कल्पना कीजिए कि आप विदेश में किसी स्थान पर पहली बार गए हैं और एक सभा में अप्रत्याशित रूप से पहुंच जाते हैं - ऐसे लोगों के बीच जिनसे आप पहले कभी नहीं मिले, जो आपको ज़रा नहीं जानते और ना ही आप उन्हें जानते हैं, लेकिन फिर भी कुछ ही मिनिटों में एक ऐसा आपसी घनिष्ठ संबंध बन जाता है कि वे लोग आपसे सभा को संबोधित करने का अनुरोध करते हैं। यह तब ही संभव है जब दोनो लोगों के बीचे कोई ऐसा आपसी मित्र हो जो दोनो को जानता हो और दोनो के बीच के अनजानेपन की दूरी को दूर कर सके।
यह घटना मेरे साथ हुई, जब मैं एक मिशनरी टीम को लेकर जमैका की डिस्कवरी बे पहुंचा। हमारे अमेरिका से रवाना होने से पहले, मेरे एक मित्र डोरेंट ब्राउन ने, जो जमैका के एक पास्टर हैं, हमसे वहां के एक चर्च में संगति के लिए जाने की सिफारिश करी। जब मैं और मेरा दल उस चर्च में पहुंचे तो हमने पास्टर डोरेंट ब्राउन का उल्लेख किया; हमें ना केवल चर्च के लोगों से स्वागत मिला वरन मुझ से चर्च में सन्देश देने के लिए भी आग्रह किया गया और हमारी टीम को वहां एक स्तुती गीत गाने का भी अवसर दिया गया।
य्द्यपि इस घटना में पास्टर डोरेंट का नाम लेना महत्वपूर्ण तथा प्रभावी था, लेकिन मेरे विचार से इस गर्मजोशी से मिले स्वागत और आदर के लिए उससे भी अधिक महत्वपुर्ण और प्रभावी था वह आपसी मित्र जो मुझे पास्टर डोरेंट से, पास्टर डोरेंट को जमैका के उस चर्च तथा उसके सदस्यों से तथा हमारी टीम के प्रत्येक सदस्य को एक दूसरे से जोड़ता है - हमारा प्रभु यीशु।
प्रभु यीशु में हम सबका विश्वास और उस विश्वास के द्वारा प्रभु की विश्व्यापी मण्डली का सद्स्य होना, संसार के प्रत्येक मसीही विश्वासी को एक परस्पर पारिवारिक संबंध में ले आता है जिसके कारण अनजानेपन के अवरोध दूर हो जाते हैं और अनजाने लोग प्रेम के बन्धन में जुड़कर एक साथ प्रभु के लिए कार्यकारी हो पाते हैं, प्रभु की महिमा करने पाते हैं। प्रभु यीशु एक ऐसा आपसी मित्र है जिसने हम सबके लिए अपनी जान दी (यूहन्ना १५:१३), और जितने उसपर विश्वास लाते हैं उन्हें वह पारिवारिक संबंध में ले आता है (१ पतरस २:१७)। जब आप किसी अनजाने व्यक्ति से मिलें और दोनो को पता लगे कि दोनो ही प्रभु यीशु के विश्वासी हैं, तब क्या आपने इस संबंध के प्रभाव को अनुभव किया है?
प्रभु यीशु, हमारा उद्धारकर्ता, हमारा आपसी मित्र, जो अपने प्रेम ध्वजा के तले समस्त संसार के लोगों के हृदय को आपस में मिला देता है। - डेव ब्रैनन
जो मसीह यीशु की ओर आकर्षित हैं वे आपस में भी आकर्षित रहते हैं।
बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:९-१७
Joh 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
Joh 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
Joh 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
Joh 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
Joh 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
Joh 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
Joh 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
Joh 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ, और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
Joh 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन १-३
- मत्ती १४:१-२१