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शुक्रवार, 3 मई 2013

अकेले?


   कॉलेज तक फुटबॉल का खिलाड़ी रहने के कारण, इस उत्तम खेल के प्रति मेरा लगाव कभी कम नहीं हुआ। मुझे इंग्लिश प्रीमियर लीग प्रतियोगिता देखने का बहुत शौक है, और इसका एक कारण है इस प्रतियोगिता में देखी जाने वाली खेल की गति एवं कौशल का स्तर; लेकिन एक अन्य कारण भी है - भिन्न टीमों के प्रशंसकों का अपनी अपनी टीम के उत्साहवर्धन के लिए खेल के दौरान अपनी टीम के गीत गाना। उदाहरण स्वरूप, लिवरपूल की टीम के प्रशंसक वर्षों से गाते आ रहे हैं "You'll Never Walk alone" (तुम अकेले कभी नहीं चलोगे)। कितना भावविभोर करने वाला होता है 50,000 प्रशंसकों को एक साथ यह गीत गाते हुए सुनना। यह जानना खिलाड़ीयों और प्रशंसकों, दोनो ही के लिए प्रेरणादायक होता है कि परिणाम चाहे कुछ भी हो, वे सब एक दूसरे के साथ अन्त तक हैं। अकेले? जी नहीं, कभी नहीं!

   साथ बने रहने की यह भावना हम सब के लिए अर्थपूर्ण है क्योंकि हम संगति के लिए सृजे गए हैं - एक दूसरे के साथ भी और सबसे बढ़कर परमेश्वर के साथ। इसीलिए एकाकीपन और सबसे पृथक कर दिया जाना मानव अनुभव के सबसे कटु और पीड़ादायक अनुभवों में से एक है जिनके आधार पर ’कालापानी’ और कालकोठरी में अकेले डाल दिए जाने के दण्ड बनाए गए थे। लेकिन एकाकीपन के इस कष्टदायक अनुभव के लिए इन अमानवीय दण्डों से होकर निकलना आवश्यक नहीं है; भरे समाज और लोगों के बीच रहते हुए भी व्यक्ति बिलकुल अकेला और असहाय हो सकता है। ऐसे एकाकीपन के कष्टदायक समय में केवल हमारा विश्वास ही हमारा सहारा होता है। जिसका विश्वास सदा साथ बने रहने वाले और उससे सदा प्रेम रखने वाले परमेश्वर पर है वह कभी अकेला अनुभव नहीं करता क्योंकि उसकी हर परिस्थिति में वह प्रेमी परमेश्वर पिता उसके साथ रहता है और उसे शांति देता है।

   परमेश्वर की किसी भी सन्तान को कभी त्यागे जाने या अकेला छोड़ दिए जाने का भय नहीं। चाहे लोग विरोधी हो जाएं, मित्रजन त्याग दें, परिस्थितियाँ प्रीय जनों को अलग कर दें, लेकिन परमेश्वर से उसकी सन्तान को कोई कभी अलग नहीं कर सकता। परमेश्वर ने हम मसीही विश्वासियों से यह वायदा किया है कि: "...कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों 13:5)। यह केवल कहने-सुनने में अच्छी लगने वाली बात ही नहीं है वरन परमेश्वर की हर सन्तान का व्यक्तिगत अनुभव भी है। पीड़ा, कष्ट, कमी-घटी, सताव से होकर निकलने वाले प्रत्येक मसीही विश्वासी ने परमेश्वर कि शांति और साथ बनी रहने वाली उसकी उपस्थिति को अनुभव किया है। परमेश्वर ने कभी यह वायदा नहीं किया कि उसका जन इन विपरीत परिस्थितियों से होकर कभी नहीं निकलेगा, लेकिन यह वायदा अवश्य किया है कि इन परिस्थितियों में वह भी उसके साथ रहेगा, उसे शांति, सामर्थ और ढाढ़स देगा - और वह अपने वायदे में सदा ही पक्का और विश्वासयोग्य रहा है। परीक्षा से होकर निकले हर मसीही विश्वासी की यह गवाही रही है कि उस परीक्षा की घड़ी में ही उसने परमेश्वर की उपस्थिति को सबसे अधिक निकटता से और सबसे भली-भांति अनुभव किया है।

   प्रभु यीशु ने कहा है: "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना 14:27); "मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले; संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है" (यूहन्ना 16:33)।

   संसार के लोग अकेले हो सकते हैं, लेकिन मसीही विश्वासी - कभी नहीं! - बिल क्राउडर


परमेश्वर की लगातार बनी संगति मसीही विश्वासी की सबसे दृढ़ सामर्थ है।

तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5

बाइबल पाठ: इब्रानियों 13:1-8
Hebrews 13:1 भाईचारे की प्रीति बनी रहे।
Hebrews 13:2 पहुनाई करना न भूलना, क्योंकि इस के द्वारा कितनों ने अनजाने स्‍वर्गदूतों की पहुनाई की है।
Hebrews 13:3 कैदियों की ऐसी सुधि लो, कि मानो उन के साथ तुम भी कैद हो; और जिन के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उन की भी यह समझकर सुधि लिया करो, कि हमारी भी देह है।
Hebrews 13:4 विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्‍कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।
Hebrews 13:5 तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।
Hebrews 13:6 इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है।
Hebrews 13:7 जो तुम्हारे अगुवे थे, और जिन्हों ने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उन के चाल-चलन का अन्‍त देखकर उन के विश्वास का अनुकरण करो।
Hebrews 13:8 यीशु मसीह कल और आज और युगानुयुग एकसा है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 14-15 
  • लूका 22:21-46