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बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

सौंप दिया


   मार्क ने दृढ़ता से कहा, "मैं परमेश्वर पर विश्वास नहीं करता हूँ और मैं नहीं जाऊँगा।" उसकी माँ एमी का गला एक बार फिर रुँध गया, और वह अपने आँसुओं को रोकने के प्रयास करने लगी। उसका बेटा एक प्रसन्न रहने वाले लड़के से खिसिया हुआ, बदमिज़ाज और असहयोगी युवक बन गया था। जीवन एक युद्ध भूमि थी और इतवार का दिन भयावह बन गया था क्योंकि मार्क अपने परिवार के साथ चर्च जाने से इन्कार करता था। अन्ततः उसके निराश माता-पिता ने एक सलाहकार की सहायता ली जिसने उन्हें समझाया: "मार्क को अपने विश्वास की यात्रा का आरंभ स्वयं ही करना होगा। आप उसे परमेश्वर के राज्य में जबरन नहीं धकेल सकते हैं। परमेश्वर को अपना काम करने के लिए समय और स्थान दीजिए। आप बस प्रार्थना और प्रतीक्षा करते रहें।"

   एमी ने प्रार्थना और प्रतीक्षा करना आरंभ कर दिया। एक दिन परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के जो शब्द उसने पढ़े थे, वे उसके मन में गूँजने लगे। उस खण्ड में प्रभु यीशु के चेले दुष्टात्मा से ग्रसित एक लड़के की सहायता करने में असमर्थ रहे थे, परन्तु प्रभु यीशु के पास उस समस्या का समाधान था। प्रभु यीशु ने कहा: "... उसे मेरे पास लाओ" (मरकुस 9:19)। एमी के मन में आया कि यदि प्रभु यीशु उस चरम स्थिति में भी उस लड़के की सहायाता कर सकते थे और उसे चँगा कर सकते थे, तो अवश्य ही वे उसके बेटे मार्क की भी सहायता कर सकते हैं। जब एमी को यह विचार आ रहे थे उस समय कमरे की खिड़की से सूरज की रौशनी फर्श के एक भाग पर पड़ रही थी, उसे चमकदार बना रही थी। एमी ने कल्पना की कि उस रौशनी में वह और मार्क प्रभु यीशु के साथ खड़े हैं। अपने मन में ही एमी ने अपने बेटे को उस प्रभु के हाथों में सौंप दिया, जो उसके बेटे से उससे भी अधिक प्रेम करता था, और उन दोनों को वहाँ पर छोड़ कर वह स्वयं उस रौश्नी के दायरे से पीछे हट गई। एमी की ओर से अब मार्क प्रभु यीशु के हवाले था।

   प्रतिदिन एमी खामोशी से मार्क को प्रभु यीशु के हाथों में सौंप देती है, उसके लिए प्रार्थना करती है, क्योंकि उसे विश्वास है कि प्रभु यीशु मार्क के बारे में, उसकी आवश्यकताओं के बारे में और मार्क की सहायता के लिए कब, क्या, कहाँ और कैसे करना है, यह प्रभु ही सबसे बेहतर जानता है। एमी जानती है कि अपने समय में, अपने तरीके से प्रभु उसके बेटे के लिए सर्वोत्त्म करेगा। - मेरियन स्ट्राउड


प्रार्थना विश्वास की आवाज़ है कि परमेश्वर जानता है और ध्यान रखता है।

इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्‍चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है। - 2 तिमुथियुस 1:12

बाइबल पाठ: मरकुस 9:14-27
Mark 9:14 और जब वह चेलों के पास आया, तो देखा कि उन के चारों ओर बड़ी भीड़ लगी है और शास्त्री उन के साथ विवाद कर रहें हैं। 
Mark 9:15 और उसे देखते ही सब बहुत ही आश्चर्य करने लगे, और उस की ओर दौड़कर उसे नमस्‍कार किया। 
Mark 9:16 उसने उन से पूछा; तुम इन से क्या विवाद कर रहे हो? 
Mark 9:17 भीड़ में से एक ने उसे उत्तर दिया, कि हे गुरू, मैं अपने पुत्र को, जिस में गूंगी आत्मा समाई है, तेरे पास लाया था। 
Mark 9:18 जहां कहीं वह उसे पकड़ती है, वहीं पटक देती है: और वह मुंह में फेन भर लाता, और दांत पीसता, और सूखता जाता है: और मैं ने चेलों से कहा कि वे उसे निकाल दें परन्तु वह निकाल न सके। 
Mark 9:19 यह सुनकर उसने उन से उत्तर देके कहा: कि हे अविश्वासी लोगों, मैं कब तक तुम्हारे साथ रहूंगा और कब तक तुम्हारी सहूंगा? उसे मेरे पास लाओ। 
Mark 9:20 तब वे उसे उसके पास ले आए: और जब उसने उसे देखा, तो उस आत्मा ने तुरन्त उसे मरोड़ा; और वह भूमि पर गिरा, और मुंह से फेन बहाते हुए लोटने लगा। 
Mark 9:21 उसने उसके पिता से पूछा; इस की यह दशा कब से है? 
Mark 9:22 उसने कहा, बचपन से: उसने इसे नाश करने के लिये कभी आग और कभी पानी में गिराया; परन्तु यदि तू कुछ कर सके, तो हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर। 
Mark 9:23 यीशु ने उस से कहा; यदि तू कर सकता है; यह क्या बात है, विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है। 
Mark 9:24 बालक के पिता ने तुरन्त गिड़िगड़ाकर कहा; हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं, मेरे अविश्वास का उपाय कर। 
Mark 9:25 जब यीशु ने देखा, कि लोग दौड़कर भीड़ लगा रहे हैं, तो उसने अशुद्ध आत्मा को यह कहकर डांटा, कि हे गूंगी और बहिरी आत्मा, मैं तुझे आज्ञा देता हूं, उस में से निकल आ, और उस में फिर कभी प्रवेश न कर। 
Mark 9:26 तब वह चिल्लाकर, और उसे बहुत मरोड़ कर, निकल आई; और बालक मरा हुआ सा हो गया, यहां तक कि बहुत लोग कहने लगे, कि वह मर गया। 
Mark 9:27 परन्तु यीशु ने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और वह खड़ा हो गया।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 17-18
  • मत्ती 27:27-50