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रविवार, 24 जुलाई 2011

भिन्न मापदण्ड

लोगों को नापने के मापदण्ड में परमेश्वर और संसार में बहुत फर्क है। संसार लोगों को उनकी दौलत, शोहरत और रुतबे के अनुसार नापता है, चाहे उन का नैतिक और आत्मिक स्तर कैसा भी हो। इसकी तुलना में परमेश्वर मनुष्य में दीनता, नम्रता, खराई, निस्वार्थ होना आदि गुण देखता है।

कई बार हम लोगों को गलत समझते हैं क्योंकि हम उनके हृदयों की दशा से अनभिज्ञ होते हैं। यहूदी लोग, अपने समाज में शास्त्रियों को बड़े आदर का स्थान देते थे क्योंकि वे शास्त्री बिना कोई मेहनताना लिए, अपने हाथों से, परमेश्वर के वचन की प्रतिलिपियाँ बनाया करते थे। इस कार्य को करने के कारण लोग उन्हें बड़ा धार्मिक मानते थे। लेकिन प्रभु यीशु उनके मन की वास्तविकता पहचानते थे। उन्हें पता था कि ये शास्त्री समाज में हर जगह अपने आदर्णीय पद का अनुचित लाभ उठाकर अपने स्वार्थसिद्धी के प्रयत्न में रत रहते थे। प्रभु ने मन्दिर में आने वाली एक कंगाल विध्वा के मन की खराई भी देखी, जिसने दो दमड़ी - जो उसका सर्वस्व था, मन्दिर के भंडार में डाल दी, लेकिन किसी मनुष्य ने उसके इस महान त्याग को नहीं पहचाना।

जब हम अपने नापने के स्तर बनाएं और लोगों को उनके अनुसार नापना आरंभ करें तो ध्यान रखें कि परमेश्वर बाहरी स्वरूप को नहीं हृदयों को देखता है। वह हमें भी हमारे हृदय की दशा कि अनुसार ही आँकेगा, संसार के स्तर अथवा मापदण्ड के अनुसार नहीं। उसका प्रतिफल उसके अपने मापदण्ड के अनुसार होगा, हमारे या संसार के मापदण्ड अथवा सिफारिश के अनुसार नहीं।

यदि हम अपने जीवन में परमेश्वर के पवित्र आत्मा की शिक्षाओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे, और उसी पर निर्भर होकर, उसी के मार्ग दर्शन में होकर चलेंगे, तो वह हमारे अन्दर एक ऐसा जीवन उत्पन्न करेगा जो परमेश्वर के मापदण्ड पर खरा होगा और अनन्त काल के लिए भले प्रतिफलों से भरा होगा।

यदि हमारे जीवनों में मसीही जीवन का बिगड़ा हुआ स्वरूप है, तो हम ने संसार को अपना जीवन प्रभावित करने दिया है।

...यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है? मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। - १ शमूएल १६:७


बाइबल पाठ: लूका २०:४५-२१:४

Luk 20:45 जब सब लोग सुन रहे थे, तो उस ने अपके चेलों से कहा।
Luk 20:46 शास्‍त्रियों से चौकस रहो, जिन को लम्बे लम्बे वस्‍त्र पहिने हुए फिरना भाता है, और जिन्‍हें बाजारों में नमस्‍कार, और सभाओं में मुख्य आसन और जेवनारों में मुख्य स्थान प्रिय लगते हैं।
Luk 20:47 वे विधवाओं के घर खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं: वे बहुत ही दण्‍ड पाएंगे।
Luk 21:1 फिर उस ने आंख उठा कर धनवानों को अपना अपना दान भण्‍डार में डालते देखा।
Luk 21:2 और उस ने एक कंगाल विधवा को भी उस में दो दमडिय़ां डालते देखा।
Luk 21:3 तब उस ने कहा मैं तुम से सच कहता हूं कि इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़ कर डाला है।
Luk 21:4 क्‍योंकि उन सब ने अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्‍तु इस ने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ३५-३६
  • प्रेरितों २५