ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014

दृढ़ नींव


   जब एक तूफान में मेरे घर के चारों के बाड़े का एक भाग गिर गया तो मेरी पहली प्रतिक्रीया उस व्यक्ति को दोषी ठहराने की थी जिसने कुछ माह पहले ही मेरे लिए वह बाड़ा लगाया था। लेकिन थोड़ा विचार करने के बाद मुझे स्पष्ट हो गया कि वास्तव में इसका दोषी मैं ही हूँ। जब बाड़ा बनकर पूरा होने के निकट था तब मैंने ही उस व्यक्ति को बाड़े की मज़बूती के लिए कौन्क्रीट में डाले गए चार नए दृढ़ खंबे लगाने से मना कर दिया था, यह कहकर कि नए खंबों की कोई आवश्यकता नहीं है, बाड़े को पुराने खंबों से ही बाँध दो, जब कि वे पुराने खंबे दृढ़ नींव वाले नहीं थे। जब तक तूफान नहीं आया, सब कुछ ठीक रहा, किन्तु तूफान आते ही बाड़े का वह भाग जो कमज़ोर नींव वाले खंबों के सहारे था स्थिर नहीं रह सका, टूट कर गिर गया।

   प्रभु यीशु ने एक दृष्टांत के द्वारा परमेश्वर के वचन और उसकी आज्ञाकारिता की दृढ़ नींव पर जीवन निर्माण करने के महत्व को समझाया। प्रभु ने कहा: "इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी" (मत्ती 7:24-25)। यह घर आन्धी तथा बाढ़ का प्रहार इसलिए झेल सका और स्थिर खड़ा रह सका क्योंकि वह ना केवल चट्टान पर बना था, वरन साथ ही उसकी नींव भी दृढ़ डाली गयी थी।

   परमेश्वर का वचन वह चट्टान है और उसकी आज्ञाकारिता वह दृढ़ नींव है जो स्थिरता देते हैं। प्रभु यीशु के वचन को सुनना आवश्यक है, लेकिन जो वह अपने वचन के द्वारा हमें कहता और सिखाता है उसका पालन करे बिना हम जीवन के तूफानों में स्थिर खड़े नहीं रह पाएंगे; वह अति आवश्यक अडिग स्थिरता सुनने भर से नहीं वरन सुनने और मानने दोनों के सामूहिक प्रभाव से ही आती है। यदि आपने अभी तक मसीह यीशु के वचन पर विश्वास की चट्टान पर अपने जीवन का निर्माण आरंभ नहीं किया है तो आप अभी यह कर सकते हैं; जीवन के निर्माण को एक दृढ़ नींव अर्थात परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता का आधार दें, और आप जीवन में आने वाले हर आन्धी-तूफान-बाढ़ में सदा स्थिर बने रहेंगे। - डेविड मैक्कैसलैण्ड


जब परिस्थितियाँ और विपत्तियाँ संसार को चूर कर रही होंगी, तब मसीह यीशु पर बनाए गए जीवन स्थिर खड़े मिलेंगे।

क्योंकि परमेश्वर के यहां व्यवस्था के सुनने वाले धर्मी नहीं, पर व्यवस्था पर चलने वाले धर्मी ठहराए जाएंगे। - रोमियों 2:13

बाइबल पाठ: मत्ती 7:21-29
Matthew 7:21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। 
Matthew 7:22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए? 
Matthew 7:23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ। 
Matthew 7:24 इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। 
Matthew 7:25 और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी। 
Matthew 7:26 परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिसने अपना घर बालू पर बनाया। 
Matthew 7:27 और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्‍धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।
Matthew 7:28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। 
Matthew 7:29 क्योंकि वह उन के शास्‍त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाईं उन्हें उपदेश देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • मत्ती 5-7