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शनिवार, 25 जुलाई 2015

बुद्धि


   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है "क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे, क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है" (नीतिवचन 3:13-14)। बाइबल यह भी बताती है कि बुद्धि हमें परमेश्वर से मिलती है: "क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं" (नीतिवचन 2:6)। परमेश्वर ने अपने बच्चों को वायदा दिया है: "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी" (याकूब 1:5)।

   सुप्रसिद्ध मसीही प्रचारक चार्ल्स स्पर्जन ने लिखा था, "बुद्धि जीवन की वह सुन्दरता है जो परमेश्वर द्वारा हमारे जीवनों में होने वाले कार्य से उत्पन्न होती है।" बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में सांसारिक तथा परमेश्वरीय बुद्धि के फर्क को दिखाया तथा परमेश्वरीय बुद्धि के गुणों को बताया है: "पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब 3:17)।

   हमें समय समय पर अपने आप से प्रश्न करते रहना चाहिए कि "क्या मैं बुद्धि में बढ़ता जा रहा हूँ?" क्योंकि जीवन तो गतिमान है, कहीं ठहरता नहीं। जीवन की परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, इसलिए उनका सामना करते रहने और उन परिस्थितियों के प्रति सही रवैया रखने की आवश्यकता भी सदा बनी रहती है। हम या तो उम्र के साथ मधुर एवं बुद्धिमान होते जा सकते हैं या फिर मूर्ख और चिड़चिड़े; अपने जीवन पर विचार कीजिए कि बढ़ती उम्र तथा बीतता समय आप में किस प्रकार के परिवर्तन ला रहा है?

   बुद्धि में बढ़ना आरंभ कभी भी किया जा सकता है। परमेश्वर हम से बड़ी गहराई से प्रेम करता है; उसका प्रेम हमें हमारी प्रत्येक मूर्खता से निकाल कर आशीषों से परिपूर्ण बना सकता है यदि हम अपना जीवन उसे समर्पित करें, उसके आज्ञाकारी बनें और उसकी इच्छा पूरी करने में प्रयासरत रहें। उसका प्रेम किसी भी व्यक्ति के कैसे भी कठोर स्वभाव को बदल कर अपनी अद्भुत सुन्दरता का नमूना बना सकता है। परमेश्वर द्वारा व्यक्ति के जीवन में लाया जाने वाला यह कायाकल्प कुछ समय ले सकता है, कुछ तकलीफदेह हो सकता है, लेकिन परमेश्वर की हर योजना अपने लोगों के जीवनों को सुधारने और आशीषों से भर देने के लिए ही है (यिर्मयाह 29:11)। जब भी हम उस पर पूर्ण भरोसा रखते हुए, उससे हर परिस्थिति के लिए उपयुक्त बुद्धि पाने की प्रार्थना करते हैं, उसकी बुद्धि और गुण हम में पनपने लगते हैं, हम में हो कर औरों को भी आशीषित करने लगते हैं।

   परमेश्वर को समर्पित हो जाएं; उससे बुद्धि को माँगें और अपने जीवन को उसकी आशीषों से भर लें। - डेविड रोपर


सच्ची बुद्धिमता परमेश्वर से आरंभ होती है और परमेश्वर पर ही अन्त होती है।

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। - यिर्मयाह 29:11

बाइबल पाठ: याकूब 3:13-17
James 3:13 तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्‍छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है। 
James 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्‍ड न करना, और न तो झूठ बोलना। 
James 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है। 
James 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्‍कर्म भी होता है। 
James 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 37-39
  • प्रेरितों 26