आत्मिक वरदानों के
प्रयोगकर्ता - चंगा करने वाले
मसीही विश्वासियों की मण्डली में
उपयोगिता के क्रम के अनुसार, 1 कुरिन्थियों 12:28 में सामर्थ्य की
काम के बाद दिया गया अगला वरदान है चंगा करने का वरदान। पिछले लेख में हमने
सामर्थ्य के काम करने के विषय में बाइबल की शिक्षाओं को देखा था, और इस वरदान के उपयोग में भी परमेश्वर की आज्ञाकारिता और इस वरदान को
परमेश्वर के वचन के अनुसार प्रयोग करने के महत्व को हमने देखा था। चंगा करने का
वरदान भी सामर्थ्य के काम करने के वरदान के समान ही है, और इसके साथ भी
सामर्थ्य के काम करने के वरदान से संबंधित वचन की शिक्षाएं लागू होती हैं। हम प्रभु यीशु मसीह के जीवन और सेवकाई
से देखते हैं कि प्रभु ने बहुत से लोगों को, उनकी विभिन्न प्रकार की बीमारियों से और दुष्टात्माओं
द्वारा ग्रसित होने, सताए जाने से चंगाइयाँ दीं। प्रभु की
सेवकाई को संक्षिप्त करके प्रेरितों के काम पुस्तक में लिखा गया है, “कि परमेश्वर ने किस रीति से यीशु नासरी को पवित्र आत्मा और सामर्थ्य से
अभिषेक किया: वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए
थे, अच्छा करता फिरा; क्योंकि परमेश्वर
उसके साथ था” (प्रेरितों 10:38)।
जब प्रभु ने शिष्यों को सेवकाई पर भेजा, तब भी उन्हें
सुसमाचार प्रचार के साथ चंगा करने की सामर्थ्य भी दी (मत्ती 10:1; लूका 10:1, 9); और अपने स्वर्गारोहण से पहले शिष्यों
को दी सुसमाचार प्रचार की सेवकाई की महान आज्ञा के साथ भी लोगों को चंगा करने और
दुष्टात्माओं से छुटकारा देने की सामर्थ्य भी प्रदान की (मरकुस 16:17-18)।
अर्थात, स्वयं प्रभु की सेवकाई में, और उनकी आज्ञा तथा उनके द्वारा दी गई सामर्थ्य में उनके शिष्यों द्वारा की
जाने वाली सेवकाई में भी लोगों को चंगा करने और दुष्टात्माओं से छुटकारा देने का एक
महत्वपूर्ण स्थान था; और आज
भी है। प्रभु की वही सामर्थ्य जो तब उन आरंभिक शिष्यों और मसीही विश्वासियों में
होकर कार्य करती थी, वही आज भी, वैसे
ही प्रभु के निर्धारित शिष्यों के जीवनों में कार्य करती है, उन्हें इस सेवकाई को करने के लिए सक्षम करती है। रोगों और दुष्टात्माओं से
चंगा करना परमेश्वर पिता द्वारा कुछ मसीही विश्वासियों के लिए निर्धारित सेवकाई है,
और उनको परमेश्वर पवित्र आत्मा द्वारा प्रदान किया जाने वाला आत्मिक
वरदान भी है। किन्तु साथ ही दो महत्वपूर्ण बातें भी हमें ध्यान रखनी चाहिएं;
पहली बात, प्रभु ने सुसमाचारों में अपने आने
के विभिन्न उद्देश्य बताए, जैसे कि, प्रचार
करने के लिए (मरकुस 1:38), पापियों को पश्चाताप के लिए
बुलाने के लिए (मरकुस 2:17; लूका 5:32), परमेश्वर पिता की इच्छा पूरी करने के लिए (यूहन्ना 6:38), न्याय के लिए (यूहन्ना 9:39), बहुतायत का जीवन देने
के लिए (यूहन्ना 10:10), ज्योति देने के लिए (यूहन्ना 12:46),
