एक लघु कथा है, दो मेंढक किसी घर में घुस आए और यहाँ-वहाँ फुदकते हुए घूमने लगे। फुदकते हुए वे एक गहरे पात्र में गिर पड़े जिसमें मलाई रखी हुई थी। उन्होंने बाहर निकलने बहुत की कोशिश करी लेकिन मलाई की फिसलन और पात्र की गहराई के कारण न निकल सके। उनमें से एक ने मलाई में डूब जाने द्वारा अपना अन्त निकट देखकर अपने मित्र से अलविदा कहा, लेकिन दूसरे ने कहा, मैंने अभी हार नहीं मानी है। मैं बाहर निकलने का अपना प्रयास तब तक जारी रखुंगा जब तक मैं अपने अंग चला सकता हूँ। और यह कहकर वह पात्र में चारों ओर तैरने लगा और फुदककर बहर जाने का सतत प्रयास करने लगा। थोड़ी देर में उसका हताश मित्र तो अपने कहे अनुसार मलाई में डूब गया, किंतु इस मेंढक के प्रयास से मथ कर मलाई से मक्खन अलग होने लगा। और कुछ देर के प्रयास के बाद, मलाई के उपर मक्खन का एक बन्धा हुआ डला तैरने लगा। मेंढक फुदककर उसपर जा बैठा, फिर कुछ देर आराम करके उसने मक्खन पर से पात्र के बाहर की ओर छलांग लगाई और पात्र से बाहर हो गया। कहानी का सन्देश यही है कि यदि किसी परिस्थिति से बचने का तुरंत मार्ग ना भी मिले फिर भी अपने प्रयास में ढीले न पड़ें।
बहुत से लोग अपने लक्ष्य को पाने में इसीलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि वे विपरीत परिस्थितियों से निराश और हताश होकर हार मान लेते हैं, अपने प्रयास छोड़ देते हैं और लक्ष्य के निकट होते हुए भी असफल रह जाते हैं। नहेम्याह ने जब परमेश्वर की आज्ञानुसार उजड़े हुए यरुशलेम जाकर उसे फिर से ठीक करने कि ठानी तो उसे बहुत निराशाओं और प्रतिरोधियों का सामना करना पड़ा, किंतु वह अपने प्रयास में ढीला नहीं हुआ और न ही अपने साथ कार्य करने वालों को निराशा में पड़ने दिया (नहेम्याह २-६)। उनके सतत प्रयास और फलस्वरूप परमेश्वर से मिली सुरक्षा और सहायता से, केवल बावन दिनों में नगर की शहरपनाह बन कर तैयार हो गई जो किसी की भी कलपना से भी परे था; और उनके विरोधी जान गए कि यह परमेश्वर की ओर से हुआ है (नहेम्याह ६:१५)।
प्रभु यीशु ने अपने चेलों को चिताया, "जिस ने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता" (यूहन्ना ९:४)। जब हम परमेश्वर के कार्य में लगते हैं तो शैतान अवश्य विरोध करता है और विपरीत परिस्थितियाँ, मुश्किलें और सताव लेकर आता है। पतरस प्रेरित ने लिखा "सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए" (१ पतरस ५:१८); पौलुस प्रेरित ने कहा, "पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे" (२ तिमुथियुस ३:१२)। परमेश्वर का वचन हमें बार बार चिताता है कि शैतान के इन हमलों से निराश होकर हम अपने प्रयास न छोड़ दें क्योंकि प्रभु यीशु ने हमें पहले से बता रखा है कि हमारे विश्वास के कारण शैतान हम पर कैसे आक्रमण करेगा "ये बातें मैं ने तुम से इसलिये कहीं कि तुम ठोकर न खाओ। वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे, वरन वह समय आता है, कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा यह समझेगा कि मैं परमेश्वर की सेवा करता हूं।" (युहन्ना १६:१, २); लेकिन साथ ही प्रभु का कभी न टलने वाला आश्वासन भी है कि "जो दु:ख तुझ को झेलने होंगे, उन से मत डर: क्योंकि देखो, शैतान तुम में से कितनों को जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ...प्राण देने तक विश्वासी रह तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा" (प्रकाशितवाक्य २:१०)।
"धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है, क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।" (याकूब १:१२)
यदि परमेश्वर से जीवन का मुकुट चाहते हैं तो उसके कार्यों में सदा प्रयासरत रहिए। - रिचर्ड डी हॉन
निरंतर प्रयास ही सफल्ता की कुंजी है।
सब बातों का अन्त तुरन्त होने वाला है इसलिये संयमी होकर प्रार्थना के लिये सचेत रहो। - १ पतरस ४:७
बाइबल पाठ: १ पतरस ४:१२-१९; ५:६-११
1Pe 4:12 हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है।
1Pe 4:13 पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्दित और मगन हो।
1Pe 4:14 फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्दा की जाती है, तो धन्य हो क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है।
1Pe 4:15 तुम में से कोई व्यक्ति हत्यारा या चोर, या कुकर्मी होने, या पराए काम में हाथ डालने के कारण दुख न पाए।
1Pe 4:16 पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे।
1Pe 4:17 क्योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्या अन्त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?
1Pe 4:18 और यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?
1Pe 4:19 इसलिये जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें।
1Pe 5:6 इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।
1Pe 5:7 और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।
1Pe 5:8 सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।
1Pe 5:9 विश्वास में दृढ़ होकर, और यह जानकर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।
1Pe 5:10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिस ने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।
1Pe 5:11 उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल:
- नहेम्याह १०, ११
- प्रेरितों ४:१-२२