ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 30 नवंबर 2021

मसीही सेवकाई, पवित्र आत्मा, और बपतिस्मा - 7


पवित्र आत्मा का बपतिस्मा – भाग 3  1 कुरिन्थियों 12:13 से समझना 

पिछले दो लेखों में हमने देखा और समझा है किपवित्र आत्मा से भरनाकोई पृथक या किसी-किसी को ही प्राप्त होने वाला विलक्षण अनुभव नहीं है; और न ही यहपवित्र आत्मा से बपतिस्माके साथ संबंधित है, या उसके समान है। आज हमपवित्र आत्मा का बपतिस्माकहकर गलत शिक्षाओं के फैलाने वालों के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले बाइबल के एक और पद की व्याख्या के द्वारा उनकी गलत शिक्षाओं को देखेंगे और समझेंगे। 

इस संदर्भ में एक और महत्वपूर्ण पद 1 कुरिन्थियों 12:13 “क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गयाको देखिए, उसपर विचार कीजिए, और उसकी बातों पर ध्यान दीजिए:

  • ध्यान दीजिए कि यहाँ पर भी बपतिस्मे के संबंध में प्रयोग किया गया वाक्यांश हैआत्मा के द्वारा”, न किआत्मा का” - जैसा अन्य उदाहरणों में हम पहले देख चुके हैं कि पवित्र आत्मा केवल  माध्यम है, उसका अपना अलग से कोई बपतिस्मा नहीं है। 
  • दूसरी बात, मसीही विश्वासियों की मण्डली में विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए हुए लोगों के प्रभु में विश्वास के द्वारा एक हो जाने के विषय में पवित्र आत्मा की अगुवाई से लिखते हुए पौलुस प्रेरित ने कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को पवित्र आत्मा के द्वारा मिले बपतिस्मे का उद्देश्य समझाया -हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया”! कितना स्पष्ट लिखा गया है कि पवित्र आत्मा से बपतिस्मा सभी मसीही विश्वासियों को एक दूसरे के साथ एकता में ले आने के लिए है; सबको प्रभु में एक देह कर देने के लिए। अब इसके समक्ष कोई भी जन किस आधार पर कह सकता है कि पवित्र आत्मा से बपतिस्मा कुछ ही विश्वासी पा सकते हैं? या यह कि इसकी आवश्यकता अधिक सामर्थी होकर सेवकाई करने, आश्चर्यकर्म करने और चंगाइयाँ देने के लिए है? यहाँ पर तो ऐसा कुछ नहीं लिखवाया गया है; वरन पवित्र आत्मा ने स्वयं लिखवा दिया कि उसमें मिलने वाले बपतिस्मे से लोग एक देह किए जाएंगे, इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं होगा। तो फिर अब इस उद्देश्य और प्रयोजन को छोड़ कर, और ही बातें पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाने के साथ जोड़ना क्या वचन में मनुष्यों की बातों, विचारों, और धारणाओं की मिलावट करना नहीं है? क्या ऐसा करना उचित है? क्या सच्चे और समर्पित मसीही विश्वासियों के द्वारा परमेश्वर के वचन के साथ इस प्रकार की हेरा-फेरी स्वीकार की जा सकती है
  • इसी पद की तीसरी बात पर ध्यान कीजिए, लिखा है, “बपतिस्मा लिया; baptized into”; पवित्र आत्मा ने यहाँ परभूत काल’ (past tense) का प्रयोग करवाया है। तात्पर्य यह, कि पवित्र आत्मा से यह बपतिस्मा सभी मसीही विश्वासियों द्वारा (हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र”) पहले लिया जा चुका है; अब उसे दोहराने के लिए या उसे मांगने के लिए किसी प्रयास अथवा प्रार्थना की कोई आवश्यकता नहीं है; ऐसा करना व्यर्थ है। न ही यह सिखाया गया है कि भावी मसीही विश्वासी भी इसकी लालसा रखें और इसके लिए प्रयास करते रहें। 

