पाते थे तो तब तक स्तुति के गीत गाते रहते थे जब तक वे अपनी आत्मा में फिर से ताज़गी अनुभव नहीं करने लगते थे। उनके घर के लोग उनके प्रातः उठने के समय को जान जाते थे क्योंकि वे अपने दिन का आरंभ स्तुति के भजन से करते थे।

   एक दिन, अपने मन को प्रचार के सन्देश के लिए तैयार करते समय उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, "क्या मेरे मन की यह कामना है कि मैं पूर्ण्तः पवित्र बनूँ?...प्रभु, आप सब बातों को जानते हैं... मैं अपने अन्दर इतना ठंडापन और हताशा अनुभव कर रहा हूँ कि अपनी इस दशा के लिए दुखी भी नहीं हो सकता। शाम होते होते मेरे अन्दर गर्मजोशी आ गई और मेरे मन को शांति मिल गई, सब स्तुति के भजन गाने और प्रार्थना के द्वारा।"

   क्या आप भी अपने आप को निराशा की गहराईयों में पड़ा अनुभव कर रहे हैं? प्रभु की स्तुति में गीत गाईए। भजनकार ने लिखा, "मैं यहोवा की सारी करूणा के विषय सदा गाता रहूंगा, मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी पीढ़ी तक जताता रहूंगा" (भजन ८९:१)। जब हम भी ऐसा ही करेंगे तो स्तुति ना केवल हमारे होठों से वरन हमारे हृदय से भी प्रवाहित होने लग जाएगी। परमेश्वर "हर्ष का तेल, और यश का ओढ़ना" (यशायाह ६१:३) देने में आनन्दित होता है।

   हाँ, परमेश्वर की स्तुति करना भला है, स्तुति में सामर्थ्य है। - पौल वैन गोर्डर


यदि आप अपने ऊपर उदासी की चादर पाते हैं तो उसके स्थान पर स्तुति के वस्त्र पहन कर देखें।
प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बंधुओं के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं; - यशायाह ६१:१
बाइबल पाठ: यशायाह ६१:१-३
Isa 61:1  प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बंधुओं के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं;
Isa 61:2  कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करूं, कि सब विलाप करनेवालों को शान्ति दूं;
Isa 61:3  और सिय्योन के विलाप करने वालों के सिर पर की राख दूर कर के सुन्दर पगड़ी बान्ध दूं, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊं और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊं; जिस से वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएं और जिस से उसकी महिमा प्रगट हो।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल १२-१३ 
  • लूका १६

कहें सो करें

   एक स्त्री अपने पोते के साथ १०३ मील प्रति घंटा की रफतार से गाड़ी चलाती हुई पकड़ी गई। जब पुलिस ने उस से इसके बारे में पूछा तो उसका उत्तर था कि वह अपने पोते को सिखाना मांग रही थी कि गाड़ी कभी इतनी तेज़ नहीं चलानी चाहिए; संभ्वतः वह उसे सिखाना चाह रही थी कि जो मैं कर रही हूँ उसे नहीं, वरन वह करो जो मैं कह रही हूँ!

   प्रभु यीशु की पृथ्वी की सेवकाई के दिनों में भी धर्म के अगुवों फरीसी और शास्त्रीयों के साथ भी ऐसी ही समस्या थी। प्रभु यीशु के मूल्यांकन में वे आत्मिक दिवलियापन से ग्रस्त थे और उनकी यह दशा ही इस्त्राएली समाज की दयनीय आत्मिक दशा का कारण थी। परमेश्वर की व्यवस्था को लोगों तक पहुँचाने वाले मूसा के उत्तराधिकारी होने के कारण उन्हें लोगों को उस व्यवस्था को सिखाने और समझाने की ज़िम्मेदारी थी जिससे समाज परमेश्वर की विधियों और नियमों का पालन करते हुए परमेश्वर के साथ एक सजीव और खरे संबंध को बना के रह सके (व्यवस्थाविवरण १०:१२, १३)।

   लेकिन उन धर्म के अगुवों के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ के अनतर्गत परमेश्वर के वचन की विवेचना और शिक्षा प्रदान करना परमेश्वर के वचन की सच्चाई से अधिक महत्वपूर्ण हो गया था। जो वे प्रचार करते थे, उसका वे स्वयं पालन नहीं करते थे। जिसका पालन करते थे, वह परमेश्वर को महिमा देने के लिए नहीं वरन स्वयं महिमा पाने के लिए होता था। प्रभु यीशु से वे इसीलिए घृणा करते थे क्योंकि प्रभु यीशु उनकी वास्तविकता को पहचानता था और उनकी पोल खोलता रहता था कि वे कैसे ढोंगी, स्वार्थी, दोगले और केवल दिखाने के लिए कार्य करने वाले हैं।

   आज भी प्रभु यीशु के अनुयायी होने का प्रमाण हमारे प्रचार मात्र द्वारा नहीं है, वरन हमारे आचरण द्वारा है। हम प्रभु के लिए तब ही प्रभावी और सच्चे गवाह हो सकते हैं जब हम जो कहें सो कर के भी दिखाएं। क्या आज हम लोगों से परमेश्वर के वचन का प्रचार तो करने, किंतु स्वयं उसी वचन की अवहेलना करने के दोषी हैं? भला हो कि हम केवल शब्दों से ही नहीं, कार्यों से भी प्रभु यीशु के अनुयायी होने की गवाही दें; हमारे जीवन हमारे प्रचार को सजीव दिखाएं। - मार्विन विलियम्स


एक अच्छा सजीव उदाहरण, अपने आप में एक प्रभावी प्रचार होता है।
इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। - मत्ती २३:३
बाइबल पाठ: मत्ती २३:१-१२
Mat 23:1  तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा।
Mat 23:2  शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं।
Mat 23:3  इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।
Mat 23:4  वे एक ऐसे भारी बोझ को जिस को उठाना कठिन है, बान्‍ध कर उन्‍हें मनुष्यों के कन्‍धों पर रखते हैं, परन्‍तु आप उन्‍हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते ।
Mat 23:5  वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्‍त्रों की कोरें बढ़ाते हैं।
Mat 23:6   जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन।
Mat 23:7  और बाजारों में नमस्‍कार और मनुष्य में रब्‍बी कहलाना उन्‍हें भाता है।
Mat 23:8  परन्‍तु, तुम रब्‍बी न कहलाना, कयोंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
Mat 23:9  और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, कयोंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्‍वर्ग में है।
Mat 23:10 और स्‍वामी भी न कहलाना, क्‍योंकि तुम्हारा एक ही स्‍वामी है, अर्थात मसीह।
Mat 23:11  जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
Mat 23:12  जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल ९-११ 
  • लूका १५:११-३२