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गुरुवार, 28 जून 2012

विषाक्त जीवन

   अमेरिका के ओक्लोहोमा प्रांत का पिचर नगर अब नहीं रहा। मध्य-२००९ में २०,००० की आबादी वाला यह व्यवसायिक नगर बरबाद हो गया। २०वीं श्ताबदी के आरंभ में पिचर बहुतायत का नगर था, क्योंकि वहां की धरती में सीसा और जस्ता पाया जाता था और दोनो विश्वयुद्धों में अमेरिका के हथियार बनाने के उद्योग को इन दोनो ही खनीज़ों की आवश्यक्ता थी। मज़दूर वहां की खानों में काम करते और अयस्क को निकालते थे, खानों के मालिक भरपूरी से पैसा कमाते थे।

   कुछ समय बाद जब धरती से सीसा और जस्ता समाप्त होने लगे तो नगर की अर्थव्यवस्था भी बैठने लगी और नगर शिथिल पड़ने लगा। लेकिन सबसे बड़ी समस्या, जो नगर की बरबादी का कारण बनी, वह थी प्रदूषण। जो बात नगर की उन्नति का कारण बनी, वही उसके पतन का भी कारण बन गई। नगर के व्यवसाय और भरपूरी के समय में सीसा और जस्ता निकालते समय होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने और उसका निवारण करने की सुद्धि किसी ने नहीं ली; फलस्वरूप खानों के खाली होते होते, पिचर नगर और उसके आस-पास का इलाका एक विषाक्त मरुस्थल बन गया और अन्ततः सरकार को उसे विषाक्त तथा रहने के लिए अयोग्य घोषित करके, उसे बन्द कर देना पड़ा।

   जो पिचर के साथ हुआ, वही लोगों के साथ भी हो सकता है। संपन्नता इतनी मनमोहक हो सकती है कि उसके संभावित दुषपरिणामों की ओर ध्यान भी नहीं जाता, और सफलता तथा संपन्नता के नशे में ऐसे शारीरिक और आत्मिक कार्य बड़ी लापरवाही से स्वीकार कर लिए जाते हैं जो आते समयों में जीवन में गंभीर परेशानियां उत्पन्न करते हैं। यदि समय रहते इन दुषपरिणामों का उपाय नहीं किया जाता, तो अन्त बरबादी ही होता है।

   यही इस्त्राएल के प्रथम राजा, शाऊल के साथ भी हुआ। उसका आरंभ एक अच्छे राजा के रूप में था, लेकिन सफलता की लालसा में उसने पहले परमेश्वर कि आज्ञाकारिता फिर परमेश्वर की चेतावनियों, अन्ततः अपने किए के दुषपरिणामों को भी नज़रंदाज़ किया। वह परमेश्वर से विमुख हो गया, उसने "मूर्खता का काम" किया (१ शमूएल १३:१३) और अपना राजपद गंवा बैठा (पद १४)।

   सफल होने के अपने प्रयासों और लालसाओं में हमें भी यह ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हम परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं को नज़रंदाज़ करके अपने जीवन में आत्मिक प्रदूषण तो उत्पन्न नहीं कर रहे जो आगे चल कर हमें परमेश्वर से विमुख करके हमारी बरबादी का कारण बन जाएगा। परमेश्वर के भय और आज्ञाकारिता में जीना ही विषाक्त जीवन का उपाय और निवार्ण है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के बिना कोई भी सही अर्थ में सफल नहीं हो सकता।


शमूएल ने शाऊल से कहा, तू ने मूर्खता का काम किया है; तू ने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को नहीं माना; नहीं तो यहोवा तेरा राज्य इस्राएलियों के ऊपर सदा स्थिर रखता। - १ शमूएल १३:१३

बाइबल पाठ: १ शमूएल १३:७-१४
1Sa 13:7  और कितने इब्री यरदन पार होकर गाद और गिलाद के देशों में चले गए, परन्तु शाऊल गिलगाल ही में रहा, और सब लोग थरथराते हुए उसके पीछे हो लिए।
1Sa 13:8  वह शमूएल के ठहराए हुए समय, अर्थात सात दिन तक बाट जोहता रहा; परन्तु शमूएल गिलगाल में न आया, और लोग उसके पास से इधर उधर होने लगे।
1Sa 13:9  तब शाऊल ने कहा, होमबलि और मेलबलि मेरे पास लाओ। तब उस ने होमबलि को चढ़ाया।
1Sa 13:10  ज्योंही वह होमबलि को चढ़ा चुका, तो क्या देखता है कि शमूएल आ पहुंचा, और शाऊल उस से मिलने और नमस्कार करने को निकला।
1Sa 13:11  शमूएल ने पूछा, तू ने क्या किया? शाऊल ने कहा, जब मैं ने देखा कि लोग मेरे पास से इधर उधर हो चले हैं, और तू ठहराए हुए दिनों के भीतर नहीं आया, और पलिश्ती मिकमाश में इकट्ठे हुए हैं,
1Sa 13:12  तब मैं ने सोचा कि पलिश्ती गिलगाल में मुझ पर अभी आ पड़ेंगे, और मैं ने यहोवा से बिनती भी नहीं की है; सो मैं ने अपनी इच्छा न रहते भी होमबलि चढ़ाया।
1Sa 13:13  शमूएल ने शाऊल से कहा, तू ने मूर्खता का काम किया है; तू ने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को नहीं माना; नहीं तो यहोवा तेरा राज्य इस्राएलियों के ऊपर सदा स्थिर रखता।
1Sa 13:14  परन्तु अब तेरा राज्य बना न रहेगा; यहोवा ने अपने लिये एक ऐसे पुरूष को ढूंढ़ लिया है जो उसके मन के अनुसार है; और यहोवा ने उसी को अपनी प्रजा पर प्रधान होने को ठहराया है, क्योंकि तू ने यहोवा की आज्ञा को नहीं माना।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ११-१३ 
  • प्रेरितों ९:१-२१