इस पद के द्वारा भी एक बार फिर उन गलत शिक्षाओं को देने वालों का झूठ और आधार-रहित बातें कहना और सिखाना प्रकट है। वे कहते हैंपवित्र आत्मा का बपतिस्माप्राप्त कर लेने के लिए प्रयास करो जिससे सामर्थी बन कर कार्य कर सको, पवित्र आत्मा से भरे जा सको। जबकि पवित्र आत्मा अपने द्वारा लिखवाए वचन में कहता है बपतिस्मा पवित्र आत्मा से है, पवित्र आत्मा का नहीं है। पवित्र आत्मा से भरने का अर्थ है उद्धार प्राप्त करते ही मसीही विश्वासी में आ कर रहने वाले परमेश्वर पवित्र आत्मा से निरंतर सीखते रहना और उनके प्रति समर्पण तथा आज्ञाकारिता में होकर उनकी सामर्थ्य से कार्य करते रहना। पवित्र आत्मा से बपतिस्मे का उद्देश्य मसीह में विश्वास के द्वारा सभी विश्वासियों को एक देह करना है; उन्हें आश्चर्यकर्म और सामर्थ्य के कार्य करने के लिए सामर्थी बनाना नहीं। पवित्र आत्मा के नाम से गलत शिक्षाएं देने वाले सिखाते हैं कि भविष्य में भी इस बपतिस्मे को प्राप्त करने के प्रयास करना है, जबकि पवित्र आत्मा ने लिखवाया है कि यह बपतिस्मा सभी विश्वासियों को स्वतः ही उनके बिना किसी अतिरिक्त प्रयास या मांगने के पहले ही दे दिया गया है। अब किस की शिक्षा सच्ची, अनन्तकालीन, और विश्वास योग्य है जिसे माना जाए - इन गलतियों से भरे हुए मनुष्यों की, या परमेश्वर पवित्र आत्मा की?

इसी पद में दी गई एक और बात पर ध्यान कीजिए - ऐसी बात जो पवित्र आत्मा से, मसीही विश्वासी में उनके कार्य से सीधे से संबंधित है, किन्तु जिसका कोई उल्लेख, कोई प्रयोग, जिसकी कोई बात ये गलत शिक्षाएं देने वाले नहीं करते हैं। 1 कुरिन्थियों 12:13 के अंतिम वाक्यऔर हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गयापर ध्यान कीजिए। परमेश्वर पवित्र आत्मा के नाम का प्रयोग करते हुए इन गलत शिक्षाएं देने वालों में से क्या आज तक कभी किसी को यह कहते सुना है किहमें पवित्र आत्मा को पीना या पिलाया जाना भी आवश्यक है; इसलिए पवित्र आत्मा को पी लेने की प्यास रखो, या पवित्र आत्मा के लिए अपने जीवन में प्यास विकसित करो?” यदि वेपवित्र आत्मा से बपतिस्मालेने की बात कोपवित्र आत्मा का बपतिस्माबताकर फिर उसे इतना महत्व दे सकते हैं, उससे संबंधित इतने मन-गढ़न्त सिद्धांत बना सकते हैं, इतने बलपूर्वक उनका प्रचार कर सकते हैं, उन मन-गढ़न्त सिद्धांतों को मानने के लिए इतना ज़ोर दे सकते हैं, तो फिर इस वचन के अनुसारपवित्र आत्मा के पी लेनेके विषय क्यों चुप हैं? सच तो यह है कि यह पूरा पद उनकी शिक्षाओं और सिद्धांतों के विरुद्ध जाता है, उनकी झूठी शिक्षाओं की पोल खोलता है, इसलिए वे इस पद को छिपाए रखते हैं; या बस इसके एक वाक्यांशपवित्र आत्मा द्वारा बपतिस्मा लियाभर को लेकर, उसपर अपने ही अर्थ लगा कर, उसका दुरुपयोग अपनी गलत शिक्षाओं और धारणाओं को अनुचित समर्थन देने के लिए करते हैं। 

परमेश्वर ने हम मसीही विश्वासियों को अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा, हमारे उद्धार पाने के साथ ही मसीही जीवन एवं सेवकाई के लिए आवश्यक सामर्थ्य तथा अपने वचन के द्वारा उपयुक्त मार्गदर्शन दे रखा है; अब यह हम पर है कि हम उसका सदुपयोग करें और प्रभु के योग्य गवाह बनें।

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी। 

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • यहेजकेल 37-39   

  • 2 पतरस 2