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मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

विधि

   "महत्वकांक्षी नहीं है", अवश्य ही इस वाक्यांश को आप अपने संबंध में, अपने कार्य समीक्षा रिपोर्ट पर नहीं देखना चाहेंगे। जहाँ तक कार्य का संबंध है, जो कर्मचारी महत्वकांक्षी नहीं होता वह संस्था में अधिक ऊँचाई तक उठ भी नहीं सकता। जब तक कुछ कर दिखाने की सशक्त अभिलाषा ना हो, कुछ प्राप्त नहीं किया जा सकता। लेकिन महत्वकांक्षा का एक बुरा पहलु भी है। कई बार महत्वकांक्षा हर संभव रीति से अपने आप को बढ़ाने की अधिक और दूसरों के लिए कुछ भला करने के लिए कम होती है।

   यही बुरा पहलु हम इस्त्राएल के अनेक राजाओं के संबंध में भी परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए उनके वृतांतों में देखते हैं, और यह सिलसिला इस्त्राएल के पहले राजा से ही आरंभ हो गया था। इस्त्राएल के पहला राजा, शाउल, ने परमेश्वर द्वारा उसे दी गई यह ज़िम्मेदारी बड़ी नम्रता और दीनता के साथ आरंभ करी, लेकिन धीरे-धीरे वह इस पद को परमेश्वर का अनुग्रह नहीं वरन अपनी संपत्ति समझने लग गया। वह यह भूल गया कि परमेश्वर ने उसे इसलिए नियुक्त किया जिससे वह परमेश्वर के चुने हुए लोगों, इस्त्राएल का इस प्रकार से नेतृत्व करे जिससे अन्य जातियों के सामने एक उत्तम उदाहरण हो और वे सच्चे परमेश्वर की ओर आकर्षित हो सकें। जब परमेश्वर ने शाउल से यह ज़िम्मेदारी वापस ले ली, तब भी उसके विचार अपने ही लिए थे (1 शमूएल 15:30)।

   इस संसार में जहाँ महत्वकांक्षाएं लोगों को, किसी भी विधि द्वारा, एक दूसरे से शीर्ष होने के लिए उकसाती रहती हैं और जहाँ अनुचित विधियों के प्रयोग द्वारा ऊपर उठना आम देखने में आता है, परमेश्वर अपने लोगों से एक भिन्न मार्ग पर चलने को कहता है - स्वार्थ, विरोध तथा पाप के मार्ग से हटकर: "विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो" (फिलिप्पियों 2:3); "इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें" (इब्रानियों 12:1), जिससे वे परमेश्वर की आशीषों के साथ और परमेश्वर द्वारा ऊपर उठ सकें।

   यदि आप वास्तव में शीर्ष पर पहुंचना चाहते हैं, तो दीनता के साथ परमेश्वर से प्रेम तथा उसकी सेवा करने के महत्वकांक्षी हो जाईए, और वह आपको बढ़ाएगा: "इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए" (1 पतरस 5:6)। मसीही विश्वासी के लिए ऊँचे उठने और बढ़ते जाने की यही सही और सबसे कारगर विधि है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


यदि महत्वकांक्षा परमेश्वर पर केंद्रित नहीं है तो उसके परिणाम दीर्घकालीन नहीं होंगे।

प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा। - याकूब 4:10

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 15:17-30
1 Samuel 15:17 शमूएल ने कहा, जब तू अपनी दृष्टि में छोटा था, तब क्या तू इस्राएली गोत्रियों का प्रधान न हो गया, और क्या यहोवा ने इस्राएल पर राज्य करने को तेरा अभिषेक नहीं किया? 
1 Samuel 15:18 और यहोवा ने तुझे यात्रा करने की आज्ञा दी, और कहा, जा कर उन पापी अमालेकियों को सत्यानाश कर, और जब तक वे मिट न जाएं, तब तक उन से लड़ता रह। 
1 Samuel 15:19 फिर तू ने किस लिये यहोवा की वह बात टालकर लूट पर टूट के वह काम किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है? 
1 Samuel 15:20 शाऊल ने शमूएल से कहा, नि:सन्देह मैं ने यहोवा की बात मानकर जिधर यहोवा ने मुझे भेजा उधर चला, और अमालेकियों को सत्यानाश किया है। 
1 Samuel 15:21 परन्तु प्रजा के लोग लूट में से भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, अर्थात सत्यानाश होने की उत्तम उत्तम वस्तुओं को गिलगाल में तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये बलि चढ़ाने को ले आए हैं। 
1 Samuel 15:22 शमूएल ने कहा, क्या यहोवा होमबलियों, और मेलबलियों से उतना प्रसन्न होता है, जितना कि अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होता है? सुन मानना तो बलि चढ़ाने और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है। 
1 Samuel 15:23 देख बलवा करना और भावी कहने वालों से पूछना एक ही समान पाप है, और हठ करना मूरतों और गृहदेवताओं की पूजा के तुल्य है। तू ने जो यहोवा की बात को तुच्छ जाना, इसलिये उसने तुझे राजा होने के लिये तुच्छ जाना है। 
1 Samuel 15:24 शाऊल ने शमूएल से कहा, मैं ने पाप किया है; मैं ने तो अपनी प्रजा के लोगों का भय मानकर और उनकी बात सुनकर यहोवा की आज्ञा और तेरी बातों का उल्लंघन किया है। 
1 Samuel 15:25 परन्तु अब मेरे पाप को क्षमा कर, और मेरे साथ लौट आ, कि मैं यहोवा को दण्डवत करूं। 
1 Samuel 15:26 शमूएल ने शाऊल से कहा, मैं तेरे साथ न लौटूंगा; क्योंकि तू ने यहोवा की बात को तुच्छ जाना है, और यहोवा ने तुझे इस्राएल का राजा होने के लिये तुच्छ जाना है। 
1 Samuel 15:27 तब शमूएल जाने के लिये घूमा, और शाऊल ने उसके बागे की छोर को पकड़ा, और वह फट गया। 
1 Samuel 15:28 तब शमूएल ने उस से कहा आज यहोवा ने इस्राएल के राज्य को फाड़कर तुझ से छीन लिया, और तेरे एक पड़ोसी को जो तुझ से अच्छा है दे दिया है। 
1 Samuel 15:29 और जो इस्राएल का बलमूल है वह न तो झूठ बोलता और न पछताता है; क्योंकि वह मनुष्य नहीं है, कि पछताए। 
1 Samuel 15:30 उसने कहा, मैं ने पाप तो किया है; तौभी मेरी प्रजा के पुरनियों और इस्राएल के साम्हने मेरा आदर कर, और मेरे साथ लौट, कि मैं तेरे परमेश्वर यहोवा को दण्डवत करूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 30-31 
  • फिलिप्पियों 4