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बुधवार, 25 अगस्त 2021

परमेश्वर का वचन – बाइबल – और विज्ञान – 13

 

बाइबल और भौतिक-विज्ञान – 2

       पिछले लेख में हमने पानी के चक्र के बारे में देखा था, और यह भी देखा था कि जब प्रदूषण और जल-वायु के बिगड़ने की कोई समझ या ज्ञान अथवा संभावना का भी संसार के लोगों को पता नहीं था, तब ही 2000 वर्ष पहले, परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में लिखवा दिया था कि पृथ्वी को बिगाड़ने वालों को उनके किए के लिए परमेश्वर के न्याय का सामना करना पड़ेगा। आज हम भौतिक विज्ञान की, पानी के चक्र से भी जटिल बातों के संबंध में बाइबल में लिखी कुछ बातों के बारे में देखेंगे, जो हमारे पहले कहे गए एक तथ्य की पुष्टि करती हैं कि परमेश्वर की सृष्टि, अपने रचयिता के पक्ष में ही गवाही देगी, उसके विरुद्ध नहीं।

  • सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक सर आइज़क न्यूटन ने प्रकाश के बारे में बहुत खोज की, उसके गुणों का, और उसके विषय कुछ नियमों पता लगाया। जैसे कि, उन्होंने दिखाया, सूर्य के प्रकाश को सात रंगों में फैलाया जा सकता है और उन्हें फिर से एक साथ कर के पहले जैसे प्रकाश में परिवर्तित किया जा सकता है; और यह कि प्रकाश का अपना का एक निश्चित मार्ग होता है, जिसके अनुसार वह जाता है। आज से लगभग 4000 वर्ष पहले रहने वाले अय्यूब के वृतांत में, सृष्टि के विषय अय्यूब से प्रश्न करते समय, परमेश्वर ने उससे पूछा और लिखवा दिया था, “उजियाले के निवास का मार्ग कहां है, और अन्धियारे का स्थान कहां है?” (अय्यूब 38:19); “किस मार्ग से उजियाला फैलाया जाता है, ओर पुरवाई पृथ्वी पर बहाई जाती है?” (अय्यूब 38:24); अर्थात, प्रकाश के जाने का एक निर्धारित मार्ग है और उजियाले को फैलाया [बाइबल के विभिन्न अंग्रेजी अनुवाद यहफैलायासे और भी अधिक सटीक शब्द divided, parted, diffused, dispersed आदि के प्रयोग द्वारा व्यक्त करते हैं] जा सकता है। जिस वैज्ञानिक तथ्य को पहचानने और प्रमाणित करने में न्यूटन जैसे वैज्ञानिक को समय और परिश्रम लगाना पड़ा, उसे परमेश्वर ने एक सामान्य मनुष्य पर पहले ही प्रकट कर दिया था। 
  • अय्यूब के साथ अपने वार्तालाप में परमेश्वर उससे एक और अद्भुत प्रश्न पूछता है, “क्या तू बिजली को आज्ञा दे सकता है, कि वह जाए, और तुझ से कहे, मैं उपस्थित हूँ?” (अय्यूब 38:35)। मूल इब्रानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद यहाँ परबिजलीकिया गया है, उसका शब्दार्थ होता हैचमकने वाली”; अर्थात प्रकाश याचमकमें वह गुण है कि उसको एक से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है, और उसे ध्वनि में परिवर्तित किया जा सकता है, इस गुण की सहायता से उसके माध्यम से संदेश भेजे जा सकते हैं। जिसे परमेश्वर ने 4000 वर्ष पहले कहा था, उसे विज्ञान ने अब पहचाना है कि प्रकाश, रेडियो तरंगें, और ध्वनि तरंगें एक ही प्रकार की ऊर्जा के, उसकी भिन्न आवृत्तियों (frequencies) के अनुसार, भिन्न स्वरूप हैं, एक से दूसरे स्थान पर स्वरूप परिवर्तित करके भेजे जा सकते हैं और इस गुण के उपयोग के द्वारा संदेश एक से दूसरे स्थान पर भेजे जा सकते हैं - हमारे टी.वी. रेडियो, फोन, औडियो और वीडियो कौल प्रणालियाँ, आदि सभी इसी सिद्धांत पर कार्य करती हैं, जिसे परमेश्वर ने इन बातों के पता होने से पहले ही पहले ही साधारण शब्दों में व्यक्त कर दिया था। 
  • पहले यह माना जाता था कि वायु में कोई भार नहीं है। किन्तु अय्यूब की पुस्तक में ही परमेश्वर द्वारा वायु का तौल निर्धारित करने की बात कही गई हैजब उसने वायु का तौल ठहराया, और जल को नपुए में नापा” (अय्यूब 28:25)। जिसे विज्ञान को पहचानने में सदियाँ लग गईं, उसे परमेश्वर ने 4000 वर्ष पहले बता दिया था।
  • सृष्टि के आरंभ, उत्पत्ति के समय से ही परमेश्वर ने आकाश की ज्योतियों और तारागणों को  चिह्नों, दिन और रात के समय निर्धारण, दिनों और वर्षों के निर्धारण के लिए बनाया था, “फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों। और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया। तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया” (उत्पत्ति 1:14-16)। मनुष्य ने परमेश्वर के इस उद्देश्य को हजारों वर्ष बाद पहचाना और उसका सही उपयोग किया। 
  • जगत के अंत और न्याय होने के लिए परमेश्वर के सम्मुख खड़े होने के समय की भविष्यवाणी करते समय प्रभु यीशु का शिष्य पतरस, जो पहले एक अनपढ़ मछुआरा हुआ करता था, लिखता है, “परन्तु प्रभु का दिन चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त हो कर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे। तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त हो कर गल जाएंगे” (2 पतरस 3:10-12), जो परमाणु हथियारों के प्रयोग का सटीक वर्णन है, अंत के समय के लिए भविष्यवाणी है। आज से 2000 वर्ष पहले, जब ऐसे कोई हथियार या तरीके नहीं थे, जिनसे तत्व बहुत ही गर्म होकर पिघल जाएं, पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएं, भयानक ध्वनि हो, आकाश की उपस्थिति दृष्टि से लुप्त हो जाए, तब इन बातों को बताना, जिन्हें आज हम परमाणु अस्त्रों के प्रयोग के परिणाम के रूप में जानते हैं, क्या किसी मानवीय बुद्धि की कल्पना से हो सकता है?

