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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

कटनी का इन्तज़ार

जेम्स एन्जल और विल्बर्ट नौर्टन अपनी एक पुस्तक में एक रेखा चित्र द्वारा दिखाते हैं कि अक्सर लोग पूर्ण विश्वास में आने और यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करने का अंतिम निर्ण्य लेने से पहले कई स्तरों से पार होते हैं।

लोंगों के अपने मन-परिवर्तन के अनुभवों को सुनते समय हमें लगता है कि उनका विश्वास एकदम ही हुआ होगा। परन्तु उनके यह निर्णय लेने से पहले उनकी आत्मिक यात्रा की एक लम्बी कहानी होती है। वे सुसमाचार पर विचार करने में समय बिताते हैं, और यीशु को उद्धारकर्ता करके ग्रहण करना एक प्रक्रिया का नतीजा होता है।

यह खेतीबारी की प्रक्रिया जैसा ही है। महीनों का इंतिज़ार एक दिन खत्म होता है और मज़दूर फसल काटने को खेतों में आते हैं। यीशु द्वारा दिये एक दृष्टांत से भी हम सीखते हैं कि विश्वास भी फसल के समान कुछ समय लेकर ही धीरे-धीरे बढ़कर परिपक्व होता है - "पहले अंकुर, तब बाल और तब बालों में तैयार दाना...फिर कटनी आ पहुंचती है।"(मरकुस ४:२८,२९)।

क्योंकि लोग निर्णय लेने से पहले समय चाहते हैं और सुसमाचार का कई प्रकार का अध्यय्न अवं मनन भी, इसलिये उनकी विश्वास यात्रा में हमें उनके साथ संवेदना रखने की आवश्यक्ता है। इस बीच हम उनकी आत्मिक दिलचस्पी को बढ़ावा दे सकते हैं, उनके लिये प्रार्थना कर सकते हैं और फसल के लिये इन्तज़ार कर सकते हैं। - डेनिस फिशर


हम बीज बोते हैं, परमेश्वर फसल देता है।


बाइबल पाठ: मरकुस ४:२६-२९


पहले अंकुर, तब बाल और तब बालों में तैयार दाना...कटनी आ पहुंची है। - मरकुस ४:२८,२९


एक साल में बाइबल:
  • गिनती ७, ८
  • मरकुस ४:२१-४१