ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 7 जुलाई 2019

अच्छा



      मेरे माता-पिता ने मुझे और मेरी बहन को बचपन से ही “अच्छे लोग” होने की परवरिश दी। हमारे घर में “अच्छा” होने का अर्थ था माता-पिता का आज्ञाकारी होना, सदा सच बोलना, स्कूल और कार्य-स्थल के सभी दायित्वों के निर्वाह में सफल होना, और चर्च जाना...कम से कम क्रिसमस और ईस्टर पर तो अवश्य। मेरा मानना है कि अच्छा होने की यह परिभाषा बहुतेरे लोगों के लिए चिर-परिचित है, वे चाहे किसी भी स्थान या संस्कृति के क्यों न हों। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में अपनी संस्कृति के अनुसार “अच्छे” होने की परिभाषा के द्वारा एक बड़ी बात को समझाया।

      पौलुस, प्रथम शताब्दी का एक भक्त यहूदी व्यक्ति थी, और अपनी संस्कृति के नैतिक व्यवस्था का बहुत कड़ाई से पालन करता था। उसका जन्म “अच्छे” परिवार में हुआ था, उसे “अच्छी” शिक्षा मिली थी, और वह “अच्छे” धर्म का सही निर्वाह करता था। वह यहूदी मान्यताओं के अनुसार “अच्छा” व्यक्ति होने के सभी मानकों पर खरा उतरता था। पौलुस ने अपनी पत्री में यह भी लिखा कि यदि वह चाहता तो अपने अच्छे होने पर घमण्ड भी कर सकता था। परन्तु इतना सब अच्छा होते हुए भी, एक बार जब पौलुस का प्रभु यीशु मसीह से साक्षात्कार हो गया, तो उसने अपने अच्छे होने की वास्तविकता को पहचाना, और जान लिया कि चाहे अच्छा होना भला है, किन्तु परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

      पौलुस ने आगे लिखा, कि परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए प्रभु यीशु मसीह को व्यक्तिगत रीति से जानना अनिवार्य है। पौलुस ने स्वयँ अपने विषय कहा कि अपनी सभी घमंड कर सकने योग्य बातों को वह, प्रभु यीशु मसीह की पहचान की उत्तमता के सामने “कूड़ा” समझता है। जो बात पौलुस ने अपने उदाहरण से हमें समझाई है वह है : अपनी अच्छाई मात्र से ही हम परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले और उसे ग्रहण योग्य नहीं हो जाते हैं; केवल जब प्रभु यीशु मसीह ही में हमारा विश्वास, समर्पण और आशा होते हैं, तब ही हम वास्तव में “अच्छे” होते हैं और परमेश्वर को प्रसन्न करने पाते हैं। - कैरेन वुल्फ


हम भले, और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले तब ही होते हैं, 
जब हम केवल प्रभु यीशु मसीह ही में विश्वास और आशा रखते हैं।

हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं, और हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ों के समान हैं। हम सब के सब पत्ते के समान मुर्झा जाते हैं, और हमारे अधर्म के कामों ने हमें वायु के समान उड़ा दिया है। - यशायाह 64:6

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 3:1-11
Philippians 3:1 निदान, हे मेरे भाइयो, प्रभु में आनन्‍दित रहो: वे ही बातें तुम को बार बार लिखने में मुझे तो कोई कष्‍ट नहीं होता, और इस में तुम्हारी कुशलता है।
Philippians 3:2 कुत्तों से चौकस रहो, उन बुरे काम करने वालों से चौकस रहो, उन काट कूट करने वालों से चौकस रहो।
Philippians 3:3 क्योंकि खतना वाले तो हम ही हैं जो परमेश्वर के आत्मा की अगुवाई से उपासना करते हैं, और मसीह यीशु पर घमण्‍ड करते हैं और शरीर पर भरोसा नहीं रखते।
Philippians 3:4 पर मैं तो शरीर पर भी भरोसा रख सकता हूं यदि किसी और को शरीर पर भरोसा रखने का विचार हो, तो मैं उस से भी बढ़कर रख सकता हूं।
Philippians 3:5 आठवें दिन मेरा खतना हुआ, इस्त्राएल के वंश, और बिन्यामीन के गोत्र का हूं; इब्रानियों का इब्रानी हूं; व्यवस्था के विषय में यदि कहो तो फरीसी हूं।
Philippians 3:6 उत्‍साह के विषय में यदि कहो तो कलीसिया का सताने वाला; और व्यवस्था की धामिर्कता के विषय में यदि कहो तो निर्दोष था।
Philippians 3:7 परन्तु जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्‍हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है।
Philippians 3:8 वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्‍तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्त करूं।
Philippians 3:9 और उस में पाया जाऊं; न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है।
Philippians 3:10 और मैं उसको और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को, और उसके साथ दुखों में सहभागी हाने के मर्म को जानूँ, और उस की मृत्यु की समानता को प्राप्त करूं।
Philippians 3:11 ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचूं।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 34-35
  • प्रेरितों 15:1-21