 

       इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज संसार परमाणु युद्ध की कगार पर खड़ा है। परमाणु अस्त्र रखने वाली शक्तियाँ एक-दूसरे पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की होड़ में लगी हैं। संसार भर में हर स्थान, हर जाति, हर देश में तनाव है; बात-बात में एक-दूसरे पर चढ़ाई करने की या तो धमकी दी जाती है अथवा हमला कर दिया जाता है। सबसे अधिक भय अब इस बात का होने लगा है कि आतंकी संघटन और देश अब परमाणु हथियारों को अर्जित करने के प्रयास में लग गए हैं, और कर भी लेंगे। ऐसे में परमाणु विश्व-युद्ध को रोक पाना यदि असंभव नहीं तो बहुत कठिन अवश्य हो जाएगा। संसार के हालात, प्रकृति में होने वाली अप्रत्याशित, अभूतपूर्व विनाशकारी बातें, सभी 2000 वर्षे पहले प्रभु यीशु की भविष्यवाणियों (मत्ती 24 अध्याय) के अनुसार, प्रभु के दूसरे आगमन और जगत के अंत तथा सभी मनुष्यों न्याय के शीघ्र ही होने की ओर संकेत कर रही हैं। अब यह आपको विचार करना है कि क्या आप इस अवश्यंभावी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं कि नहीं। 

चाहे जगत का अंत आपके जीवन काल में न भी हो, तो भी जीवन समाप्त होने के पश्चात, प्रभु परमेश्वर के सामने जीवन का हिसाब देने के लिए तो खड़ा होना ही है। यदि आत्मा पर पाप के दाग लिए हुए जाएंगे, तो फिर परमेश्वर के साथ नहीं रह पाएंगे। आज ही स्वेच्छा से, प्रभु यीशु से अपने पापों की क्षमा माँगकर पापों के दागों को धो लीजिए, परमेश्वर के साथ अनन्तकाल की आशीष और सुख में रहने के लिए तैयार हो जाइए। सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना, आपके जीवन को विनाश से आशीष में लाकर खड़ा कर सकती है - निर्णय आपका है। आपको बस कुछ इस प्रकार से सच्चे मन से, स्वेच्छा से, पापों के लिए पश्चाताप की मनसा के साथ प्रभु को पुकारना है, “हे प्रभु यीशु, मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं आपकी अनाज्ञाकारिता का दोषी हूँ, पापी हूँ। मैं मानता हूँ कि आपने मेरे सभी पाप अपने ऊपर लेकर, क्रूस पर अपना बलिदान देने के द्वारा उनके सारे दण्ड को मेरे लिए सह लिया, मेरे स्थान पर आपने उनकी पूरी कीमत चुका दी। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, अपना आज्ञाकारी शिष्य बनाएं, और अपने साथ बनाकर रखें।समय रहते सही निर्णय कर लें, कही बाद में बहुत देर न हो जाए, मौका हाथ से निकाल न जाए। 

 

बाइबल पाठ: यहूदा 1:14-23 

यहूदा 1:14 और हनोक ने भी जो आदम से सातवीं पीढ़ी में था, इन के विषय में यह भविष्यवाणी की, कि देखो, प्रभु अपने लाखों पवित्रों के साथ आया।

यहूदा 1:15 कि सब का न्याय करे, और सब भक्तिहीनों को उन के अभक्ति के सब कामों के विषय में, जो उन्होंने भक्तिहीन हो कर किये हैं, और उन सब कठोर बातों के विषय में जो भक्तिहीन पापियों ने उसके विरोध में कही हैं, दोषी ठहराए।

यहूदा 1:16 ये तो असंतुष्ट, कुड़कुड़ाने वाले, और अपने अभिलाषाओं के अनुसार चलने वाले हैं; और अपने मुंह से घमण्ड की बातें बोलते हैं; और वे लाभ के लिये मुंह देखी बड़ाई किया करते हैं।

यहूदा 1:17 पर हे प्रियो, तुम उन बातों को स्मरण रखो; जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रेरित पहिले कह चुके हैं।

यहूदा 1:18 वे तुम से कहा करते थे, कि पिछले दिनों में ऐसे ठट्ठा करने वाले होंगे, जो अपनी अभक्ति के अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।

यहूदा 1:19 ये तो वे हैं, जो फूट डालते हैं; ये शारीरिक लोग हैं, जिन में आत्मा नहीं।

यहूदा 1:20 पर हे प्रियो तुम अपने अति पवित्र विश्वास में अपनी उन्नति करते हुए और पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते हुए।

यहूदा 1:21 अपने आप को परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखो; और अनन्त जीवन के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह की दया की आशा देखते रहो।

यहूदा 1:22 और उन पर जो शंका में हैं दया करो।

यहूदा 1:23 और बहुतों को आग में से झपट कर निकालो, और बहुतों पर भय के साथ दया करो; वरन उस वस्‍त्र से भी घृणा करो जो शरीर के द्वारा कलंकित हो गया है।

 

एक साल में बाइबल:

·      भजन 119:1-88  

·      1 कुरिन्थियों 7:20-40