ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 19 नवंबर 2015

यात्रा


   हाल ही में मैंने अपने साथ कॉलेज से स्नात्क होने वाले छात्रों के बारे में पता लगाया, और पाया कि मेरे साथ के कई विद्यार्थी अब संसार से कूच कर चुके हैं; जीवन के अल्पकालीन होने का यह गंभीर स्मरण था। परमेश्वर के वचन बाइबल में मनुष्य की आयु के लिए लिखा है, "हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं" (भजन 90:10) - बस अस्सी वर्ष के लगभग और हमारे संसार से कूच करके अनन्तकाल में प्रवेश करने का समय हो जाता है। भजनकार सही है, हम इस पृथ्वी पर परदेशी और यात्री ही तो हैं (भजन 39:12)।

   जीवन के अल्पकालीन होने के कारण हमें अपने ’अन्त’ तथा अनन्त, दोनों के बारे में गंभीरता से विचार कर लेना चाहिए, यह जानते हुए कि हम कैसे अनित्य हैं (भजन 39:4); और जैसे जैसे हमारा अन्त समय निकट आता जाता है, यह भावना और प्रबल होती जाती है कि संसार हमारा घर नहीं है, हम तो यहाँ परदेशी और यात्री मात्र हैं। लेकिन हम मसीही विश्वासियों को एक बहुत सामर्थी आश्वासन भी है - इस यात्रा में हम अकेले नहीं हैं; हमारा परमेश्वर पिता भी हमारे हर पल, हर पग में हमारे साथ बना रहता है। इस कारण यात्री और परदेशी होने तथा अनन्तकाल व्यतीत करने संसार से बाहर जाने का विचार हमारे लिए कम परेशानी, कम भय और कम चिंता उत्पन्न करने वाला है। इस संसार में भी और आने वाले संसार में भी हमारा प्रेमी स्वर्गीय पिता हमारा सहायक तथा मार्गदर्शक बनकर सदा हमारे साथ रहता है (मत्ती 28:20); अपनी यात्रा में हम कभी अकेले नहीं होते (भजन 73:24-25)।

   हमारे माता-पिता, जीवन साथी, मित्रगण हमारी नज़रों से ओझल हो सकते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि परमेश्वर सदा हमारे साथ बना रहता है, और जैसा एक पुरानी कहावत है, ’अच्छे साथी के साथ मार्ग सरल प्रतीत होता है’ - इस लोक तथा आते लोक, दोनों में परमेश्वर का साथ हमारी यात्रा को सरल और सार्थक बना देता है। - डेविड रोपर


जीवन के थका देने वाले मार्ग पर प्रभु यीशु आपका भारी बोझ उठाना चाहता है।

तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा। स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता। - भजन 73:24-25

बाइबल पाठ: - भजन 39
Psalms 39:1 मैं ने कहा, मैं अपनी चाल चलन में चौकसी करूंगा, ताकि मेरी जीभ से पाप न हो; जब तक दुष्ट मेरे साम्हने है, तब तक मैं लगाम लगाए अपना मुंह बन्द किए रहूंगा। 
Psalms 39:2 मैं मौन धारण कर गूंगा बन गया, और भलाई की ओर से भी चुप्पी साधे रहा; और मेरी पीड़ा बढ़ गई, 
Psalms 39:3 मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था। सोचते सोचते आग भड़क उठी; तब मैं अपनी जीभ से बोल उठा; 
Psalms 39:4 हे यहोवा ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालुम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं! 
Psalms 39:5 देख, तू ने मेरे आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं। 
Psalms 39:6 सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा! 
Psalms 39:7 और अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूं? मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है। 
Psalms 39:8 मुझे मेरे सब अपराधों के बन्धन से छुड़ा ले। मूढ़ मेरी निन्दा न करने पाए। 
Psalms 39:9 मैं गूंगा बन गया और मुंह न खोला; क्योंकि यह काम तू ही ने किया है। 
Psalms 39:10 तू ने जो विपत्ति मुझ पर डाली है उसे मुझ से दूर कर दे, क्योंकि मैं तो तेरे हाथ की मार से भस्म हुआ जाता हूं। 
Psalms 39:11 जब तू मनुष्य को अधर्म के कारण डाँट डपटकर ताड़ना देता है; तब तू उसकी सुन्दरता को पतंगे की नाईं नाश करता है; सचमुच सब मनुष्य व्यर्थ अभिमान करते हैं।
Psalms 39:12 हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, और मेरी दोहाई पर कान लगा; मेरा रोना सुनकर शांत न रह! क्योंकि मैं तेरे संग एक परदेशी यात्री की नाईं रहता हूं, और अपने सब पुरखाओं के समान परदेशी हूं। 
Psalms 39:13 आह! इस से पहिले कि मैं यहां से चला जाऊं और न रह जाऊं, मुझे बचा ले जिस से मैं प्रदीप्त जीवन प्राप्त करूं!

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 11-13
  • याकूब 1