क्रिस सिंप्सन का जीवन घृणा से भरा हुआ था। अपने पहले बच्चे की म्रुत्यु से आहत होकर क्रिस चकरा गया, क्रोध और रोष से भर गया। उसने अपने क्रोध का निशाना विभिन्न जातीय समुदायों को बनाया और अपने शरीर पर घृणा से भरे अनेक वाक्य गुदवा लिए। लेकिन जब क्रिस ने अपने बेटे को उसी घृणा की नकल करते देखा तो उसे एहसास हुआ कि उसे अपना रवैया बदलना होगा। उन्हीं दिनों उसने साहस पर बनी मसीही विश्वास से संबंधित एक फिल्म देखी और फिर चर्च जाना आरंभ कर दिया। इसके एक माह पश्चात क्रिस ने प्रभु यीशु का अनुयायी बन कर अपने मसीही विश्वास की गवाही के रूप में बप्तिस्मा लिया। आज क्रिस सिंप्सन एक नया व्यक्ति है, उसने अपने घृणा से भरे जीवन को पीछे छोड़ दिया है और अब वह कष्टदायक तथा महंगी प्रक्रिया में लगा है - अपने बीते जीवन के चिन्हों, उन घृणापूर्ण गोदनों को अपने शरीर से हटाने की प्रक्रिया।
प्रेरित पौलुस भी इसी प्रकार के जीवन परिवर्तन के गहरे अनुभव से होकर निकला था। पहले वह प्रभु यीशु मसीह से नफरत करता था और प्रभु यीशु के अनुयायियों को सताता था (प्रेरितों 22:4-5; 1 कुरिन्थियों 15:9)। लेकिन प्रभु यीशु मसीह से हुए उसके व्यक्तिगत साक्षत्कार तथा परिणमस्वरूप मसीह यीशु से बने आत्मिक संबंध ने यह सब कुछ बदल दिया। प्रभु यीशु ने जो कार्य क्रूस पर समस्त मानवजाति के लिए किया है उसने पौलुस को अपने जीवन पर पुनःविचार करने के लिए बाध्य किया। प्रभु यीशु के साथ जुड़े इस आत्मिक संबंध ने पौलुस को एक नया मनुष्य बना दिया; अतीत के पाप, मृत्यु और स्वार्थ का पुराना नज़रिया बदल गया, उसके स्थान पर एक नई वाचा, एक नया नज़रिया और जीवन की नई शैली आ गई।
जब प्रभु यीशु जीवन में आते हैं तो जीवन परिवर्तित हो जाता है; पुरानी बातें बीत जाती हैं (2 कुरिन्थियों 5:17), आशीष और आनन्द से भरा एक नया जीवन आरंभ हो जाता है। - मार्विन विलियम्स
मसीह यीशु में होना नवीनिकरण मात्र नहीं वरन नया र्सृजन है।
मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। - गलतियों 2:20
बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:12-21
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्ड करते हैं।
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे।
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 3-5
- 1 तिमुथियुस 4