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शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

मुखौटे

हमारा समाज छल और दोगलेपन को प्रोत्साहन देता है। इससे पहले कि हमारे बच्चे स्कूल जाने लायक हों, वे छलावे और दिखावे के व्यवहार की आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर चुके होते हैं, तथा कुछ समय और व्यतीत होते होते वे भी इस कला में अपने व्यसक जोड़ीदारों तथा अभिभावकों के समान ही निपुण भी हो जाते हैं।

समाज में इस बात का प्रचलन तो बुरा है ही, लेकिन इससे भी बुरा है जब यह बात और व्यवहार हमारे विश्वास के जीवन में भी दिखाई देने लगती है। जब इतवार को हमें चर्च में होते हैं, तो बड़ी कुशलता से वहाँ हम अपने आचरण को, दूसरे लोगों की अपेक्षा के अनुरूप, ’भले मसीही’ जैसा बना लेते हैं। अपने इस ’रविवारीय व्यवहार’ को बड़ी स्वभाविकता के साथ निभाते हुए हम सबसे अपने अन्दर के स्वार्थी, कंजूस और क्षमाविहीन व्यक्तित्व को सफलता पूर्वक छुपा लेते हैं और लोगों के सामने बड़े धर्मपरायण प्रतीत होते हैं।

प्रसिद्ध मसीही लेखक चार्लस स्विन्डौल ने अपनी एक पुस्तक Improving Your Serve में अपने एक अनुभव का उल्लेख किया। वे एक स्थान पर प्रचारक के रूप में आमंत्रित थे, और वे अपने साथ अपने बच्चों द्वारा उन्हें भेंट में कभी दिया गया रबर से बना एक मुखौटा ले गए। एक शाम जब उनके प्रचार का विष्य था वास्तविकता तथा विश्वसनियता, तो वह उस मुखौटे को लगाकर प्रचार करने लगे। जैसी कि उनकी उम्मीद थी, उपस्थित समूह उनके व्यवहार और प्रचार के विष्य के प्रतिकूल होने के कारण ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। फिर अपने मुखौटे को उतार कर उन्होंने टिप्पणी करी, "कितना विचित्र है कि लोग चेहरे पर लगे वास्तविक मुखौटों की असलियत को तुरंत पहचान लेते हैं, कोई उनसे छला नहीं जा सकता। लेकिन कितना आसान है चेहरों पर नकली तथा अदृश्य मुखौटे लगाए रखना, और लोग उन मुखौटों की वास्तविकता को नहीं पहचान पाते। मसीह के सेवक जिनके हृदय खरे हैं, उन्होंने अपने मुखौटे उतार फेंके हैं और समाज के सामने, अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर के समान, अपनी वास्तविकता में जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे सेवकों पर परमेश्वर की विशेष आशीशें बनी रहती हैं।"

हम सब को अपने जीवनों में ढोंग तथा दोगलेपन के साथ संघर्ष करना पड़ता है। अदृश्य मुखौटे लगा कर हम संसार को छल सकते हैं, हृदयों को देखने तथा जाँचने वाले परमेश्वर को नहीं। लेकिन यदि हमारे हृदय खरे होंगे तो हमें अपने चेहरे मुखौटों के पीछे नहीं छुपाने की कोई आवश्यक्ता नहीं होगी। - डेव एग्नर


ढोंगी वह है जिसका ’रविवारीय व्यवहार’ उसके प्रतिदिन के वास्तविक व्यवहार से भिन्न होता है।

इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्‍तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो। - मत्ती २३:२८


बाइबल पाठ: मत्ती २३:२५-३३

Mat 23:25 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्‍तु वे भीतर अन्‍धेर असंयम से भरे हुए हैं।
Mat 23:26 हे अन्‍धे फरीसी, पहिले कटोरे और थाली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्‍वच्‍छ हों।
Mat 23:27 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्‍दर दिखाई देती हैं, परन्‍तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं।
Mat 23:28 इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्‍तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।
Mat 23:29 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धमिर्यों की कब्रें बनाते हो।
Mat 23:30 और कहते हो, कि यदि हम अपके बाप-दादों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उन के साझी न होते।
Mat 23:31 इस से तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के घातकों की सन्‍तान हो।
Mat 23:32 सो तुम अपने बाप-दादों के पाप का घड़ा भर दो।
Mat 23:33 हे सांपो, हे करैतों के बच्‍चो, तुम नरक के दण्‍ड से क्‍योंकर बचोगे?

एक साल में बाइबल:
  • भजन ४९-५०
  • रोमियों १