प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन परमेश्वर से संबंधित बातों के प्रति अपनी कड़ुवाहट और आलोचना प्रगट करने में ज़रा भी हिचकिचाते नहीं थे। दुख की बात यह है कि उनके इस दृष्टिकोण और चर्च के प्रति बैर के लिए कई चर्च के अगुवे ही ज़िम्मेदार थे। ट्वेन ऐसे चर्च अगुवों को को जानते थे जो अपने घरों में गुलाम खरीद कर रखते थे और उनसे बहुत दुर्व्यवहार करते थे। वे ऐसे पाद्रियों को भी जानते थे जो बाइबल से गलत शिक्षा और बाइबल की गलत व्याख्या द्वारा गुलाम प्रथा को जायज़ ठहराते थे। उन्होंने ऐसे लोगों को चर्च में देखा था जो चर्च के अन्दर तो बड़े धार्मिक होने का ढोंग करते लेकिन चर्च के बाहर झूठ बोलने और गाली-गलौज करने में ज़रा नहीं हिचकचते थे। यद्यपि मार्क ट्वेन ने कुछ लोगों, जैसे अपनी माता और पत्नि में सच्चा मसीही प्रेम देखा और अनुभव किया, लेकिन वह कभी चर्च के अगुवों के बुरे और दोगले व्यवहार तथा उनके बुरे जीवन को समझ नहीं पाए और इसी कारण मसीह की ओर आकर्षित नहीं हो सके।
नेतृत्व एक विशेषाधिकार है, और इस विशेषाधिकार के साथ इसे भली भांति निभाने और इसके द्वारा लोगों का भला करने का दायित्व भी मिलता है। यह बात मसीही अगुवों और प्रचारकों पर विशेष रूप से लागू होती है। परमेश्वर अपने वचन के शिक्षकों को इस दायित्व के निर्वाह के लिए अन्य लोगों से अधिक ज़िम्मेदार मानता है; क्योंकि वे एक ऐसे पद पर हैं जहाँ से वे लोगों को मसीह के प्रति आकर्षित भी कर सकते हैं और उन्हें मसीह से निरुत्साहित करके उस से दूर भी कर सकते हैं।
चर्च के अगुवे, जैसे प्रमुख, पादरी, शिक्षक आदि की ज़िम्मेदारी निभाना एक बहुत महान और गंभीर अधिकार है। जिन्हें इस ज़िम्मेदारी के लिए बुलाया गया है उन का कार्य है लोगों को मसीह की ओर लेकर आएं न कि लोगों का मसीह से दूर होने का कारण बनें। ये अगुवे अपनी इस ज़िम्मेदारी को तभी भली भांति निभा सकते हैं जब वे उस सच्चे ज्ञान के केवल प्रचार करने वाले न हों, वरन उसे अपने जीवनों में प्रदर्शित भी करें: "जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब ३:१७)। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। - याकूब ३:१
बाइबल पाठ: याकूब ३
Jas 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
Jas 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
Jas 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
Jas 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
Jas 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
Jas 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
Jas 3:7 क्योंकि हर प्रकार के वन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
Jas 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रूकती ही नहीं, वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
Jas 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
Jas 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
Jas 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नही होना चाहिए।
Jas 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलता है? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
Jas 3:13 तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है।
Jas 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
Jas 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।
Jas 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है।
Jas 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Jas 3:18 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है।
एक साल में बाइबल:
नेतृत्व एक विशेषाधिकार है, और इस विशेषाधिकार के साथ इसे भली भांति निभाने और इसके द्वारा लोगों का भला करने का दायित्व भी मिलता है। यह बात मसीही अगुवों और प्रचारकों पर विशेष रूप से लागू होती है। परमेश्वर अपने वचन के शिक्षकों को इस दायित्व के निर्वाह के लिए अन्य लोगों से अधिक ज़िम्मेदार मानता है; क्योंकि वे एक ऐसे पद पर हैं जहाँ से वे लोगों को मसीह के प्रति आकर्षित भी कर सकते हैं और उन्हें मसीह से निरुत्साहित करके उस से दूर भी कर सकते हैं।
चर्च के अगुवे, जैसे प्रमुख, पादरी, शिक्षक आदि की ज़िम्मेदारी निभाना एक बहुत महान और गंभीर अधिकार है। जिन्हें इस ज़िम्मेदारी के लिए बुलाया गया है उन का कार्य है लोगों को मसीह की ओर लेकर आएं न कि लोगों का मसीह से दूर होने का कारण बनें। ये अगुवे अपनी इस ज़िम्मेदारी को तभी भली भांति निभा सकते हैं जब वे उस सच्चे ज्ञान के केवल प्रचार करने वाले न हों, वरन उसे अपने जीवनों में प्रदर्शित भी करें: "जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब ३:१७)। - हर्ब वैन्डर लुग्ट
अच्छे नेता वही बन सकते हैं जो मसीह यीशु का अनुसरण करते हैं।
हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। - याकूब ३:१
बाइबल पाठ: याकूब ३
Jas 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
Jas 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
Jas 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
Jas 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
Jas 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
Jas 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
Jas 3:7 क्योंकि हर प्रकार के वन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
Jas 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रूकती ही नहीं, वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
Jas 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
Jas 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
Jas 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नही होना चाहिए।
Jas 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलता है? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
Jas 3:13 तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है।
Jas 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्ड न करना, और न तो झूठ बोलना।
Jas 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है।
Jas 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है।
Jas 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Jas 3:18 और मिलाप कराने वालों के लिये धामिर्कता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है।
एक साल में बाइबल:
- अय्युब ११-१३
- प्रेरितों ९:१-२१