संगीत कार्यक्रम के आरंभ में वाद्यवृन्द के सद्स्य अपने अपने वाद्यों की के सुर ठीक करते हैं। संगीत सुनने के लिये आए और उतसुक्ता से बैठे श्रोताओं को यह यह बेसुरा और बिन तालमेल का लगता है। किंतु यह सुर ठीक करना और आपसी तालमेल बैठाना आने वाले सुरीले संगीत का पूर्वरंग मात्र है और अति आवश्यक है।
सी. एस. ल्युइस के अनुसार हमारी इस पृथ्वी करी गई आरधना और गाया गया भजन संगीत भी कुछ ऐसा ही है। कभी कभी हमें यह सब बेसुरा और बिना तालमेल का लग सकता है, परन्तु परमेश्वर इसे प्रेमी पिता के समान आनन्द से सुनता है। हम तो स्वर्ग में होने वाली महिमामयी आरधना संगीत की तैयारी कर रहे हैं। स्वर्गदूतों और उद्धार पाये लोगों की उस आराधना सभा में अभी हमारा योगदान लेशमात्र है, परन्तु यह छोटा सा प्रयास भी सुनने वाले हमारे स्वर्गीय पिता को प्रसन्न करता है। वह इस उपासना को पृथ्वी के किसी भी बड़े से बड़े वाद्यवृन्द द्वारा प्रस्तुत संगीत से अधिक रुचि से सुनता है।
क्या हम उस स्वर्गीय आराधना में भाग लेने को उतसुक्त रहते हैं? परमेश्वर के हृदय को प्रसन्न करने वाली उपासना में क्या हम आनन्द सहित संभागी होते हैं? या आराधना करना हमें कर्तव्य की पूर्ति मात्र लगता है और हम आनन्द से नहीं वरन अनुशासन के आधीन होकर यह करते हैं?
आरधना के प्रति हमारा रवैया बदल जाएगा जब हम यह समझेंगे कि हमारी कमज़ोर सी आराधना भी परमेश्वर के मन को आनन्दित करती है। आराधना हमारे जीवनों का तालमेल स्वर्गीय स्तुतिगान के साथ बैठाने में हमारी सहायता करती है।
अभी की उपासना उस आने वाले अनन्त और आनन्दमय स्तुतिगान के लिये करी गई आवश्यक तैयारी है - जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो! (भजन १५०:६) - वेर्नन ग्राउंड्स
और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा। - भजन ६१:८
बाइबल पाठ: भजन १५०
याह की स्तुति करो! ईश्वर के पवित्रस्थान में उसकी स्तुति करो, उसकी सामर्थ्य से भरे हुए आकाशमण्डल में उसी की स्तुति करो!
उसके पराक्रम के कामों के कारण उसकी स्तुति करो, उसकी अत्यन्त बड़ाई के अनुसार उसकी स्तुति करो!
नरसिंगा फूंकते हुए उसकी स्तुति करो, सारंगी और वीणा बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
डफ बजाते और नाचते हुए उसकी स्तुति करो, तारवाले बाजे और बांसुली बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
ऊंचे शब्दवाली झांझ बाजाते हुए उसकी स्तुति करो, आनन्द के महाशब्दवाली झांझ बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो!
एक साल में बाइबल:
भजन १४८ - १५०
१ कुरिन्थियों १५:२९-५८
सी. एस. ल्युइस के अनुसार हमारी इस पृथ्वी करी गई आरधना और गाया गया भजन संगीत भी कुछ ऐसा ही है। कभी कभी हमें यह सब बेसुरा और बिना तालमेल का लग सकता है, परन्तु परमेश्वर इसे प्रेमी पिता के समान आनन्द से सुनता है। हम तो स्वर्ग में होने वाली महिमामयी आरधना संगीत की तैयारी कर रहे हैं। स्वर्गदूतों और उद्धार पाये लोगों की उस आराधना सभा में अभी हमारा योगदान लेशमात्र है, परन्तु यह छोटा सा प्रयास भी सुनने वाले हमारे स्वर्गीय पिता को प्रसन्न करता है। वह इस उपासना को पृथ्वी के किसी भी बड़े से बड़े वाद्यवृन्द द्वारा प्रस्तुत संगीत से अधिक रुचि से सुनता है।
क्या हम उस स्वर्गीय आराधना में भाग लेने को उतसुक्त रहते हैं? परमेश्वर के हृदय को प्रसन्न करने वाली उपासना में क्या हम आनन्द सहित संभागी होते हैं? या आराधना करना हमें कर्तव्य की पूर्ति मात्र लगता है और हम आनन्द से नहीं वरन अनुशासन के आधीन होकर यह करते हैं?
आरधना के प्रति हमारा रवैया बदल जाएगा जब हम यह समझेंगे कि हमारी कमज़ोर सी आराधना भी परमेश्वर के मन को आनन्दित करती है। आराधना हमारे जीवनों का तालमेल स्वर्गीय स्तुतिगान के साथ बैठाने में हमारी सहायता करती है।
अभी की उपासना उस आने वाले अनन्त और आनन्दमय स्तुतिगान के लिये करी गई आवश्यक तैयारी है - जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो! (भजन १५०:६) - वेर्नन ग्राउंड्स
आरधना से भरा हृदय परमेश्वर को आनन्दित करता है।
और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा। - भजन ६१:८
बाइबल पाठ: भजन १५०
याह की स्तुति करो! ईश्वर के पवित्रस्थान में उसकी स्तुति करो, उसकी सामर्थ्य से भरे हुए आकाशमण्डल में उसी की स्तुति करो!
उसके पराक्रम के कामों के कारण उसकी स्तुति करो, उसकी अत्यन्त बड़ाई के अनुसार उसकी स्तुति करो!
नरसिंगा फूंकते हुए उसकी स्तुति करो, सारंगी और वीणा बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
डफ बजाते और नाचते हुए उसकी स्तुति करो, तारवाले बाजे और बांसुली बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
ऊंचे शब्दवाली झांझ बाजाते हुए उसकी स्तुति करो, आनन्द के महाशब्दवाली झांझ बजाते हुए उसकी स्तुति करो!
जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो!
एक साल में बाइबल:
भजन १४८ - १५०
१ कुरिन्थियों १५:२९-५८