एक पुस्तक The Wisdom of Crowds के बारे में इंटरनैट पर दिए विवरण में लिखा है, "इस रोमांचक पुस्तक में व्यावसायिक स्तंभ लेखक जेम्स सुरोविकी एक अत्यंत ही सरल और सहज प्रतीत होने वाले विचार: "लोगों का बड़ा समूह या भीड़, विशिष्ट लोगों के एक छोटे गुट से अधिक चतुर होता है, चाहे वे विशिष्ट लोग कितने भी गुण-संपन्न क्यों ना हों; बड़ा समूह समस्याओं का हल ढूढ़ने, नई ईजाद के लिए प्रोत्साहक, बुद्धिमता पूर्ण निर्णय लेने की क्षमता रखने वाला यहाँ तक की भविष्य के बारे में बेहतर बताने वाला होता है" का विशलेषण करते हैं।
लेखक ने, पॉप संस्कृति से लेकर राजनीति तक की विभिन्न बातों के उपयोग द्वारा अपने इस मूल विचार को प्रस्तुत किया है कि अकसर भीड़ की राय ही सही निकलती है। यह एक रुचिकर सिद्धान्त तो है, किंतु ऐसा सिद्धान्त भी है जिस को लेकर वाद-विवाद होना स्वाभविक है, चाहे वह चुनाव के समय में हो या फिर टी.वी पर चल रहे किसी स्पर्धा के कार्यक्रम में से जब कोई पसन्दीदा भाग लेनेवाला हार कर बाहर हो तब।
परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि आवश्यक नहीं है कि भीड़ की बुद्धिमता भरोसेमन्द हो, भीड़ की राय खतरनाक भी हो सकती है (मत्ती 7:13-14); लेकिन साथ ही एक अन्य तरीका भी है जिसके अन्तरगत सामूहिक बुद्धिमता सहायक हो सकती है - नीतिवचन 11:14 में हम पढ़ते हैं, "जहां बुद्धि की युक्ति नहीं, वहां प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देने वालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है।" मसीही विश्वासियों की मण्डली में होने का एक लाभ यह भी है कि हम एक दूसरे की सहायता करें और साथ मिलकर परमेश्वर की बुद्धिमता और सलाह को सीखें तथा जानें। जब हम परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करते हैं, उससे एक दूसरे के लिए सही सलाह माँगते हैं तो उसके द्वारा दिए गए इस प्रावधान से परस्पर सुरक्षा तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसके बुद्धिमानी से भरे निर्देशों को भी प्राप्त करते हैं। सबसे सही सलाह परमेश्वर से मिलने वाली सलाह ही है; उसे ही प्राप्त करने के खोजी रहें। - बिल क्राउडर
मिल-जुल कर परमेश्वर की सलाह खोजना ही उसकी सलाह मिलने का सर्वोत्त्म तरीका है।
ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को ठीक देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है। - नीतिवचन 14:12
बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 1:18-25
1 Corinthians 1:18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।
1 Corinthians 1:19 क्योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्छ कर दूंगा।
1 Corinthians 1:20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?
1 Corinthians 1:21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।
1 Corinthians 1:22 यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।
1 Corinthians 1:23 परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।
1 Corinthians 1:24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है।
1 Corinthians 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 46-48
- प्रेरितों 28