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गुरुवार, 6 सितंबर 2018

अनुग्रह



      स्कूल से अपना परिक्षा परिणाम ला कर मुझे दिखाते समय मेरे बेटे की आँखें उत्साह से चमक रही थीं। परिक्षा गणित की थी और उसने 100 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे, तथा उसे इस उपलब्धि के लिए एक बड़ा सा लाल सितारा भी परीक्षाफल पर लगाकर दिया गया था। उसने अपनी इस परीक्षा के विषय बताते हुए कहा कि उसे अभी तीन प्रश्नों का उत्तर देना शेष था, जब समय समाप्त हो गया। मैंने विस्मित होकर उससे पूछा, तो फिर उसे पूरे अंक कैसे मिल गए? उसने कहा कि “शिक्षिका ने मुझ पर अनुग्रह किया; उसने मुझे प्रश्न पूरे करने दिए यद्यपि मेरा समय समाप्त हो गया था।”
      मैंने इस अवसर का लाभ उठाकर अपने बेटे के साथ परमेश्वर के हम मनुष्यों के प्रति किए गए अनुग्रह के बारे में चर्चा की। मैंने उसे ध्यान करवाया कि परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह में होकर हमें उससे कहीं बढ़कर दिया है, जिसके हम योग्य हैं। वास्तव में हम अपने पापों के कारण, परमेश्वर की पवित्रता और न्याय के समक्ष, दण्ड के, मृत्यु के, योग्य थे (रोमियों 6:23)। परन्तु, “परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा” (5:8)। हम मनुष्य तो सर्वथा अयोग्य थे, परन्तु प्रभु यीशु ने, जो पवित्र और निष्पाप था, सभी मनुष्यों के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया और सबके बदले में उन पापों के दण्ड, उस मृत्यु को सह लिया। इसलिए अब जो भी उसके इस बलिदान को स्वीकार करता है, प्रभु से अपने पापों की क्षमा माँगता है, अपना जीवन स्वेच्छा से प्रभु को समर्पित करता है, उसे पापों के दण्ड से क्षमा मिल जाती है, उसे अब उन पापों के दण्ड को सहने की आवश्यकता नहीं रह जाती है। इस कारण अब प्रभु यीशु मसीह के विश्वासियों के लिए, प्रभु के साथ स्वर्ग में अनन्त जीवन की आशीष रखी है।

      अनन्त जीवन परमेश्वर से मिलने वाला उपहार है, जिसे हम किसी रीति से अपने कर्मों द्वारा कमा नहीं सकते हैं, बस हमारे प्रति उसके प्रेम और अनुग्रह के अन्तर्गत उससे प्राप्त कर सकते हैं। हम, प्रभु यीशु मसीह पर लाए गए विश्वास के द्वारा, परमेश्वर के अनुग्रह के अन्तर्गत, पापों के मृत्यु दण्ड में जाने से बचाए जाते हैं। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट

अनुग्रह और दया कमाई नहीं जातीं, परमेश्वर से उपहार स्वरूप प्राप्त की जाती हैं।

क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है। - रोमियों 6:23

बाइबल पाठ: रोमियों 5:6-15
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी साहस करे।
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।
Romans 5:13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहां व्यवस्था नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता।
Romans 5:14 तौभी आदम से ले कर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध के समान जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया।
Romans 5:15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 148-150
  • 1 कुरिन्थियों 15:29-58