अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति John F. Kennedy के पुत्र John F. Kennedy Jr. और उनका एक मित्र बिल्ली को अमेरीकी नौसेना के युद्धपोत USS John F. Kennedy पर आने का निमंत्रण मिला। युद्धपोत को दिखने और उसके बारे में बताने के लिए नौसेना का एक कर्मचारी भी उअन्के साथ मार्गदर्शक के रूप में था। घूमते घूमते वे तीनों अनायास हि पोत के एक ऐसे क्षेत्र में पहुँच गए जो दर्शको के लिए वर्जित है। जब एक नौसेना अधिकारी ने उन्हें वहां रोका तो उनके मार्गदर्शक ने John F. Kennedy Jr. की ओर सम्केत करते हुए उस अधिकारी से कहा, "यह इनके पिताजी का पोत है।" यह सुनते ही वह अफसर "सावधान" की मुद्रा में खड़ा हो गया और John F. Kennedy Jr. को सलाम किया। उनके मार्गदर्शक ने बताया कि नौसेना में प्रथा है कि यदि किसी पोत का नाम किसी व्यक्ति के नाम पर रखा जाता है तो वह पोत उसि व्यक्ति का माना जाता है जिसके नाम पर उस पोत का नाम रखा गया। इस कारण क्योंकि उस पोत का नाम John F. Kennedy Jr. के पिता भूतपूर्व राष्ट्रपति John F. Kennedy के नाम पर रखा गया था इस लिए John F. Kennedy Jr. को उस पोत पर कुछ बेजोड़ विशेषाधिकार प्राप्त थे।
यह एक महत्वपुर्ण आत्मिक सिद्धांत को भी दिखाता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा कि मसीही विश्वासी होने के नाते हम, "... यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों" (इफिसियों १:४-५)। पापों से पश्चाताप और प्रभु यीशु में किए गए विश्वास के बाद जब हम उद्धार प्राप्त करके परमेश्वर के परिवार में सम्मिलित हो जाते हैं तो हम मसीही विश्वासियों को भी परमेश्वर की संतान होने के बेजोड़ विशेषाधिकार मिल जाते हैं। अब हमारी देह परमेश्वर के पवित्र आत्मा का मंदिर हो जाती है, और वह हम में वास करता है (१ कुरिन्थियों ६:१९-२०); हमें परमेश्वर को "हे अब्बा, हे पिता" कहकर पुकारने का अधिकार मिल जाता है (रोमियों ८:१५); हम मसीह यीशु के संगी वारिस बनाए गए हैं (रोमियों ८:१७); अब जो हम में है वह उस से जो संसार में है बड़ा है (१ युहन्ना ४:४); परमेश्वर सदा ही हमें मसीह यीशु में जय के उत्सव में लिए चलता है (२ कुरिन्थियों २:१४) और परमेश्वर के स्वर्गदूत हमारी सेवा-टहल करने वाली आत्माएं बन जाते हैं (इब्रानियों १:१३-१४)।
जीवन की चुनौतियों से भरी राह में हम इन सभी बातों से सामर्थ ले सकते हैं तथा किसी भी मसीही विश्वासी को कभी निराशा का जीवन जीने या हारा हुआ महसूस करने की कोई आवश्यक्ता नहीं है। - डेनिस फिशर
मसीही विश्वासी की मीरास अनन्त काल के लिए निश्चित है।
और अपनी इच्छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों - इफिसियों १:५
बाइबल पाठ: रोमियों ८:१२-१७
Rom 8:12 सो हे भाइयो, हम शरीर के कर्जदार नहीं, ताकि शरीर के अनुसार दिन काटें।
Rom 8:13 क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे।
Rom 8:14 इसलिये कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं।
Rom 8:15 क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं।
Rom 8:16 आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं।
Rom 8:17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब कि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएं।
Rom 8:12 सो हे भाइयो, हम शरीर के कर्जदार नहीं, ताकि शरीर के अनुसार दिन काटें।
Rom 8:13 क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे।
Rom 8:14 इसलिये कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं।
Rom 8:15 क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं।
Rom 8:16 आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं।
Rom 8:17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब कि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएं।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण २३-२५
- मरकुस १४:१-२६