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बुधवार, 16 सितंबर 2020

प्रार्थना

 

         मैं उन लोगों की सराहना करती हूँ जो प्रतिदिन प्रार्थना के निवेदनों को अपनी एक पुस्तिका में लिखते हैं, प्रतिदिन प्रार्थनाओं, स्तुति और आराधना की बातों का नियमित लेखा बनाकर रखते हैं, और निरंतर प्रयोग के द्वारा उनके वे पुस्तिकाएं फटने भी लग जाती हैं। मैं उन से प्रोत्साहित होती हूँ जो औरों के साथ प्रार्थना के लिए एकत्रित होते हैं, और जिनके घुटनों पर आकर प्रार्थना करने के द्वारा, उनके बिस्तर के साथ लगी दरी में घिसने से घुटनों के स्थान बन गए हैं। मैंने कई वर्ष प्रयास किया कि उनके समान करूं, एक सिद्ध प्रार्थना की विधि का पालन करूं, और उन लोगों की अति उत्तम वाक्पटुता के जैसे मनोहर शब्दों के प्रयोग के द्वारा प्रार्थना करूं। मेरी बहुत लालसा थी कि मैं प्रार्थना करने की सही विधि को सीख कर उसका पालन कर सकूँ, और मैं उसकी परतें खोलने का प्रयास कर रही थी जो मुझे एक रहस्य लगता था।

         अन्ततः मैंने सीखा कि हमारा प्रभु केवल इतना ही चाहता है कि हमारी प्रार्थनाएँ नम्रता और दीनता के साथ आरंभ तथा अन्त हों (मत्ती 6:5)। वह हमें एक घनिष्ठ निकटता के वार्तालाप और महिमा  में आमंत्रित करता है, जिसमें उसका वायदा है कि वह हमारी प्रार्थना को सुनेगा (पद 6)। उसे कभी किसी आलंकारिक भाषा, रटे हुए वाक्यों और वाक्यांशों आदि की आवश्यकता नहीं है (पद 7)। वह हमें आश्वस्त करता है कि प्रार्थना एक उपहार है, उसके वैभव का आदर करने के लिए हमें प्रदान किया गया एक अवसर है (पद9-10 ), जिसके द्वारा हम उसके प्रावधानों में अपना भरोसा व्यक्त कर सकते हैं (पद 11), तथा उसकी क्षमा और मार्गदर्शन में हमारी सुरक्षा की पुष्टि कर सकते हैं (पद 12-13)।

         परमेश्वर हमें आश्वस्त करता है कि वह हमारी प्रत्येक कही या अनकही प्रार्थना को सुनता है और उनकी चिंता करता है; उन प्रार्थनाओं की भी जो केवल आँसुओं के रूप में हमारे गालों पर लुढ़कती हैं, परन्तु होंठों पर नहीं आने पाती हैं। जब हम परमेश्वर पर हमारे प्रति उसके सिद्ध प्रेम पर भरोसा करते हैं, तब हम आश्वस्त रह सकते हैं कि उसे समर्पित एक विनम्र और उसपर निर्भर रहने वाले मन से निकली प्रत्येक प्रार्थना, उसे स्वीकार्य है, सही प्रार्थना है। - होकिटिल डिक्सन

 

हमारे प्रेमी उद्धारकर्ता और प्रभु, यीशु मसीह से नम्रता के साथ वार्तालाप ही सही प्रार्थना है।


और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं। - 1 यूहन्ना 3:22

बाइबल पाठ: मत्ती 6:5-15

मत्ती 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।

मत्ती 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

मत्ती 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों के समान बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।

मत्ती 6:8 सो तुम उन के समान न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यकता है।

मत्ती 6:9 सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।

मत्ती 6:10 तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।

मत्ती 6:11 हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।

मत्ती 6:12 और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।

मत्ती 6:13 और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन।

मत्ती 6:14 इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।

मत्ती 6:15 और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • नीतिवचन 25-26
  • 2 कुरिन्थियों 9