सत्य की गवाही देने के लिए (यूहन्ना 18:37), इत्यादि।
किन्तु अपने आने के उद्देश्यों में उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि मैं चंगाई और
दुष्टात्माओं से छुटकारा देने के लिए आया हूँ, जबकि उन्होंने
यह बहुतायत से किया। और दूसरी बात, अपनी महान आज्ञा में
प्रभु ने शिष्यों को चंगाइयों की सामर्थ्य अवश्य दी, किन्तु
भेजा संसार भर में सुसमाचार सुनाने के लिए (मत्ती 28:18-20; प्रेरितों
1:8); यह नहीं कहा कि जाकर चंगा करो और लोगों को
दुष्टात्माओं से छुड़ाओ। और यह उस समय में जब चिकित्सा-विज्ञान उन्नत नहीं था,
रोगों के निदान और उपचार के साधन या समझ-बूझ नहीं थी, और लोग अंदाज़े से ही औरों को ‘चंगा’ करते थे, रोगियों को चंगा करने वालों की बहुत
आवश्यकता थी।
इन दोनों बातों से हम क्या शिक्षा ले
सकते हैं? शारीरिक
चंगाइयाँ प्रभु ने भी दीं, उनके शिष्यों ने भी दीं, और मृतकों को भी जिलाया; और आज भी प्रभु की
निर्धारित सेवकाइयों में तथा पवित्र आत्मा के वरदानों में लोगों को शारीरिक
चंगाइयां देने तथा दुष्टात्माओं से छुड़ाने की भूमिका है, और
परमेश्वर की सामर्थ्य से यह होता भी है। किन्तु प्राथमिक महत्व और उद्देश्य लोगों
में सुसमाचार प्रचार तथा परमेश्वर के वचन की सही शिक्षा दिए जाने का है। चंगाई
देना मुख्य उद्देश्य नहीं है, वरन सुसमाचार प्रचार के साथ
किया जाने वाला कार्य है। ध्यान कीजिए, यूहन्ना 14 और 16 अध्याय में प्रभु यीशु द्वारा शिष्यों को पवित्र
आत्मा के बारे में शिक्षाएं दी गई थीं, उनमें कहीं यह नहीं
कहा गया था कि वह लोगों को चंगाइयाँ देगा। किन्तु आज हम पवित्र आत्मा के नाम से
गलत शिक्षाएं देने वालों की शिक्षाओं में पवित्र आत्मा द्वारा शारीरिक चंगाइयों का
एक बहुत प्रमुख और सुसमाचार प्रचार से भी अधिक महत्वपूर्ण स्थान पाते हैं। वे
लोगों को चंगाइयों के नाम से आकर्षित करने, सभाओं में आने के
लिए चंगाइयों के लालच में डालकर लाने के प्रयास करते हैं। क्या आपने कभी बाइबल में
कहीं पर भी “चंगाई सभाएं” आयोजित किए
जाने का कोई उदाहरण देखा है, जैसा आज बहुतायत से किया जाता
है? क्या आपने बाइबल में प्रभु के शिष्यों को “चंगा करने वाला” की उपाधि के साथ प्रसिद्ध होने का
कोई उदाहरण पढ़ा है, जैसा आज बहुधा इन गलत शिक्षाएं देने वालों में देखा जाता है? बाइबल से उदाहरण ढूँढने को तो छोड़िए, क्या आरंभिक कलीसिया के
इतिहास में, प्रभु के आरंभिक शिष्यों द्वारा किए गए संसार भर
में सुसमाचार प्रचार में क्या इस प्रकार चंगाई सभाओं और चंगाई को लेकर प्रसिद्धि
की बात पाई जाती है? और जितनी
प्रभावी एवं व्यापक रीति से, अनेकों प्रकार के कष्ट, कठिनाइयों, और सताव को सहते हुए उन आरंभिक शिष्यों
ने संसार
भर में सुसमाचार प्रचार किया था, उतना ये चंगाई की दुकानें चलाने वाले कभी नहीं करने पाए
हैं। उलटे, आज उनकी ये चंगाई सभाएं और प्रसिद्धि वास्तविक
सुसमाचार प्रचार के लिए एक बहुत बड़ी बाधा और विरोध का कारण बनी हुई है।
साथ ही यह भी ध्यान रखिए कि जैसे पिछले
लेख में हमने आश्चर्यकर्मों, चिह्नों, और चमत्कारों के विषय देखा
था, उसी प्रकार से चंगाई केवल परमेश्वर पवित्र आत्मा के
वरदान द्वारा ही नहीं है। आज भी हर इलाके में आपको हर गैर-मसीही आराधना स्थल के साथ जुड़े हुए लोगों द्वारा चंगाई पाने, या उनकी समस्याओं का निवारण हो जाने, आदि के दावे और उदाहरण
मिलेंगे। उन गैर-मसीही आराधना स्थलों से भी लोगों ने शारीरिक चंगाई और सुख-समृद्धि
प्राप्त की है; किन्तु वहाँ से कभी किसी ने पापों की क्षमा, उद्धार, तथा परमेश्वर की संतान होने का अधिकार कभी प्राप्त नहीं किया है। चंगाई
चाहे किसी मसीही के द्वारा मिले अथवा किसी गैर-मसीही के द्वारा, अंततः, एक दिन हर व्यक्ति को अपनी यह देह छोड़कर
प्रभु यीशु के सामने खड़े होना ही है (प्रेरितों 17:30-31)। उस दिन उसकी यह
चंगाई उसके किस काम की होगी, यदि उसने चंगाई तो पाई किन्तु
सुसमाचार नहीं? और जिसे शारीरिक लालच के द्वारा प्रभु यीशु
के पास लाने का प्रयत्न किया गया, वह प्रभु यीशु के
अनन्तकालीन आत्मिक महत्व को कैसे समझेगा, क्योंकि उसके सामने
तो शारीरिक बातों को ही प्रमुख किया गया, उन्हीं का महत्व
दिखाया गया।
यदि आप एक मसीही विश्वासी हैं, तो ध्यान से जाँचिए और
समझिए कि प्रभु आप से क्या चाहता है। प्रभु आज भी अपने शिष्यों में होकर अपनी
सामर्थ्य प्रकट करता है, चंगाई देता है; किन्तु उन्हीं के द्वारा जिनके लिए उसने यह सेवकाई ठहराई है, और जो इसका निर्वाह प्रभु के निर्देशों के अनुसार, प्रभु
की आज्ञाकारिता में प्रभु की महिमा के लिए करते हैं। न कि इस सेवकाई और वरदान को
स्वार्थ-सिद्धि और सांसारिक संपत्ति जमा करने का साधन बनाते हैं, और न ही तमाशा बनाकर लोगों में प्रभु के नाम पर उँगलियाँ उठाने और लांछन
लगाने के अवसर देते हैं, सुसमाचार प्रचार में बाधाएं उत्पन्न
करते हैं। परमेश्वर के वचन के प्रचार, शिक्षा, और उसकी आज्ञाकारिता का स्थान सदा ही आश्चर्यकर्मों, चिह्नों, चमत्कारों, और
चंगाइयों के कार्यों से पहले रहा है, और रहेगा। प्रभु और
उसके शिष्यों ने पहले वचन और सुसमाचार को अपने जीवन से जी कर दिखाया, फिर उसका प्रचार किया, और उसके बाद ही आश्चर्यकर्मों,
चिह्नों, चमत्कारों, और
चंगाइयों के कार्यों को किया (मरकुस 3:13-15)। यही बाइबल का स्थापित क्रम है, और इसी क्रम के अनुसार
करने से ही परमेश्वर की महिमा होगी।
यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।” सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।
एक साल में बाइबल पढ़ें:
- मीका
6-7
- प्रकाशितवाक्य 13